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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 4 – गीता अध्याय 1 श्लोक 4 अर्थ सहित | Festivalhindu.com

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 4 – गीता अध्याय 1 श्लोक 4 अर्थ सहित

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 4 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 4 in Hindi): महाभारत के युद्ध में भीम और अर्जुन के समान महायोद्धाओं की वीरता अद्वितीय थी। महारथी युयुधान, विराट और द्रुपद जैसे योद्धा युद्ध में अपने कौशल और शक्ति से दुश्मनों को परास्त करते थे। दुर्योधन को इन योद्धाओं से विशेष चिंता थी, क्योंकि ये सभी युद्ध कला में निपुण थे।

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 4

अत्र - यहाँ; श्रूराः - वीर; महा-इषु-आसाः - महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन - भीम तथा अर्जुनः समाः - के समान; युधि - युद्ध में; युयुधानः - युयुधान; विराटः - विराट; च - भी; द्रुपदः - द्रुपदः च - भी; महारथः - महान योद्धा।

गीता अध्याय 1 श्लोक 4 अर्थ सहित

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 4

युद्धक्षेत्र में महायोद्धाओं की वीरता

भीम-अर्जुन के समान महायोद्धा

महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडव सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हो रहा था। इस महायुद्ध में कई वीर योद्धा शामिल थे, जो अपने-अपने कौशल और पराक्रम से युद्धभूमि में धूम मचा रहे थे। इनमें से कुछ योद्धा ऐसे थे, जिन्हें भीम और अर्जुन के समान माना जाता था।

वीर धनुर्धर

इस सेना में भीम और अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर थे। इनमें प्रमुख थे:

महायोद्धाओं की विशेषताएँ

इन महायोद्धाओं की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार थीं:

  • महा-इषु-आसाः: ये सभी महान धनुर्धर थे, जो युद्ध कला में माहिर थे।
  • वीरता: इनकी वीरता और साहस अद्वितीय थे, जो उन्हें युद्ध में अद्वितीय योद्धा बनाते थे।
  • शक्ति: भीम और अर्जुन के समान इन योद्धाओं की शक्ति और कौशल से दुश्मन भी डरते थे।

द्रोणाचार्य के समक्ष चुनौती

यद्यपि द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टद्युम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था, किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था। दुर्योधन इन्हें विजय- पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था।

दुर्योधन की चिंता

दुर्योधन को भीम और अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है। उसे पता था कि ये योद्धा उसकी सेना के लिए बड़े खतरे साबित हो सकते हैं। इसी कारण से, वह अपनी सेना को इनसे सावधान रहने और पूरी तैयारी के साथ युद्ध में उतरने के लिए प्रेरित करता था।

निष्कर्ष

महाभारत का युद्ध केवल शारीरिक शक्ति का नहीं, बल्कि वीरता, साहस और रणनीति का भी संगम था। भीम और अर्जुन के समान योद्धाओं की उपस्थिति ने इस युद्ध को और भी रोमांचक और चुनौतीपूर्ण बना दिया। इन महायोद्धाओं की वीरता और पराक्रम आज भी हमें प्रेरित करते हैं।

Resources : श्रीमद्भागवत गीता यथारूप – बक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, गीता प्रेस

अध्याय 1 (Chapter 1)

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