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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Sloka 8 – गीता अध्याय 1 श्लोक 8 अर्थ सहित | Festivalhindu.com

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Sloka 8 – गीता अध्याय 1 श्लोक 8 अर्थ सहित

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 8 (Bhagwat Geeta adhyay 1 sloka 8 in Hindi): महाभारत, भारतीय महाकाव्य, जिसमें युद्ध की अनेक कहानियाँ और वीरों की गाथाएँ हैं। इसमें कई महायोद्धाओं का वर्णन है, जो अपने शौर्य और पराक्रम से इतिहास के पन्नों में अमर हो गए। इन युद्धवीरों का उल्लेख करते हुए दुर्योधन गीता अध्याय 1 श्लोक 8 में कहता है:

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 8

भवान् - आप; भीष्मः - भीष्म पितामहः च - भी; कर्णः - कर्ण; च - और; कृपः - कृपाचार्य; च - तथा; समितिञ्जयः - सदा संग्राम-विजयी; अश्वत्थामा - अश्वत्थामा; विकर्णः - विकर्ण; च - तथा; सौमदत्तिः - सोमदत्त का पुत्र; तथा - भी; एव - निश्चय ही; च - भी।

गीता अध्याय 1 श्लोक 8 अर्थ सहित

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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Sloka 8

श्लोक:

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिंजयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥८॥

भावार्थ:

“मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।”

दुर्योधन के सेना के महान योद्धा

भवान भीष्म और उनकी वीरता

भीष्म पितामह, महाभारत के एक प्रमुख पात्र, जिन्हें उनकी वचनबद्धता और अडिगता के लिए जाना जाता है। वे सदैव संग्राम में विजयी रहे हैं और उनकी वीरता अद्वितीय है।

कर्ण: सूर्यपुत्र का पराक्रम

कर्ण, जो अर्जुन का आधा भाई है, महाभारत के प्रमुख योद्धाओं में से एक हैं। उन्हें सूर्यपुत्र भी कहा जाता है और उनके धनुर्विद्या में निपुणता के किस्से आज भी प्रसिद्ध हैं।

कृपाचार्य: संग्राम के विजेता

कृपाचार्य, जो द्रोणाचार्य के बहनोई भी हैं, युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं। उनके रणनीतिक कौशल और युद्ध की नीतियों के कारण ही उन्हें सदा संग्राम-विजयी कहा जाता है।

अश्वत्थामा: अमरता का प्रतीक

अश्वत्थामा, द्रोणाचार्य के पुत्र, अपने शौर्य और अमरता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके वीरता के किस्से महाभारत में भरे पड़े हैं।

विकर्ण: भाई का साथ

विकर्ण, जो दुर्योधन का भाई है, महाभारत के युद्ध में अपनी वीरता और निष्ठा के लिए जाना जाता है।

सौमदत्ति भूरिश्रवा: बाह्रीकों के राजा का पुत्र

सौमदत्ति या भूरिश्रवा, बाह्रीकों के राजा का पुत्र, महाभारत के महान योद्धाओं में से एक हैं।

महाभारत के महायोद्धाओं की विशेषताएँ

  • भीष्म पितामह: अद्वितीय वचनबद्धता और अडिगता।
  • कर्ण: धनुर्विद्या में निपुणता और सूर्यपुत्र का गौरव।
  • कृपाचार्य: रणनीतिक कौशल और संग्राम में सदा विजयी।
  • अश्वत्थामा: अमरता और शौर्य का प्रतीक।
  • विकर्ण: भाई के प्रति निष्ठा और वीरता।
  • भूरिश्रवा: बाह्रीकों के राजा का पुत्र और महायोद्धा।

निष्कर्ष:

महाभारत के इन अद्वितीय युद्धवीरों का उल्लेख करते हुए दुर्योधन ने उनकी महिमा का वर्णन किया है। ये सभी वीर सदैव संग्राम में विजयी रहे हैं और उनकी वीरता ने महाभारत को एक अद्वितीय महाकाव्य बना दिया है। इन योद्धाओं की गाथाएँ आज भी हमें प्रेरणा और साहस प्रदान करती हैं।

Resources : श्रीमद्भागवत गीता यथारूप – बक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, गीता प्रेस

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