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Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 15 – गीता अध्याय 1 श्लोक 15 अर्थ सहित – पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 15 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 15 in Hindi): महाभारत के युद्ध के पहले दिन की शुरुआत शंखनाद से हुई थी, जिसमें भगवान कृष्ण, अर्जुन और भीम ने अपने-अपने शंख बजाए। आइए इस प्रसंग को गहराई से समझते हैं।

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 15

गीता अध्याय 1 श्लोक 15 अर्थ सहित

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 15 in Hindi | FestivalHindu.com
Bhagavad Gita Ch 1 Verse 15

श्लोक:

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।

पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदर: ॥ १५ ॥

भावार्थ:

पाञ्चजन्यम्- पाञ्चजन्य नामक हृषीक-ईशः- हषीकेश (कृष्ण जो भक्तों की इन्द्रियों को निर्देश करते हैं) ने; देवदत्तम्- देवदत्त नामक शंख; धनम्-जयः- धनञ्जय (अर्जुन, धन को जीतने वाला) ने; पौण्ड्रम्- पौण्ड्र नामक शंख; दध्मौ- बजाया; महा-शङ्खम्- भीषण शंख; भीम-कर्मा-अतिमानवीय कर्म करने वाले; वृक-उदरः- (अतिभोजी) भीम ने।

भगवान् कृष्ण ने अपना पाञ्चजन्य शंख बजाया, अर्जुन ने देवदत्त शंख तथा अतिभोजी एवं अतिमानवीय कार्य करने वाले भीम ने पौण्ड्र नामक भयंकर शंख बजाया।

हृषीकेश और उनका पाञ्चजन्य शंख

इस श्लोक में भगवान कृष्ण को हृषीकेश कहा गया है, जिसका अर्थ है ‘इन्द्रियों के स्वामी’। भगवान कृष्ण ने पाञ्चजन्य नामक शंख बजाया। यह शंख न केवल युद्ध की शुरुआत का संकेत था, बल्कि यह भी दर्शाता था कि भगवान कृष्ण, जो भक्तों की इन्द्रियों का निर्देशन करते हैं, इस युद्ध में अर्जुन के सारथी के रूप में उपस्थित थे।

अर्जुन का देवदत्त शंख

अर्जुन को धनञ्जय कहा गया है, जिसका अर्थ है ‘धन को जीतने वाला’। अर्जुन ने देवदत्त नामक शंख बजाया। यह शंख अर्जुन की वीरता और धैर्य का प्रतीक था। जब उनके बड़े भाई को यज्ञ के लिए धन की आवश्यकता हुई, तो अर्जुन ने उसे प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भीम का पौण्ड्र शंख

भीम को वृकोदर कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘अतिभोजी’। भीम ने पौण्ड्र नामक भयंकर शंख बजाया। यह शंख भीम के अतिमानवीय कार्यों और उनकी वीरता का प्रतीक था। भीम ने हिडिम्बासुर का वध किया था, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रमाण है।

शंखनाद का महत्व

इन शंखनादों का महत्व केवल युद्ध की शुरुआत का संकेत नहीं था, बल्कि यह भी दर्शाता था कि:

  • भगवान कृष्ण का निर्देशन: भगवान कृष्ण ने अर्जुन की इन्द्रियों का निर्देशन किया।
  • वीरता और धैर्य: अर्जुन और भीम की वीरता और धैर्य का प्रतीक।
  • युद्ध की प्रेरणा: पाण्डवों की सेना के लिए प्रेरणादायक ध्वनि।

निष्कर्ष

इस श्लोक में भगवान कृष्ण, अर्जुन और भीम द्वारा बजाए गए शंखनाद ने कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में एक अद्वितीय प्रेरणा प्रदान की। भगवान कृष्ण के निर्देशन और पाण्डवों की वीरता ने यह सुनिश्चित किया कि उनके पक्ष में विजय निश्चित थी। शंखनाद की ध्वनि ने यह संदेश दिया कि युद्ध में पाण्डवों की जीत सुनिश्चित है।

इस प्रकार, यह श्लोक महाभारत के युद्ध की महत्ता और भगवान कृष्ण, अर्जुन और भीम की वीरता का जीवंत चित्रण करता है।

Resources : श्रीमद्भागवत गीता यथारूप – बक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, गीता प्रेस

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