Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 56 Shloka 56 | गीता अध्याय 2 श्लोक 56 अर्थ सहित | दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 56 – गीता अध्याय 2 श्लोक 56 अर्थ सहित - दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 56 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 56 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक 2.56(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 56) जीवन की गहरी सच्चाइयों और मनुष्य के भीतर मौजूद दिव्य चेतना को समझने का मार्गदर्शन करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में एक ऐसे मुनि का वर्णन किया है, जो जीवन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 55 Shloka 55 | गीता अध्याय 2 श्लोक 55 अर्थ सहित | प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 55 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 55 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का वह अनमोल ग्रंथ है जो जीवन के हर पहलू पर गहन मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता का हर श्लोक अपने भीतर अद्भुत ज्ञान और चेतना समेटे हुए है। श्लोक 2.55 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 54 Shloka 54 | गीता अध्याय 2 श्लोक 54 अर्थ सहित | स्थित प्रज्ञस्य का भाषा समाधि…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 54 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 54 in Hindi): भगवद्गीता, जो सनातन धर्म का अमूल्य ग्रंथ है, मनुष्य के जीवन में ज्ञान, भक्ति और कर्म के महत्व को दर्शाती है। इसके दूसरे अध्याय का श्लोक 2.54 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 54) विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें अर्जुन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 53 Shloka 53 | गीता अध्याय 2 श्लोक 53 अर्थ सहित | श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 53 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 53 in Hindi): भगवद्गीता के श्लोक 2.53 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 53) में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आत्म-साक्षात्कार और योग की सर्वोच्च अवस्था का मार्ग समझाया है। यह श्लोक हमें उस स्थिति तक पहुँचने की प्रेरणा देता है, जहाँ मनुष्य की बुद्धि और … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 52 Shloka 52 | गीता अध्याय 2 श्लोक 52 अर्थ सहित | यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्य…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 52 – गीता अध्याय 2 श्लोक 52 अर्थ सहित - यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्य.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 52 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 52 in Hindi): गीता के श्लोक 2.52(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 52) में भगवान श्रीकृष्ण ने मोह और अज्ञान के जाल से मुक्त होकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्ग दिखाया है। यह श्लोक न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे दैनिक जीवन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 51 Shloka 51 | गीता अध्याय 2 श्लोक 51 अर्थ सहित | कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 51 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 51 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का अमूल्य ग्रंथ है। इसमें दिए गए श्लोक जीवन को दिशा देने और आत्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करते हैं। गीता के श्लोक 2.51(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 51) में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग और भक्ति … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 50 Shloka 50 | गीता अध्याय 2 श्लोक 50 अर्थ सहित | बुद्धियुक्तो जहातीह उभे…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 50 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 50 in Hindi): भगवद्गीता का श्लोक 2.50 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 50) जीवन की उन गूढ़ बातों को सरलता से प्रस्तुत करता है, जिनके माध्यम से हम कर्म और उसके बंधनों को समझ सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में कर्मयोग के महत्व … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 49 Shloka 49 | गीता अध्याय 2 श्लोक 49 अर्थ सहित | दुरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धञ्जय…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 49 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 49 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन का एक अमूल्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, भक्ति और आत्मज्ञान के महत्व के बारे में अद्भुत शिक्षा दी है। गीता के अध्याय 2 … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 48 Shloka 48 | गीता अध्याय 2 श्लोक 48 अर्थ सहित | योगस्थः कुरु कर्माणि…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 48 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 48 in Hindi): यह श्लोक भगवद्गीता के दूसरे अध्याय(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 48) का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का गूढ़ रहस्य समझाते हैं। इस श्लोक में सफलता-विफलता, सुख-दुख, और जय-पराजय को समान दृष्टि से देखने का उपदेश … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 47 Shloka 47 | गीता अध्याय 2 श्लोक 47 अर्थ सहित | कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 47 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 47 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक 2.47(Bhagavat Geeta Chapter 2 Shloka 47) “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य का बोध कराता है। यह श्लोक केवल एक साधारण उपदेश नहीं, बल्कि कर्मयोग का गहन दर्शन है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को … Read more