Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 Shloka 64 | गीता अध्याय 2 श्लोक 64 अर्थ सहित | रागद्वेषविमुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्र्चरन्…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 Shloka – गीता अध्याय 2 श्लोक 64 अर्थ सहित - रागद्वेषविमुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्र्चरन्.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 64 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 in Hindi): यह लेख श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक 2.64 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 64) के महत्व और व्यावहारिक जीवन में उसकी भूमिका को समझाने का प्रयास करता है। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण हमें राग और द्वेष से मुक्त होकर, इन्द्रियों को संयमित … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 63 Shloka 63 – गीता अध्याय 2 श्लोक 63 अर्थ सहित – क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 63 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 63 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता, जो हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वह न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन है, बल्कि व्यवहारिक जीवन के लिए भी … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 62 Shloka 62 | गीता अध्याय 2 श्लोक 62 अर्थ सहित | ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 62 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 62 in Hindi): भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का एक ऐसा ग्रंथ है, जो न केवल आध्यात्मिक बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हमारे जीवन को गहराई से समझाने का प्रयास करता है। गीता का श्लोक 2.62 (Bhagavad Gita Chapter2 Shloka 62) मानव मन की … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 61 Shloka 61 | गीता अध्याय 2 श्लोक 61 अर्थ सहित | तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 61 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 61 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन और आध्यात्म का अद्वितीय ग्रंथ है। इसमें जीवन के हर पहलू का गहराई से विश्लेषण किया गया है। गीता के श्लोक 2.61(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 61) में भगवान श्रीकृष्ण ने योग, इन्द्रिय-संयम और भक्ति की महत्ता पर … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 60 Shloka 60 | गीता अध्याय 2 श्लोक 60 अर्थ सहित | यततो ह्यपि कौन्तेय पुरुषस्य…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 60 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 60 in Hindi): श्रीमद्भगवद गीता मानव जीवन के लिए एक अद्भुत मार्गदर्शन है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन संदेश प्रस्तुत करती है। गीता के श्लोक 2.60 में भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्रियों के चंचल स्वभाव और उनकी शक्ति के विषय में बताया है। … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 59 Shloka 59 | गीता अध्याय 2 श्लोक 59 अर्थ सहित | विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 59 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 59 in Hindi): भगवद्गीता, जो सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, हमें जीवन के मूलभूत सत्य और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की राह दिखाती है। अध्याय 2 का 59वां श्लोक इस बात पर प्रकाश डालता है कि इन्द्रिय भोगों से स्थायी रूप से … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 58 Shloka 58 | गीता अध्याय 2 श्लोक 58 अर्थ सहित | यदा संहरते चायं कुर्मोSङ्गानीव…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 58 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 58 in Hindi): भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मसंयम, इन्द्रिय-नियंत्रण और आत्म-विकास के विषय में गहन ज्ञान प्रदान किया है। श्लोक 2.58(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 58) में कछुए का उदाहरण देकर यह समझाया गया है कि जीवन में स्थिरता और … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 57 Shloka 57 | गीता अध्याय 2 श्लोक 57 अर्थ सहित | यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 57 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 57 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता, जिसे “जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ” कहा जाता है, हमें जीवन के हर पहलू को सही तरीके से समझने और जीने की प्रेरणा देती है। श्लोक 2.57 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 57) में, भगवान श्रीकृष्ण ने स्थिर प्रज्ञा का रहस्य … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 56 Shloka 56 | गीता अध्याय 2 श्लोक 56 अर्थ सहित | दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 56 – गीता अध्याय 2 श्लोक 56 अर्थ सहित - दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 56 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 56 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक 2.56(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 56) जीवन की गहरी सच्चाइयों और मनुष्य के भीतर मौजूद दिव्य चेतना को समझने का मार्गदर्शन करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस श्लोक में एक ऐसे मुनि का वर्णन किया है, जो जीवन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 55 Shloka 55 | गीता अध्याय 2 श्लोक 55 अर्थ सहित | प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 55 – गीता अध्याय 2 श्लोक 55 अर्थ सहित - प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 55 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 55 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का वह अनमोल ग्रंथ है जो जीवन के हर पहलू पर गहन मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता का हर श्लोक अपने भीतर अद्भुत ज्ञान और चेतना समेटे हुए है। श्लोक 2.55 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka … Read more