Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 Shloka 64 | गीता अध्याय 2 श्लोक 64 अर्थ सहित | रागद्वेषविमुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्र्चरन्…..
श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 64 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 in Hindi): यह लेख श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक 2.64 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 64) के महत्व और व्यावहारिक जीवन में उसकी भूमिका को समझाने का प्रयास करता है। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण हमें राग और द्वेष से मुक्त होकर, इन्द्रियों को संयमित … Read more