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Shani Pradosh Vrat 2025:साल का पहला प्रदोष व्रत कब है? बन रहे हैं ये शुभ योग

आज साल का पहला प्रदोष व्रत , इस बार शनि प्रदोष व्रत पर चार शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो इस व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बना देता है। इन शुभ योगों में पूजा-अर्चना का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह साल का पहला प्रदोष व्रत है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक फलदायी माना जा रहा है। शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं इस शुभ व्रत की तिथि, पूजा का सही समय और इन योगों की विशेषता के बारे में।

प्रदोष व्रत
Shani Pradosh Vrat 2025

साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह व्रत शनिवार को होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं और सुख-शांति का वास होता है। यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यधिक फलदायी माना गया है। जो दंपति संतान की कामना रखते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।

इस बार शनि प्रदोष व्रत पर चार शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बना देते हैं। इन योगों के कारण यह दिन शिव आराधना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। भक्तों को भगवान शिव की पूजा के लिए ढाई घंटे से अधिक का शुभ समय मिलेगा। इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से उनके लिए फलदायी है जो शनि दोष से मुक्ति या संतान सुख की कामना करते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और इन विशेष योगों की पूरी जानकारी।

शनि प्रदोष व्रत 2025 तिथि

दृक पंचांग के अनुसार, 2025 में शनि प्रदोष व्रत पौष शुक्ल त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह तिथि 11 जनवरी 2025, शनिवार, सुबह 8:21 बजे से शुरू होकर 12 जनवरी को सुबह 6:33 बजे समाप्त होगी। इस व्रत और पूजा का पालन तिथि के आरंभिक समय को ध्यान में रखते हुए 11 जनवरी को किया जाएगा। शनि प्रदोष व्रत का यह दिन भगवान शिव की आराधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है, जिसमें श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

शनि प्रदोष व्रत 2025 शुभ योग

2025 में शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त काफी विशेष है। शिव पूजा के लिए शुभ समय शाम 5:43 बजे से रात 8:26 बजे तक निर्धारित है, जो कुल 2 घंटे 42 मिनट का होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक है, वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा। इन सभी मुहूर्तों में शिव पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इन समयों में पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह समय विशेष रूप से धार्मिक कार्यों के लिए आदर्श माना गया है। इसलिए, इन मुहूर्तों में पूजा करने का विशेष महत्व है।

शनि प्रदोष व्रत कथा

प्राचीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक नगर में एक ब्रह्माणी रहती थी, जो विधवा थी और भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करती थी। एक दिन, उसे रास्ते में दो बेसहारा बच्चे मिले और वह उन्हें अपने घर ले आई। समय के साथ, दोनों बालक बड़े हो गए। एक दिन, ब्रह्माणी ने उन दोनों को लेकर ऋषि शांडिल्य के पास पहुंची और उनसे दोनों बालकों के माता-पिता के बारे में जानने की प्रार्थना की। ऋषि शांडिल्य ने बताया कि ये दोनों बालक विदर्भ नरेश के राजकुमार हैं और गंदर्भ नरेश के आक्रमण के कारण उनके पिता का राज छिन गया।

ब्रह्माणी ने ऋषि से राजकुमारों के राजपाठ की वापसी का उपाय पूछा, तो ऋषि ने प्रदोष व्रत करने का सुझाव दिया। ब्रह्माणी और राजकुमारों ने यह व्रत किया। इस दौरान, विदर्भ नरेश के बड़े राजकुमार अंशुमती नाम की कन्या से मिले और विवाह करने का निर्णय लिया। अंशुमती के पिता ने विदर्भ के राजकुमारों की मदद करके गंदर्भ नरेश से युद्ध जीतने में सहायता की, जिससे राजकुमारों को उनका राजपाठ वापस मिल गया। अंततः, राजकुमारों ने ब्रह्माणी को अपने राज दरबार में विशेष स्थान दिया।

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