रथ सप्तमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। वसंत पंचमी के अगले दिन पड़ने वाला यह त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित है। इसे सूर्य जयंती या माघ जयंती भी कहा जाता है, क्योंकि यह भगवान सूर्य के जन्म का उत्सव माना जाता है।
सूर्य देव, जो पूरे संसार को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करते हैं, इस दिन अपने सात घोड़ों वाले रथ पर आरूढ़ होकर पृथ्वी का आशीर्वाद करते हैं। यह पर्व सूर्य की असीम महिमा और उनके जीवनदायी स्वरूप का प्रतीक है। इस दिन सूर्य देव की पूजा कर लोग उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

रथ सप्तमी के अवसर पर विभिन्न सूर्य मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है और भक्त वहां जाकर भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। तिरुमाला तिरुपति बालाजी जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में इस दिन भव्य आयोजन किए जाते हैं। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
रथ सप्तमी तिथि 2025 (Rath Saptami 2025 Date)
4 फरवरी 2025 मंगलवार
आरंभ तिथि: 4 फरवरी प्रातः 4:40 मिनट
समाप्त तिथि: 5 फरवरी, प्रातः 2:30 मिनट
रथ सप्तमी के अनुष्ठान (Rath Saptami Celebrations)
इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे “आरोग्य सप्तमी” भी कहा जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है। स्नान के दौरान पवित्र जल में इरुक्कू के पत्तों का उपयोग किया जाता है। स्नान के पश्चात भक्त सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिसमें तांबे के कलश से सूर्य की ओर मुख करके जल चढ़ाया जाता है। जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है।
इसके बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान घी का दीपक जलाया जाता है और सूर्य के समक्ष लाल फूल अर्पित किए जाते हैं। कुछ भक्त इस दिन विशेष रूप से सूर्य के बारह नामों का स्मरण करते हैं। यह प्रक्रिया भक्तों को भगवान सूर्य का आशीर्वाद दिलाती है और उनके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और सफलता से भर देती है।
रथ सप्तमी का महत्व (Rath Saptami Mahatva)
हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना गया है। यह पर्व सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद से दीर्घायु, अच्छा स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त करने का माध्यम है। रथ सप्तमी का दिन न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति के बदलाव का भी प्रतीक है।
यह पर्व उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की उत्तरायण गति का संकेत देता है। सर्दियों का अंत और गर्मियों की शुरुआत इसी समय होती है। दक्षिण भारत में यह समय विशेष रूप से फसल कटाई का भी होता है। किसान इस दिन अपनी फसल की समृद्धि के लिए सूर्य देव का धन्यवाद करते हैं।
रथ सप्तमी आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर है। यह पर्व जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और नई ऊर्जा का संचार करता है। सूर्य देव की पूजा न केवल वर्तमान जीवन को सुधारती है, बल्कि भविष्य के जन्मों को भी उज्ज्वल बनाती है।
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