फाल्गुन महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है, इस दौरान उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसी पावन मास में महाशिवरात्रि का पर्व आता है, जो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से, अविवाहित जातकों के विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

फाल्गुन मास का एक और महत्वपूर्ण पर्व फाल्गुन अमावस्या है, जिस दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। इसके अगले दिन से चैत्र मास का आरंभ हो जाता है। महाशिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में भक्त व्रत रखते हैं और अगले दिन फाल्गुन अमावस्या का व्रत संपन्न किया जाता है।
आइए, जानते हैं महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त,महत्व और पूजा विधि—
फाल्गुन अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Falgun Amavasya 2025 Date and Time)
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या का आरंभ 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे होगा और इसका समापन 28 फरवरी को सुबह 06:14 बजे होगा। सनातन धर्म में किसी भी तिथि की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है, इसलिए फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी।
पंचांग:
- सूर्योदय: सुबह 06:48 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:20 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:08 बजे से 05:58 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:29 बजे से 03:15 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:17 बजे से 06:42 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: रात 12:09 बजे से 12:58 बजे तक
फाल्गुन अमावस्या की पूजा विधि (Falgun Amavasya Puja Vidhi)
फाल्गुन अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके पश्चात घर की साफ-सफाई करें और दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगा स्नान करें। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। स्नान के बाद तिल को बहते जल में प्रवाहित करें। फिर सफेद वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें, शिव चालीसा का पाठ करें और महादेव के मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में आरती करें और फिर दान-पुण्य करें, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व (Falgun Amavasya Mahatva)
फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर पूजन एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।शास्त्रों के अनुसार, इस दिन चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बहते जल में प्रवाहित करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। साथ ही, पितरों की शांति और कृपा प्राप्त करने के लिए श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
फाल्गुन अमावस्या पर करने योग्य कार्य
- प्रातः जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें।
- स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और फिर पितरों के निमित्त जल अर्पित करें।
- इसके पश्चात व्रत का संकल्प लें।
- यदि पितरों की शांति के लिए तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करना चाहते हैं, तो विधिपूर्वक इस अनुष्ठान को संपन्न करें।
- जरूरतमंदों एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन दान का विशेष महत्व होता है, इसलिए पितरों की आत्मा की शांति हेतु अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी आदि का दान करें।
- किसी गौशाला में गाय के लिए हरा चारा या धनराशि का दान अवश्य करें, इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।
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