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Vijayadashami 2024: दशहरा 2024 अक्टूबर में कब है, तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और बहुप्रतीक्षित त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दशहरा का उल्लास न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक समागम और सामाजिक सरोकारों को भी समाहित करता है। आइए, इस लेख में हम दशहरा 2024 के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें तिथियां, पूजा मुहूर्त, महत्व और उत्सव शामिल हैं।

Vijayadashami 2024

दशहरा 2024 की तिथि (Vijayadashami 2024 Date)

दशहरा हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को पड़ रहा है। दशहरा की तिथि का निर्धारण चंद्रमा की कलाओं के आधार पर किया जाता है। पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी।

दशहरा के शुभ मुहूर्त (Vijayadashami 2024 Puja Muhurat)

दशहरे के पर्व पर पूजा-अनुष्ठान के लिए कई शुभ मुहूर्त निर्धारित होते हैं। इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। दशहरा 2024 के लिए प्रमुख शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • विजय मुहूर्त: सुबह 7:07 बजे से 8:33 बजे तक
  • अवश्यमंता मुहूर्त: सुबह 8:33 बजे से 9:58 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:06 बजे से 12:55 बजे तक
  • संध्या मुहूर्त: शाम 6:16 बजे से 6:51 बजे तक

हालाँकि, यह ध्यान देने योग्य है कि इन शुभ मुहूर्तों के अलावा भी आप अपनी सुविधानुसार पूजा का आयोजन कर सकते हैं। अपने क्षेत्र के विद्वान पंडित जी से सलाह लेकर आप विशेष मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।

दशहरा का धार्मिक महत्व (Religious significance of Dussehra)

दशहरा का धार्मिक महत्व अनेक स्तरों पर व्याप्त है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान राम की विजय का प्रतीक है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन दस सिर वाले दुष्ट राजा रावण का वध करके माता सीता का उद्धार किया था। विजयादशमी के दिन भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण की पूजा की जाती है। यह दिन इस बात का प्रतीक है कि सत्य और धर्म का मार्ग कितना भी कठिन क्यों न हो, अंततः विजय उसी की होती है।

इसके अतिरिक्त, दशहरा के दिन मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी। इस प्रकार, दशहरा का पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें हमेशा बुराई का विरोध करना चाहिए और सत्य एवं धर्म का साथ देना चाहिए।

दशहरा के पर्व से जुड़ी एक अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता शस्त्र पूजा से संबंधित है। इस दिन योद्धा वर्ग अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं। यह प्रतीकात्मक रूप से कर्तव्यनिष्ठा, शौर्य और धर्म की रक्षा के संकल्प को दर्शाता है।

दशहरा का सामाजिक महत्व (Social importance of Dussehra)

दशहरा का पर्व सिर्फ धर्म और संस्कृति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक महत्व भी कम नहीं है। दशहरा हमें कई महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश देता है।

  • सत्य और न्याय की विजय: दशहरा का पर्व हमें यह संदेश देता है कि सत्य और न्याय का मार्ग कितना भी कठिन क्यों न हो, अंततः विजय उसी की होती है। भगवान राम की रावण पर विजय इसी बात का प्रतीक है।
  • बुराई का विरोध: दशहरा हमें यह भी सिखाता है कि हमें हमेशा बुराई का विरोध करना चाहिए। रावण के दहन का प्रतीक यही है कि हमें अपने अंदर की और समाज में व्याप्त बुराइयों का नाश करना चाहिए।
  • कर्तव्यनिष्ठा और शौर्य: दशहरे के दिन शस्त्र पूजा का आयोजन कर्तव्यनिष्ठा और शौर्य का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन दृढ़ता और साहस के साथ करना चाहिए।
  • सामुदायिक सद्भाव: दशहरा के उत्सव में सभी वर्ग के लोग मिलकर शामिल होते हैं। यह सामुदायिक सद्भाव और एकता का प्रतीक है।

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