Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 5 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 in Hindi): जीवन में कर्म का क्या महत्व है? क्या हम एक पल के लिए भी बिना कर्म किए रह सकते हैं? भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के तीसरे अध्याय में इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए कर्मयोग का गहन संदेश दिया है। इस … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 4 Shloka 4 | गीता अध्याय 3 श्लोक 4 अर्थ सहित | न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोSश्र्नुते…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 4 Shloka 4 | गीता अध्याय 3 श्लोक 4 अर्थ सहित | न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोSश्र्नुते.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 4 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 4 in Hindi): भगवद गीता का तीसरा अध्याय, जिसे “कर्मयोग” कहा जाता है, जीवन में कर्म की अनिवार्यता को समझाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण स्पष्ट रूप से बताते हैं कि मनुष्य केवल कर्म का त्याग कर देने मात्र से … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 3 Shloka 3 | गीता अध्याय 3 श्लोक 3 अर्थ सहित | लोकेस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 3 Shloka 3 | गीता अध्याय 3 श्लोक 3 अर्थ सहित | लोकेस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 3 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 3 in Hindi): भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जो मनुष्य को जीवन के उच्चतम लक्ष्य, यानी आत्म-साक्षात्कार की ओर मार्गदर्शन करता है। गीता के तीसरे अध्याय के तीसरे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दो प्रमुख मार्गों के बारे में … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 2 Shloka 2 | गीता अध्याय 3 श्लोक 2 अर्थ सहित | व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 2 Shloka 2 | गीता अध्याय 3 श्लोक 2 अर्थ सहित | व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 2 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 2 in Hindi): भगवद्गीता के तीसरे अध्याय में कर्मयोग का गहन विवेचन किया गया है, जो मनुष्य को जीवन के भ्रम से मुक्त करके सही मार्ग दिखाता है। इस अध्याय के श्लोक 3.2 में अर्जुन भगवान कृष्ण से प्रश्न करते हैं कि उनके अनेकार्थक … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 1 Shloka 1 | गीता अध्याय 3 श्लोक 1 अर्थ सहित | ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 1 Shloka 1 | गीता अध्याय 3 श्लोक 1 अर्थ सहित | ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 1 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 1 in Hindi): भगवद्गीता का तीसरा अध्याय “कर्मयोग” जीवन के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है – कर्म और बुद्धि का संतुलन। अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच हुए इस संवाद में न केवल युद्ध के मैदान का दर्शन छिपा है, बल्कि जीवन के … Read more