Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 1 श्लोक 41 अर्थ सहित – सड्करो नरकायैव…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 1 श्लोक 41 अर्थ सहित - सड्करो नरकायैव.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 41 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 41 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 41(Gita Chapter 1 Verse 41) के माध्यम से अवांछित सन्तानों की वृद्धि से पितरों के नारकीय जीवन पर चर्चा की गई है। पितरों को जल और पिण्डदान देने की परम्परा के महत्व को तात्पर्य के साथ समझाया गया है। विष्णु पूजा और भगवान् … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 40 – गीता अध्याय 1 श्लोक 40 अर्थ सहित – अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 40 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Gita Chapter 1 Verse 40) में अधर्म के प्रमुख होने से स्त्रियों के दूषित होने के कारणों और इसके परिणामस्वरूप समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई है। धार्मिक प्रथाओं, समाज के वयोवृद्धों के संरक्षण और … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 39 – गीता अध्याय 1 श्लोक 39 अर्थ सहित – कुल क्षये प्रणश्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 39 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 39 in Hindi): श्लोक “कुल क्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः” के भावार्थ को समझते हुए, इस लेख में परिवार की परम्पराओं के महत्व और उनके संरक्षण के तरीकों पर चर्चा की गई है। जानिए कैसे वयोवृद्धों का सम्मान और उनकी उपस्थिति परिवार और समाज की स्थिरता में योगदान … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 37, 38 – गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 अर्थ सहित – यद्यप्येते न पश्यति…..कथं न ज्ञेयमस्माभिः…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 37, 38 – गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 अर्थ सहित - यद्यप्येते न पश्यति.....कथं न ज्ञेयमस्माभिः..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 37, 38 in Hindi): महाभारत के युद्धभूमि में खड़े अर्जुन के सामने केवल शत्रु नहीं थे, बल्कि अपने ही परिवार और मित्रों के प्रति कर्तव्य और धर्म का गहन द्वंद्व था। यह द्वंद्व भगवद्गीता के अनेक श्लोकों में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। यहाँ प्रस्तुत … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 36 – गीता अध्याय 1 श्लोक 36 अर्थ सहित – पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 36 – गीता अध्याय 1 श्लोक 36 अर्थ सहित - पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 36 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 36 in Hindi): गीता के अध्याय 1 श्लोक 36 (Gita Chapter 1 Verse 36) में अर्जुन ने एक बहुत ही गहन प्रश्न उठाया है। युद्ध के मैदान में खड़े होकर, उन्होंने अपने गुरु, पितामह, और मित्रों के खिलाफ हथियार उठाने से पहले, अपने दिल में उठ रहे संदेह … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 32, 33, 34, 35 – गीता अध्याय 1 श्लोक 32, 33, 34, 35 अर्थ सहित

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 32, 33, 34, 35 – गीता अध्याय 1 श्लोक 32, 33, 34, 35 अर्थ सहित | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 32, 33, 34, 35 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 32, 33, 34, 35 in Hindi): महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास की सबसे महान घटनाओं में से एक है। इस युद्ध में नैतिकता, धर्म और कर्तव्य की गहरी समझ को प्रस्तुत किया गया है। अर्जुन और भगवान कृष्ण के बीच हुआ संवाद भगवद गीता … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 31 – गीता अध्याय 1 श्लोक 31 अर्थ सहित – न च श्रेयोSनुपश्यामि…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 31 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 31 in Hindi): महाभारत का युद्ध न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह मानव मनोविज्ञान और नैतिकता का गहन अध्ययन भी है। अर्जुन की मानसिक अवस्था और उनके संघर्ष को समझना, हमें अपनी दुविधाओं और नैतिक चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता के … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 30 – गीता अध्याय 1 श्लोक 30 अर्थ सहित – न च शक्रोम्यवस्थातुं…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 30 – गीता अध्याय 1 श्लोक 30 अर्थ सहित - न च शक्रोम्यवस्थातुं..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 30 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 30 in Hindi): युद्धभूमि में खड़ा अर्जुन, मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में संघर्षरत था। गीता के अध्याय 1 श्लोक 30(Gita Chapter 1 Verse 30) “न च शक्रोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः” के माध्यम से उसकी आंतरिक उलझनों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। आइए, इस … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 29 – गीता अध्याय 1 श्लोक 29 अर्थ सहित – वेपथुश्च शरीरे मे…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 29 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 29 in Hindi): महाभारत के युद्ध के मैदान में, जब महान योद्धा अर्जुन अपने शत्रुओं के समक्ष खड़े हुए, उनकी शारीरिक और मानसिक अवस्था विचलित हो उठी। इसके एक उदाहरण के रूप में हमें गीता के अध्याय 1 श्लोक 29(Gita Chapter 1 Verse 29) में देखने को मिलता … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 28 – गीता अध्याय 1 श्लोक 28 अर्थ सहित – दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 28 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 28 in Hindi): महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन की मनोदशा को समझना हमें मानवीय संवेदनाओं और करुणा की गहराई में ले जाता है। उनके शब्दों में छिपी व्यथा और हृदय की कोमलता का विश्लेषण एक ऐसा दृष्टिकोण प्रदान करता है जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता … Read more