Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 Shloka 15 | गीता अध्याय 3 श्लोक 15 अर्थ सहित | कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 Shloka 15 | गीता अध्याय 3 श्लोक 15 अर्थ सहित | कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 15 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 15 में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म, वेद और ब्रह्म के दिव्य संबंध को स्पष्ट किया है। जानिए इस श्लोक का भावार्थ, तात्पर्य और यज्ञ की आध्यात्मिक महत्ता इस विस्तृत लेख में। श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय ‘कर्मयोग’ में … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 14 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 in Hindi): भारतीय संस्कृति में भगवद्गीता एक ऐसा आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू को गहराई से समझने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है, बल्कि प्रकृति, कर्म, और यज्ञ के माध्यम … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 13 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक दिव्य ग्रंथ है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के माध्यम से मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाया है। गीता के तीसरे अध्याय के … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 12 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 in Hindi): भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है जो मानव जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालता है। गीता के तीसरे अध्याय का 12वाँ श्लोक (BG 3.12) यज्ञ, दान और ईश्वर भक्ति के महत्व को समझाता है। इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 11 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय का 11वाँ श्लोक (3.11) मनुष्य और देवताओं के बीच एक पवित्र संबंध स्थापित करता है। यह श्लोक बताता है कि यज्ञ के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न करने पर वे भी मनुष्यों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे समाज … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 10 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की सम्पूर्ण कला का विज्ञान है। इसमें निहित गीता अध्याय 3 श्लोक 3.10 यज्ञ की अवधारणा को स्पष्ट करता है, जो मानव सभ्यता के विकासक्रम में सदैव केन्द्रीय रहा है। यज्ञ को केवल एक … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 Shloka 9 | गीता अध्याय 3 श्लोक 9 अर्थ सहित | यज्ञार्थात्कर्मणोSन्यत्र लोकोSयं कर्मबन्धनः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 Shloka 9 | गीता अध्याय 3 श्लोक 9 अर्थ सहित | यज्ञार्थात्कर्मणोSन्यत्र लोकोSयं कर्मबन्धनः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 9 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 in Hindi): भगवद्गीता मानव जीवन के लिए एक दिव्य मार्गदर्शक ग्रंथ है, जिसमें जीवन के हर पहलू पर गहन ज्ञान प्रदान किया गया है। गीता के तीसरे अध्याय में कर्मयोग का विस्तृत वर्णन है, जो हमें सिखाता है कि कर्म कैसे करें ताकि वे हमें … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 Shloka 7 | गीता अध्याय 3 श्लोक 7 अर्थ सहित | यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 Shloka 7 | गीता अध्याय 3 श्लोक 7 अर्थ सहित | यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 7 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 in Hindi): भगवद्गीता का प्रत्येक श्लोक गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ है और हमें जीवन की सच्ची दिशा प्रदान करता है। अध्याय 3, जिसे ‘कर्मयोग’ कहा जाता है, विशेष रूप से कर्म और उसके महत्व को दर्शाता है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 Shloka 6 | गीता अध्याय 3 श्लोक 6 अर्थ सहित | कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 Shloka 6 | गीता अध्याय 3 श्लोक 6 अर्थ सहित | कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन् | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 6 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि जीवन के हर पहलू में सही निर्णय लेने का ज्ञान देते हैं। … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 5 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 in Hindi): जीवन में कर्म का क्या महत्व है? क्या हम एक पल के लिए भी बिना कर्म किए रह सकते हैं? भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के तीसरे अध्याय में इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए कर्मयोग का गहन संदेश दिया है। इस … Read more