Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 52 Shloka 52 | गीता अध्याय 2 श्लोक 52 अर्थ सहित | यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्य…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 52 – गीता अध्याय 2 श्लोक 52 अर्थ सहित - यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्य.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 52 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 52 in Hindi): गीता के श्लोक 2.52(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 52) में भगवान श्रीकृष्ण ने मोह और अज्ञान के जाल से मुक्त होकर आत्मज्ञान प्राप्त करने का मार्ग दिखाया है। यह श्लोक न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे दैनिक जीवन … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 51 Shloka 51 | गीता अध्याय 2 श्लोक 51 अर्थ सहित | कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 51 – गीता अध्याय 2 श्लोक 51 अर्थ सहित - कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 51 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 51 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का अमूल्य ग्रंथ है। इसमें दिए गए श्लोक जीवन को दिशा देने और आत्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करते हैं। गीता के श्लोक 2.51(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 51) में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग और भक्ति … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 50 Shloka 50 | गीता अध्याय 2 श्लोक 50 अर्थ सहित | बुद्धियुक्तो जहातीह उभे…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 50 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 50 in Hindi): भगवद्गीता का श्लोक 2.50 (Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 50) जीवन की उन गूढ़ बातों को सरलता से प्रस्तुत करता है, जिनके माध्यम से हम कर्म और उसके बंधनों को समझ सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में कर्मयोग के महत्व … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 49 Shloka 49 | गीता अध्याय 2 श्लोक 49 अर्थ सहित | दुरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धञ्जय…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 49 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 49 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन का एक अमूल्य ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, भक्ति और आत्मज्ञान के महत्व के बारे में अद्भुत शिक्षा दी है। गीता के अध्याय 2 … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 48 Shloka 48 | गीता अध्याय 2 श्लोक 48 अर्थ सहित | योगस्थः कुरु कर्माणि…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 48 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 48 in Hindi): यह श्लोक भगवद्गीता के दूसरे अध्याय(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 48) का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का गूढ़ रहस्य समझाते हैं। इस श्लोक में सफलता-विफलता, सुख-दुख, और जय-पराजय को समान दृष्टि से देखने का उपदेश … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 47 Shloka 47 | गीता अध्याय 2 श्लोक 47 अर्थ सहित | कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 47 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 47 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक 2.47(Bhagavat Geeta Chapter 2 Shloka 47) “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य का बोध कराता है। यह श्लोक केवल एक साधारण उपदेश नहीं, बल्कि कर्मयोग का गहन दर्शन है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 46 Shloka 46 | गीता अध्याय 2 श्लोक 46 अर्थ सहित | यावानर्थ उदपाने सर्वतः…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 46 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 46 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान का वह अनमोल ग्रंथ है, जो मानव जीवन के हर पहलू को सरल और सटीक तरीके से समझाता है। गीता का प्रत्येक श्लोक जीवन की किसी गूढ़ समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। श्लोक 2.46, … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 45 Shloka 45 | गीता अध्याय 2 श्लोक 45 अर्थ सहित | त्रैगुण्यविषया वेदा…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 45 – गीता अध्याय 2 श्लोक 45 अर्थ सहित - त्रैगुण्यविषया वेदा.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 45 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 45 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय दर्शन का ऐसा ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू पर गहन ज्ञान प्रदान करता है। यह न केवल एक धार्मिक पुस्तक है, बल्कि यह आत्मा, ब्रह्मांड, और भौतिक जीवन के बीच संतुलन को समझाने का भी एक अद्वितीय … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 44 Shloka 44 | गीता अध्याय 2 श्लोक 44 अर्थ सहित | भोगैश्र्वर्यप्रसक्तानां…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 44 – गीता अध्याय 2 श्लोक 44 अर्थ सहित - भोगैश्र्वर्यप्रसक्तानां.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 44 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 44 in Hindi): गीता के अध्याय 2, श्लोक 44(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 44) में भगवान श्रीकृष्ण ने यह महत्वपूर्ण शिक्षा दी है कि भौतिक भोग और ऐश्वर्य के प्रति आसक्ति मनुष्य के मन की स्थिरता को बाधित करती है और उसे भगवान की … Read more

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 42, 43 Shloka 42, 43 | गीता अध्याय 2 श्लोक 42, 43 अर्थ सहित | यामिमां पुष्पितां…..कामात्मानः स्वर्गपरा…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 42, 43 – गीता अध्याय 2 श्लोक 42, 43 अर्थ सहित - यामिमां पुष्पितां.....कामात्मानः स्वर्गपरा.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 42, 43 (Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 42, 43 in Hindi): श्रीभगवद्गीता भारतीय संस्कृति और दर्शन का ऐसा ग्रंथ है, जो जीवन के गहन अर्थों और आध्यात्मिक ज्ञान को उजागर करता है। इसके प्रत्येक श्लोक में जीवन की किसी न किसी गूढ़ समस्या का समाधान छुपा हुआ है। गीता के … Read more