भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 21 का अर्थ: श्रेष्ठ पुरुष का आचरण समाज का मार्गदर्शक कैसे बनता है?
श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 21 (Bhagavad Geeta Adhyay 3 Shloka 21 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 3 का यह श्लोक 21 कर्मयोग के सिद्धांत को सामाजिक दृष्टिकोण से स्पष्ट करता है। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यह बताते हैं कि समाज जिनका अनुसरण करता है, वे श्रेष्ठजन यदि शुद्ध और आदर्श आचरण … Read more