Last Updated: 27 March 2025
दुर्गा कीलक स्तोत्र (Durga Kilak Stotram in Sanskrit) नवरात्रि में पढ़ने से घर आती है सुख-समृद्धि। जानें इसका हिंदी अर्थ, PDF, पाठ के लाभ (Durga Kilak Stotram benefits) और महत्व।
दुर्गा कीलक स्तोत्र (Durga Kilak Stotram) देवी दुर्गा की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़े जाने वाले प्रमुख स्तोत्रों में से एक है। यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान पढ़ा जाता है। कीलक का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कुंडी’ या ‘ताला’, और दुर्गा कीलक स्तोत्र इस कुंडी को खोलने की एक आध्यात्मिक कुंजी मानी जाती है, जिससे देवी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह माना जाता है कि दुर्गा कीलक स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में बाधाओं और कष्टों का नाश होता है और उसे देवी दुर्गा की अपार कृपा प्राप्त होती है।
इस स्तोत्र में देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है। दुर्गा कीलक को पढ़ने से व्यक्ति की भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है, और जीवन में आ रही नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

दुर्गा कीलक स्तोत्र संस्कृत में (Durga Kilak Stotram in Sanskrit)

॥अथ कीलकम्॥
विनियोग : ॐ अस्य श्रीकीलकमन्त्रस्य शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहासरस्वती देवता, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥
॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।
श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे॥१॥
सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम्।
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः॥२॥
सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि।
एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति॥३॥
न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते।
विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम्॥४॥
समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।
कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्॥५॥
स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः।
समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम्॥६॥
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः।
कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः॥७॥
ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति।
इत्थंरुपेण कीलेन महादेवेन कीलितम्॥८॥
यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्।
स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः॥९॥
न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते।
नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्॥१०॥
ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति।
ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः॥११॥
सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।
तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्॥१२॥
शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः।
भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्॥१३॥
ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।
शत्रुहानिःपरो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः॥१४॥
॥ इति देव्याः कीलकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
(पूरा स्तोत्र डाउनलोड करें: Durga Kilak Stotram PDF)
दुर्गा कीलक स्तोत्र का अर्थ (Durga Kilak Stotram Meaning)
इस स्तोत्र में देवी दुर्गा की ज्ञानमयी शक्ति, तीनों वेदों के रहस्यों को जानने वाली दिव्य दृष्टि और भक्तों को मंगल प्रदान करने वाली स्वरूप का वर्णन है। कीलक स्तोत्र का नियमित पाठ:
- सभी बाधाओं को दूर करता है।
- आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति देता है।
दुर्गा कीलक स्तोत्र (अर्थ सहित) | Durga Kilak Stotram with Meaning in Hindi
॥ अथ कीलकम् ॥
विनियोग
मंत्र: ॐ अस्य श्री कीलक मंत्रस्य शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, श्री महासरस्वती देवता, श्री जगदंबा प्रीत्यर्थं सप्तशती पाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥
अर्थ: इस कीलक मंत्र के ऋषि भगवान शिव हैं, इसका छंद अनुष्टुप है, इसकी देवता श्री महासरस्वती हैं और इसे सप्तशती पाठ के अंग रूप में जगदंबा की प्रसन्नता हेतु जप करने का संकल्प किया जाता है।
दुर्गा कीलक स्तोत्र (श्लोक व अर्थ)
॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥
मार्कण्डेय उवाच
श्लोक 1
ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।
श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे॥
अर्थ: मैं उन भगवान शिव को नमन करता हूँ जिनका शरीर शुद्ध ज्ञानमय है, जिनकी दृष्टि तीनों वेदों की दिव्य दृष्टि के समान है, जो समस्त कल्याण के प्रदाता हैं और जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है।
श्लोक 2
सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम्।
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः॥
अर्थ: जो इस स्तोत्र को जानकर सच्चे मन से जप करता है, वह समस्त मंत्रों के अवरोधों को दूर कर उनकी सिद्धि प्राप्त कर सकता है। निरंतर जप करने से साधक को पूर्ण कल्याण प्राप्त होता है।
श्लोक 3-4
सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि।
एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति॥
न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते।
विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम्॥
अर्थ: यह स्तोत्र जप करने से उच्चाटन (दुष्ट शक्तियों से मुक्ति) और अन्य सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। इसे जपने वालों को मंत्र, औषधि या अन्य उपायों की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि केवल इस स्तोत्र का पाठ ही सभी कार्यों को सिद्ध कर देता है।
श्लोक 5-6
समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।
कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्॥
स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः।
समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम्॥
अर्थ: इस स्तोत्र को करने से सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। भगवान शिव ने स्वयं इसे महाशक्ति की आराधना के लिए अनुशंसित किया था। यह स्तोत्र अत्यंत गोपनीय और दिव्य है, जिसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
श्लोक 7-8
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः।
कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः॥
ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति।
इत्थं रूपेण कीलेन महादेवेन कीलितम्॥
अर्थ: इस स्तोत्र का जप करने से निश्चित रूप से साधक को सभी प्रकार का कल्याण प्राप्त होता है। यदि इसे कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी या अष्टमी को श्रद्धा पूर्वक पढ़ा जाए, तो देवी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं। इस स्तोत्र को स्वयं भगवान महादेव ने आध्यात्मिक ताले (कीलक) से बांधा था, जिसे निष्कीलन करने पर ही इसकी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
श्लोक 9-10
यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्।
स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः॥
न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते।
नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्॥
अर्थ: जो व्यक्ति इस स्तोत्र को निष्कीलित कर नित्य स्पष्ट उच्चारण के साथ जप करता है, वह सिद्ध पुरुष बन जाता है। वह देवी के पार्षदों में गिना जाता है और गंधर्वों के समान दिव्यता प्राप्त करता है। वह किसी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है, अकाल मृत्यु से बचता है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है।
श्लोक 11-12
ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति।
ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः॥
सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।
तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्॥
अर्थ: इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले निष्कीलन विधि को जानना आवश्यक है। यदि कोई बिना निष्कीलन के जप करता है, तो उसे पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। देवी की कृपा से स्त्रियों में जो सौभाग्य, समृद्धि और ऐश्वर्य दिखाई देता है, वह इसी स्तोत्र के प्रभाव से प्राप्त होता है।
श्लोक 13-14
शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः।
भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्॥
ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।
शत्रुहानिः परो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः॥
अर्थ: इस स्तोत्र का निरंतर जप करने से व्यक्ति को महान संपत्तियाँ प्राप्त होती हैं। देवी की कृपा से ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, शत्रु नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो देवी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं, उनकी स्तुति कौन नहीं करेगा?
नवरात्रि में दुर्गा कीलक स्तोत्र पढ़ने के 7 चमत्कारी लाभ (Durga Kilak Stotram Benefits)
- विघ्नों का नाश: जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: भूत-प्रेत, बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: देवी की कृपा से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- धन-समृद्धि: आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: रोगों से मुक्ति मिलती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति में सहायक।
- मोक्ष की प्राप्ति: आत्मिक शुद्धि होती है।
नवरात्रि में दुर्गा कीलक स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
- स्नान कर पवित्र स्थान पर बैठें।
- देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- शुद्ध मन से दुर्गा कीलक स्तोत्र का पाठ करें।
- कम से कम 9 दिनों तक नवरात्रि में इसका नियमित पाठ करें।
- पाठ समाप्ति के बाद देवी दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
नवरात्रि में दुर्गा कीलक पढ़ने का महत्व
- विघ्नों का नाश: नवरात्रि के दौरान दुर्गा कीलक का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं और विघ्न दूर हो जाते हैं।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: यह स्तोत्र देवी दुर्गा की शक्तियों का आह्वान करता है, जिससे व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी आत्माओं से रक्षा मिलती है।
- आध्यात्मिक जागरूकता: दुर्गा कीलक का पाठ भक्त की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे देवी दुर्गा की आध्यात्मिक कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति का मन शांत और संतुलित रहता है।
- मनोकामना पूर्ण होना: दुर्गा कीलक का नियमित रूप से नवरात्रि में पाठ करने से देवी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्त जो भी अपने जीवन में प्राप्त करना चाहता है, उसे देवी की कृपा से आसानी से मिल सकता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस स्तोत्र के पाठ से घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूरे वातावरण को पवित्र और शांतिपूर्ण बनाता है।
- धन और समृद्धि: दुर्गा कीलक का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है। देवी दुर्गा की कृपा से घर में धन और धान्य की वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: दुर्गा कीलक का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना गया है। यह व्यक्ति को रोगों से बचाता है और दीर्घायु प्रदान करता है।
- संतान सुख: जिन भक्तों को संतान की प्राप्ति में कठिनाइयां आ रही हों, उनके लिए भी यह स्तोत्र अत्यधिक लाभकारी है। देवी की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कीलक स्तोत्र PDF डाउनलोड करें (कीलक स्तोत्र PDF in Sanskrit & Hindi)
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📥 Durga Kilak Stotram PDF in Hindi / Sanskrit
दुर्गा कीलक स्तोत्र एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। नवरात्रि के दौरान इसका पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य, धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है, बल्कि जीवन की सभी कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। इसलिए, दुर्गा कीलक का नवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करना अत्यधिक फलदायी होता है।
निष्कर्ष
दुर्गा कीलक स्तोत्र (Durga Kilak Stotram in Hindi/Sanskrit) एक चमत्कारी स्तोत्र है जो नवरात्रि में पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि और देवी कृपा प्राप्त होती है। इसकी PDF डाउनलोड कर नियमित पाठ करें।
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