क्या आप भी जीवन में सही निर्णय लेने को लेकर उलझन में रहते हैं?जानिए संत प्रेमानंद जी महाराज के वो विचार जो आपके हर फैसले को बना सकते हैं दिव्य और सटीक।
शास्त्र हैं सही-गलत के आधारप्रेमानंद जी कहते हैं –"तस्मात् शास्त्रं प्रमाणं ते…"शास्त्र ही निर्णय की कसौटी हैं। जो शास्त्र विरोधी है, वह गलत है।
सत्संग से मिलती है स्पष्टतायदि शास्त्रों का ज्ञान नहीं है, तो सत्संग को अपनाएं।सच्चे संतों की वाणी से सही-गलत का ज्ञान मिलता है।
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अंतरात्मा की आवाज को पहचानेंहर व्यक्ति के भीतर अंतरात्मा बोलती है।गलत काम करने से पहले एक चेतावनी सी मिलती है, वही भगवान की आवाज है।
रुकें, सोचें, सुनेंअगर निर्णय से पहले कुछ देर खुद से बात करें तो उत्तर मिल जाएगा।ईश्वर भीतर बैठकर मार्गदर्शन करते हैं।
मन बनाम आत्मामन की आवाज अक्सर स्वार्थ से भरी होती है।लेकिन आत्मा की आवाज हमेशा सत्य की ओर ले जाती है।
गुरुदेव सबके भीतर हैंप्रेमानंद जी कहते हैं –"अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्" …"हर जीव के भीतर गुरुदेव का निवास है, उनकी आवाज को सुनना सीखें।
भगवान की आज्ञा का पालन करेंजो व्यक्ति ईश्वर की आज्ञा को सर्वोपरि मानता है, वह पाप से बचा रहता है।निर्णय लेते समय यह भाव रखें – “मैं केवल निमित्त मात्र हूं।”
गलत निर्णयों से बचना है तो शास्त्र, सत्संग और अंतरात्मा को मार्गदर्शक बनाएं।प्रेमानंद जी महाराज की ये सीख आपके जीवन को दिशा दे सकती है।
मौत से डर लगता है? प्रेमानंद जी महाराज से जाने इस डर पर विजय कैसे पाये