स्कंद षष्ठी, जिसे षष्ठी व्रत या स्कंद षडानंद व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भगवान कार्तिकेय, जिन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र के रूप में जाना जाता है, की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। इस लेख में, हम मई 2024 में स्कंद षष्ठी व्रत के महत्व, शुभ तिथि, पूजा विधि, नियमों और कुछ अतिरिक्त जानकारी पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

स्कंद षष्ठी का इतिहास और पौराणिक महत्व (Skanda Sashti Importance)
स्कंद षष्ठी व्रत की धार्मिक परंपरा सदियों पुरानी है। इस व्रत से जुड़ी कई कथाएं हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं। आइए, इनमें से कुछ प्रमुख कथाओं को जानें:
- तारकासुर वध: सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने इसी दिन क्रूर राक्षस तारकासुर का वध किया था। तारकासुर को देवताओं से यह वरदान प्राप्त था कि उसे किसी 12 दिन या उससे अधिक उम्र के बालक द्वारा ही मारा जा सकता था। भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र स्कंद कार्तिकेय का जन्म छह दिनों में हुआ था, इसलिए उन्हें षष्ठी के बालक के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिकेय ने युद्ध में तारकासुर का वध किया और देवलोक की रक्षा की। इसी विजय के उपलक्ष्य में स्कंद षष्ठी का व्रत मनाया जाता है।
- विवाह की कामना: कुछ मान्यताओं के अनुसार, जो अविवाहित स्त्रियां सच्चे मन से स्कंद षष्ठी व्रत रखती हैं और भगवान कार्तिकेय की भक्ति करती हैं, उन्हें शीघ्र ही मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है। भगवान कार्तिकेय स्वयं विवाह के देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं।
- संतान प्राप्ति: स्कंद षष्ठी व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। भगवान कार्तिकेय स्वयं भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, और उनका आशीर्वाद संतान प्राप्ति की संभावनाओं को बढ़ाता है।
- मंगल दोष: ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को अशुभ ग्रह माना जाता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर विवाह में देरी या परेशानियां आ सकती हैं। ऐसी स्थिति में स्कंद षष्ठी व्रत रखने और भगवान कार्तिकेय की उपासना करने से मंगल दोष के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलती है।
मई 2024 में स्कंद षष्ठी व्रत: तिथि और शुभ मुहूर्त (Skanda Sashti 2024 Date and Time)
वर्ष 2024 में स्कंद षष्ठी का व्रत शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाएगा। आइए, मई 2024 में स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियों और मुहूर्तों को देखें:
- व्रत तिथि: 13 मई 2024 (शुक्रवार)
- षष्ठी तिथि प्रारंभ: 13 मई 2024, सुबह 02:03 बजे
- षष्ठी तिथि समापन: 14 मई 2024, सुबह 02:50 बजे
स्कंद षष्ठी व्रत की विधि: भक्तिभाव से करें पूजा (Skanda Sashti Puja Vidhi)
आइए, अब स्कंद षष्ठी व्रत की विधि को विस्तार से जानें:
1. व्रत की पूर्व संध्या:
- व्रत रखने से एक दिन पहले, यानी 12 मई 2024 (गुरुवार) को सात्विक भोजन करें।
- शाम के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और उसे सजाएं।
- आप चाहें तो पूजा स्थल पर रंगोली बना सकते हैं और दीप जला सकते हैं।
- भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या तस्वीर को स्नान कराएं और साफ वस्त्र पहनाएं।
2. व्रत का दिन (षष्ठी तिथि):
- सुबह स्नान: व्रत के दिन, यानी 13 मई 2024 (शुक्रवार) को सूर्योदय से पहले उठें। स्नान करके स्वच्छ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
- संकल्प: पूजा स्थान पर आसन लगाकर बैठ जाएं। भगवान कार्तिकेय का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय मन में यह निश्चय करें कि आप पूरे विधि-विधान से स्कंद षष्ठी व्रत का पालन करेंगे।
- पूजा सामग्री:
पूजा के लिए निम्न सामग्री एकत्रित कर लें:- भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या तस्वीर
- गणेश जी की प्रतिमा
- शिवलिंग और पार्वती जी की प्रतिमा (यदि आपके पास हों)
- दीपक और तेल या घी
- अगरबत्ती या धूप
- सिंदूर, रोली, अक्षत
- फल, फूल और मिठाई
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और चीनी का मिश्रण)
- वस्त्र (भगवान कार्तिकेय को अर्पित करने के लिए)
- व्रत कथा की पुस्तक
- पूजा आरंभ: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या तस्वीर को आसन पर स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय को स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं। अब उन्हें सिंदूर, रोली, अक्षत अर्पित करें। धूप जलाएं और दीप प्रज्वलित करें। भगवान कार्तिकेय को पंचामृत, फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं।
- मंत्र जप: भगवान कार्तिकेय के बीज मंत्र “ॐ はこんな感じ स्वाहा (Om̐ Ṣaṇmukha स्वाहा)” का जप करें। आप “स्कंद षष्ठी स्त्रोत” या “स्कंद कार्तिकेय चालीसा” का पाठ भी कर सकते हैं।
- व्रत कथा: इसके बाद शांतचित्त होकर स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें। कथा सुनने से व्रत का महत्व और फल प्राप्त होता है।
- आरती: अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें। आप सामूहिक आरती में भी शामिल हो सकते हैं।
3. व्रत का पालन:
- पूरे दिन सात्विक भोजन करें। आप फल, फूल, दूध और दूध से बने पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं।
- दिन भर भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते रहें।
- क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहें।
4. व्रत का पारण:
- व्रत का पारण अगले दिन, यानी 14 मई 2024 (शनिवार) को सूर्योदय के बाद किया जाता है।
- इस दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- इसके बाद आप स्वयं भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
स्कंद षष्ठी व्रत को विधि-विधानपूर्वक करने के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है:
- व्रत के नियम:
- व्रत के दिन मांसाहारी भोजन, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- लहसुन और प्याज का भी त्याग करना चाहिए।
- यदि संभव हो तो ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- किसी की निंदा या बुराई न करें।
- पूजा सामग्री:
- आप अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा सामग्री का चयन कर सकते हैं।
- उपरोक्त सूची में बताई गई सामग्री के अतिरिक्त आप भगवान कार्तिकेय को वस्त्र, ध्वजा या अन्य मनपसंद चीजें भी अर्पित कर सकते हैं।
- व्रत की अवधि:
- कुछ स्थानों पर स्कंद षष्ठी का व्रत एक दिन का रखा जाता है, जबकि कुछ जगहों पर इसे छह दिनों तक मनाया जाता है। आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य अनुसार व्रत की अवधि निर्धारित कर सकते हैं।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए:
- छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत रखना कठिन हो सकता है। ऐसी स्थिति में वे केवल पूजा में शामिल हो सकते हैं और फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
स्कंद षष्ठी व्रत के लाभ
स्कंद षष्ठी व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- भगवान कार्तिकेय की कृपा: माना जाता है कि सच्चे मन से स्कंद षष्ठी व्रत रखने से भगवान कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- संतान प्राप्ति: यह व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- विवाह में सफलता: अविवाहित स्त्रियों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
- मंगल दोष में कमी: ज्योतिष में मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।
- शांति और सौभाग्य: स्कंद षष्ठी व्रत करने से घर-परिवार में शांति और सौभाग्य का वास होता है।
स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी कथा (Skanda Sashti Katha)
कार्तिकेय द्वारा तारकासुर वध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दैत्यराज तारकासुर ने देवताओं को परेशान कर रखा था। उसे भगवान ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त था कि उसे किसी 12 दिन या उससे अधिक उम्र के बालक द्वारा ही मारा जा सकता था। देवताओं को समझ नहीं आ रहा था कि तारकासुर का वध कैसे किया जाए। तब भगवान शिव और पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद कार्तिकेय को जन्म दिया। कार्तिकेय का जन्म छह दिनों में हुआ था, इसलिए उन्हें षष्ठी का बालक भी कहा जाता है। कार्तिकेय माता पार्वती द्वारा युद्ध कौशल में निपुण बनाए गए और उन्होंने युद्ध में तारकासुर का वध कर देवलोक की रक्षा की। इसी विजय के उपलक्ष्य में स्कंद षष्ठी का व्रत मनाया जाता है।
स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़े उपाय
स्कंद षष्ठी व्रत के दौरान कुछ विशेष उपाय करने से भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने में और भी सहायता मिल सकती है, आइए इन्हें जानें:
- व्रत से पहले संकल्प: व्रत रखने से एक दिन पहले संकल्प लें। संकल्प लेते समय मन में यह निश्चय करें कि आप पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन करेंगे और भगवान कार्तिकेय की भक्ति भाव से पूजा करेंगे।
- पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें और उसे रंगोली, दीपक, फूल आदि से सजाएं। वातावरण को शुद्ध और दिव्य बनाएं।
- निष्ठा और श्रद्धा: पूजा हमेशा श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक करें। भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते रहें और उनकी कृपा प्राप्त करने की इच्छा रखें।
- व्रत कथा का पाठ: व्रत कथा का पाठ करने से व्रत के महत्व और फल के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। साथ ही, कथा सुनने से मन में सकारात्मक भाव पैदा होते हैं।
- दान का महत्व: व्रत के समापन पर किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं।
- ब्रह्मचर्य का पालन: यदि संभव हो तो व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। इससे मन को पवित्र रखने में सहायता मिलती है।
स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी सावधानियां
स्कंद षष्ठी व्रत करते समय कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए:
- स्वास्थ्य का ध्यान रखें: यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या आपका स्वास्थ्य कमजोर है, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें।
- मन को शांत रखें: व्रत के दौरान क्रोध, लोभ, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से दूर रहें। मन को शांत और सकारात्मक रखने का प्रयास करें।
- आहार का ध्यान: व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें। अस्वस्थ भोजन करने से व्रत का फल कम हो सकता है।
- अपने गुरु या पंडित से सलाह लें: यदि आप पहली बार स्कंद षष्ठी व्रत रख रहे हैं, तो किसी अनुभवी गुरु या पंडित से पूजा विधि के बारे में सलाह लें।
निष्कर्ष
स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने और उनका आशीर्वाद पाने का एक पावन अवसर है। यह व्रत सच्चे मन से और श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है। इस लेख में हमने स्कंद षष्ठी व्रत के महत्व, तिथि, पूजा विधि, नियमों, लाभों और इससे जुड़ी जानकारियों पर विस्तार से चर्चा की है। उम्मीद है कि यह लेख आपको स्कंद षष्ठी व्रत को मनाने में सहायता प्रदान करेगा।