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Shri Radha Rani Ji Ki Aarti:श्री राधा रानी की आरती- आरती भानु दुलारी की कि श्री बरसाने वाली की…..

राधा रानी की आरती एक महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है, जो भक्तों द्वारा राधा रानी की महिमा और उनकी आराधना के लिए किया जाता है। इस आरती के दौरान, भक्त गान और भजनों के माध्यम से राधा रानी का गुणगान करते हैं, जिससे उनके जीवन में दिव्यता और शांति का संचार होता है। आरती का यह पवित्र अनुष्ठान मन और आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। राधा रानी की आरती करने से भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।

इस आरती का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भक्तों को भगवान के निकट पहुंचने और उनकी अनंत प्रेम और कृपा का अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है। राधा रानी की आरती का नियमित उच्चारण करने से जीवन में सकारात्मकता और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

राधा रानी

राधा रानी की आरती का महत्व (Shri Radha Rani Ji Ki Aarti Ka Mahatva)

राधा रानी की आरती का महत्व अपार है, क्योंकि यह भक्तों को ईश्वरीय कृपा और आनंद का अनुभव कराती है। आरती के दौरान, भक्त अपनी संपूर्ण श्रद्धा और भक्ति को समर्पित कर, राधा रानी की महिमा का गुणगान करते हैं। इससे मन, शरीर और आत्मा में शुद्धि और शांति का संचार होता है। राधा रानी की आरती करने से पारिवारिक सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह आरती संकीर्तन और भजन के माध्यम से भगवान के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण को प्रकट करने का एक अद्वितीय तरीका है। इस आरती का नियमित उच्चारण करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और मानसिक सुकून की अनुभूति होती है।

राधा रानी की आरती (Shri Radha Rani Ji Ki Aarti)

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

विराजै सिंहासन श्यामा ।
दिव्य श्री वृन्दावन धामा ।।
ढुरावै चंवर सुघर बामा ।
पलोटै पग पूरण कामा ।।

लली पग अंक ।
चापी निःशंक ।
श्याम जनु रंक ।।

पाई निधि पारस प्यारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

गौर सिर कनक मुकुट राजै ।
चन्द्रिका चारु सुछवि छाजै ।।
कुटिल कुन्तल अली भल भ्राजै ।
लखत जेहि शिखि कलाप लाजै ।।

मांग सिंदूर ।
मोतियन पूर ।
सजीवन मूर ।।

ब्रह्मा गोवर्धनधारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

श्रवण बिच करणफूल झलकै ।
नासिका बिच बेसर हलकै ।।
गयन बिच प्रेम-सुधा छलकै ।
बंधु बल के लखि लखि ललकै ।।

चपलनथ चमक ।
दसन दुति दमक ।
सुमुखि मुख रमक ।

मधुर मुसुकनी सुकुमारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

मोतियन लरु उर मणिमाला ।
चिबुक झलकत इक तिल काला ।।
शम्भू शुक दे संग करताला ।
लली गुन गावती ब्रजबाला ।।

कबहुँ मुख मुरली ।
कबहुँ दृग दुरली ।
कबहुँ दृग जुरली ।।

कबहुँ सुधि भुरनी बिहारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

कीनारिन जरिन नील सारी ।
कंचुकी कुमकुम रंग वारि ।।
चुरी कर कंकन मनहारी ।
छीन कटि किंकिनि छवि न्यारी ।।

पायलनि पगनि ।
मिहावरी लगनि ।
बिछुवनी नगनि ।।

कृपालु सुकृति कुमारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।
आरती भानु दुलारी की ।
कि श्री बरसाने वाली की ।।

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 राधा रानी

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