You are currently viewing Shri Jagannath Aarti Lyrics: श्री जगन्नाथ आरती -चतुर्भुज जगन्नाथ…

Shri Jagannath Aarti Lyrics: श्री जगन्नाथ आरती -चतुर्भुज जगन्नाथ…

हिंदू धर्म में आरती का विशेष महत्व है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक भी है। जब हम श्री जगन्नाथ की आरती करते हैं, तो हम भगवान जगन्नाथ, जो कि जगत के नाथ हैं, के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। श्री जगन्नाथ पुरी के प्रसिद्ध मंदिर के अधिष्ठाता देवता हैं, और उनकी आरती का महत्व अत्यधिक है। इस लेख में हम श्री जगन्नाथ आरती के महत्व, लाभ और अंततः इसके निष्कर्ष पर चर्चा करेंगे।

Shri Jagannath Aarti Lyrics

श्री जगन्नाथ आरती

चतुर्भुज जगन्नाथ
कंठ शोभित कौसतुभः ॥

पद्मनाभ, बेडगरवहस्य,
चन्द्र सूरज्या बिलोचनः

जगन्नाथ, लोकानाथ,
निलाद्रिह सो पारो हरि

दीनबंधु, दयासिंधु,
कृपालुं च रक्षकः

कम्बु पानि, चक्र पानि,
पद्मनाभो, नरोतमः

जग्दम्पा रथो व्यापी,
सर्वव्यापी सुरेश्वराहा

लोका राजो, देव राजः,
चक्र भूपह स्कभूपतिहि

निलाद्रिह बद्रीनाथशः,
अनन्ता पुरुषोत्तमः

ताकारसोधायोह, कल्पतरु,
बिमला प्रीति बरदन्हा

बलभद्रोह, बासुदेव,
माधवो, मधुसुदना

दैत्यारिः, कुंडरी काक्षोह, बनमाली
बडा प्रियाह, ब्रम्हा बिष्णु, तुषमी

बंगश्यो, मुरारिह कृष्ण केशवः
श्री राम, सच्चिदानंदोह,

गोबिन्द परमेश्वरः
बिष्णुुर बिष्णुुर, महा बिष्णुपुर,

प्रवर बिशणु महेसरवाहा
लोका कर्ता, जगन्नाथो,
महीह करतह महजतहह ॥

महर्षि कपिलाचार व्योह,
लोका चारिह सुरो हरिह

वातमा चा जीबा पालसाचा,
सूरह संगसारह पालकह
एको मीको मम प्रियो ॥

ब्रम्ह बादि महेश्वरवरहा
दुइ भुजस्च चतुर बाहू,

सत बाहु सहस्त्रक
पद्म पितर बिशालक्षय

पद्म गरवा परो हरि
पद्म हस्तेहु, देव पालो

दैत्यारी दैत्यनाशनः
चतुर मुरति, चतुर बाहु
शहतुर न न सेवितोह …

पद्म हस्तो, चक्र पाणि
संख हसतोह, गदाधरह

महा बैकुंठबासी चो
लक्ष्मी प्रीति करहु सदा ।

श्री जगन्नाथ आरती का महत्व

श्री जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के चार धामों में से एक है, और यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर श्री जगन्नाथ की आरती का आयोजन बहुत ही विधि-विधान के साथ किया जाता है। यह आरती न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।

आरती का आयोजन मंदिर में दिन में तीन बार होता है: सुबह की मंगल आरती, दोपहर की मध्याह्न धूप और शाम की संध्या आरती। इन तीनों आरतियों का अपना-अपना विशेष महत्व है। मंगल आरती भगवान जगन्नाथ के जागरण और उनके दिन की शुरुआत का प्रतीक है। मध्याह्न धूप उनके मध्याह्न भोजन के समय होती है, जबकि संध्या आरती उनके दिन के अंत और विश्राम का प्रतीक है।

आध्यात्मिक महत्व

आरती का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह एक साधक और उसके आराध्य के बीच सीधा संवाद स्थापित करता है। आरती के दौरान, भक्त दीप जलाकर भगवान के सम्मुख उसे घुमाते हैं, जो कि अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का प्रतीक है।

आरती के दौरान गाए जाने वाले मंत्र और भजन भक्त के मन और आत्मा को भगवान के प्रति समर्पित करते हैं। यह समय साधक के लिए ध्यान और आत्मानुभूति का होता है, जिसमें वह अपनी सभी चिंताओं को भगवान के चरणों में समर्पित कर देता है और भगवान की असीम कृपा का अनुभव करता है।

श्री जगन्नाथ आरती के लाभ

श्री जगन्नाथ आरती के लाभ न केवल आध्यात्मिक होते हैं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक भी होते हैं। ये लाभ भक्त के जीवन में सकारात्मकता लाते हैं और उसकी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।

आध्यात्मिक लाभ

  1. दिव्य आशीर्वाद: श्री जगन्नाथ की आरती करने से भक्त को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद देते हैं। आरती एक प्रकार का समर्पण है, और भगवान अपनी कृपा से भक्त के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं।
  2. आंतरिक शांति: आरती के दौरान गाए जाने वाले मंत्र और भजनों का मधुर संगीत मन को शांति प्रदान करता है। यह ध्यान का एक रूप है जो भक्त के मन को भगवान की उपस्थिति में स्थिर करता है और उसे आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक जागरण: नियमित रूप से आरती में भाग लेने से भक्त का आध्यात्मिक जागरण होता है। यह उसके मन और हृदय को शुद्ध करता है और उसे भगवान की दिव्य ऊर्जा के प्रति संवेदनशील बनाता है। आरती का प्रभाव भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
  4. कर्मों का शुद्धिकरण: हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि आरती के माध्यम से भक्त के कर्मों का शुद्धिकरण होता है। दीप को भगवान के सामने घुमाने का अर्थ है अज्ञान को दूर कर ज्ञान का प्रसार करना। यह भक्त के पिछले पापों को शुद्ध करता है और उसे सकारात्मक कर्मों की ओर प्रेरित करता है।

मानसिक और भावनात्मक लाभ

  1. तनाव मुक्ति: आरती का संगीत और वातावरण मन को शांति प्रदान करता है, जिससे तनाव और चिंता दूर होती है। आरती के समय का यह वातावरण भक्त के मानसिक संतुलन को बनाए रखता है और उसे मानसिक शांति प्रदान करता है।
  2. भावनात्मक संतुलन: आरती के दौरान उत्पन्न होने वाली भक्ति और समर्पण की भावना भावनात्मक संतुलन लाती है। यह भक्त को अपने आंतरिक स्व के साथ जुड़ने में मदद करता है, जिससे उसके नकारात्मक भावनाओं का नाश होता है और उसे आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
  3. ध्यान और एकाग्रता: आरती के दौरान भक्त के सभी इंद्रियाँ अनुष्ठान में लगी रहती हैं, जिससे उसकी एकाग्रता बढ़ती है। आरती का अनुशासन भक्त को वर्तमान क्षण में ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे उसकी मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

श्री जगन्नाथ आरती एक अत्यंत प्रभावशाली आध्यात्मिक अभ्यास है, जो भक्त के जीवन को बदलने की क्षमता रखता है। यह एक साधक और भगवान के बीच सेतु का कार्य करती है, जिससे भक्त अपने हृदय में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति का अनुभव कर सकता है। आरती का महत्व इस बात में है कि यह अज्ञान के अंधकार को दूर कर भक्त के जीवन में दिव्य ज्ञान और प्रेम का प्रकाश फैलाती है।

श्री जगन्नाथ आरती के लाभ अनेक हैं, जो कि आध्यात्मिक, मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं। यह आरती भक्त को दिव्य आशीर्वाद, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक जागरण का अनुभव कराती है। यह मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करती है, जिससे जीवन में संतुलन और समरसता प्राप्त होती है।

अंत में, श्री जगन्नाथ आरती एक ऐसी आध्यात्मिक साधना है, जिसे सदियों से लाखों भक्तों ने पूजा और आदर से अपनाया है। यह न केवल भगवान का आदर-सम्मान करने का तरीका है, बल्कि आत्मा को पोषित करने और भक्त को परम सत्य के निकट लाने का एक साधन भी है। सच्ची भक्ति और समर्पण के साथ आरती में भाग लेने से, एक साधक भगवान जगन्नाथ की असीम कृपा का अनुभव कर सकता है और अपने आध्यात्मिक जीवन में उन्नति की दिशा में अग्रसर हो सकता है।

श्री जगन्नाथ आरती वीडियो (Shri Jagannath Aarti Video)

Leave a Reply