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Shivling Sthapana Muhurat 2024 July:जुलाई 2024 में शिवलिंग स्थापना मुहूर्त कब है, तिथि, भगवान शिव की प्राण-प्रतिष्ठा कैसे करें

हिंदू धर्म में, भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, जो ब्रह्मांड का सार और अनंत ऊर्जा का प्रतीक है। शिवलिंग की स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान करने से आपके निवास स्थान में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप जुलाई 2024 में अपने घर में शिवलिंग स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

Shivling Sthapana Muhurat 2024

जुलाई 2024 में शिवलिंग स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त (Shivling Sthapana Muhurat 2024 July)

जुलाई 2024 में शिवलिंग स्थापना के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं. हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये तिथियां और समय अनुमानित हैं और आपके स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, शिवलिंग स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित करने के लिए किसी पंडित या ज्योतिषी से परामर्श करना सबसे उचित है.

निम्नलिखित तिथियां जुलाई 2024 में शिवलिंग स्थापना के लिए शुभ मानी जाती हैं:

  • मासिक शिवरात्रि: 4 जुलाई 2024 (सुबह 5:44 बजे से 5:57 बजे तक) – शिवरात्रि का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन शिवलिंग स्थापना करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अष्टमी तिथि: 12 जुलाई 2024 (सुबह 9:24 बजे से 11:06 बजे तक) – अष्टमी तिथि शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक है।
  • दशमी तिथि: 14 जुलाई 2024 (सुबह 7:13 बजे से 8:55 बजे तक) – दशमी तिथि कार्यों को पूरा करने और सफलता प्राप्त करने के लिए शुभ मानी जाती है।
  • पूर्णिमा तिथि: 20 जुलाई 2024 (सुबह 4:02 बजे से 5:44 बजे तक) – पूर्णिमा का दिन शांति और सद्भाव का प्रतीक है।
  • रविवार: 28 जुलाई 2024 (सुबह 6:22 बजे से 8:03 बजे तक) – रविवार सूर्य देव का दिन है और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।

शिवलिंग स्थापना से पहले की आवश्यक तैयारियां (Preparation Of Shivling Sthapana)

शिवलिंग स्थापना शुभ मुहूर्त में की जानी चाहिए, लेकिन उससे पहले कुछ आवश्यक तैयारियां करनी होती हैं.

  • शिवलिंग का चयन: शिवलिंग विभिन्न सामग्रियों जैसे नर्मदा नदी का शिवलिंग, स्फटिक शिवलिंग, गोमती शिवलिंग, आदि से बने होते हैं। आप अपनी इच्छानुसार कोई भी शिवलिंग चुन सकते हैं।
  • पूजा सामग्री: शिवलिंग स्थापना और पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
    • गंगाजल
    • दूध
    • दही
    • घी
    • शहद
    • बेलपत्र
    • आक/धतूरे के फूल (वैकल्पिक)
    • चावल
    • फल
    • मिठाई
    • धूप
    • दीपक
    • रुद्राक्ष माला (वैकल्पिक)
    • पंचामृत पात्र
    • अभिषेक के लिए जल पात्र
  • पूजा स्थल की तैयारी: अपने घर में एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जिसे आप अपने पूजा स्थल के रूप में स्थापित कर सकें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर रंगोली बनाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर एक साफ कपड़ा बिछाएं।

शिवलिंग स्थापना विधि (How to do Shivling Sthapana)

जब आपने शुभ मुहूर्त का चयन कर लिया है और आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं, तो आप शिवलिंग स्थापना की विधि शुरू कर सकते हैं।

  1. शिवलिंग का शुद्धिकरण: सबसे पहले, शिवलिंग को गंगाजल से अच्छी तरह से स्नान कराएं। इसके बाद, दूध, दही, घी और शहद को मिलाकर पंचामृत बनाएं और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक के दौरान आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  2. स्थापना: शिवलिंग को चौकी पर रखें। इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख वाला होना चाहिए। चौकी के आधार पर स्वस्तिक बनाएं और फिर शिवलिंग के चारों ओर चावल चढ़ाएं।
  3. आवश्यक पूजा सामग्री अर्पित करना: शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं। आप चाहें तो आक या धतूरे के फूल भी चढ़ा सकते हैं, हालांकि ये फूल हर जगह उपलब्ध नहीं होते हैं। शिवलिंग पर फल और मिठाई का भोग भी अर्पित करें।
  4. धूप और दीप: धूप जलाएं और शिवलिंग की आरती करें। आप रुद्राक्ष की माला का उपयोग करके भी आरती कर सकते हैं (यह वैकल्पिक है)।
  5. मंत्र जाप और प्रार्थना: शिवलिंग स्थापना के बाद, शिव स्तोत्र का पाठ करें। आप शिव चालीसा, लिंगाष्टक, या किसी अन्य शिव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद, अपनी मनोकामनाओं को ध्यान में रखते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करें।
  6. नियमित पूजा: शिवलिंग स्थापना के बाद, यह महत्वपूर्ण है कि आप नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें। दिन में कम से कम एक बार शिवलिंग का जल से अभिषेक करें, बेलपत्र चढ़ाएं, और धूप-दीप जलाएं। आप अपनी क्षमता के अनुसार शिवलिंग का पंचामृत से भी अभिषेक कर सकते हैं।

प्राण-प्रतिष्ठा का महत्व (Significance of Prana Pratishtha)

शिवलिंग स्थापना के अलावा, आप शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान भी कर सकते हैं। प्राण-प्रतिष्ठा एक वैदिक अनुष्ठान है जिसमें शिवलिंग में प्राण (जीवन शक्ति) का आह्वान किया जाता है। यह अनुष्ठान एक पंडित या पुजारी द्वारा किया जाता है और इसमें मंत्रोच्चार, पूजा-अर्चना और हवन शामिल होते हैं।

हालांकि शिवलिंग स्थापना अपने आप में ही शुभ होती है, लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान करने से शिवलिंग में दिव्य शक्ति का संचार होता है और यह भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में कार्य करता है।

यदि आप विधि-विधान से पूजा करना चाहते हैं और शिवलिंग में दिव्य शक्ति का आह्वान करना चाहते हैं, तो प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान करवाना लाभदायक माना जाता है।

शिवलिंग स्थापना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू

शिवलिंग स्थापना करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

  • शिवलिंग का आकार और सामग्री: शिवलिंग विभिन्न आकारों और सामग्रियों से बने होते हैं। आप अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार शिवलिंग का चयन कर सकते हैं। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप किसी विश्वसनीय स्रोत से शिवलिंग खरीदें।
  • पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को हमेशा साफ और स्वच्छ रखना चाहिए। शिवलिंग स्थापना से पहले और बाद में भी पूजा स्थल की अच्छी तरह से सफाई करें।
  • श्रद्धा और भक्ति: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिवलिंग स्थापना और पूजा श्रद्धा और भक्तिभाव से की जानी चाहिए। विधि-विधानों का पालन करना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है भगवान शिव के प्रति आपकी आस्था।

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान

जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्राण-प्रतिष्ठा एक जटिल वैदिक अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान को करने के लिए किसी अनुभवी पंडित या पुजारी को आमंत्रित करना सबसे अच्छा होता है।

यदि आप प्राण-प्रतिष्ठा करवाने का निर्णय लेते हैं, तो पंडित से विस्तार से चर्चा करें। उन्हें शिवलिंग की सामग्री, आपके स्थान और जन्मतिथि के बारे में बताएं। पंडित अनुष्ठान के लिए आवश्यक सामग्री और शुभ मुहूर्त का चयन करेंगे।

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में आम तौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. षोडशोपचार पूजा: पंडित द्वारा शिवलिंग की विधिवत षोडशोपचार पूजा की जाती है। इस पूजा में गणेश पूजन, कलश स्थापना, मंडप पूजन, आवाहन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार, आदि विभिन्न चरण शामिल होते हैं।
  2. मंत्र जाप: पंडित वेद मंत्रों और शिव स्त्रोत्रों का जाप करते हैं।
  3. हवन: अनुष्ठान के दौरान हवन किया जाता है, जिसमें पवित्र आग्नि में विभिन्न सामग्रियों की आहुति दी जाती है।
  4. पूर्णा हूति: अनुष्ठान का समापन पूर्णा हूति के साथ होता है।

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान पूरा होने के बाद, पंडित आपको शिवलिंग की नियमित देखभाल और पूजा करने का मार्गदर्शन देंगे।

उपसंहार

शिवलिंग स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा भगवान शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करने के पवित्र तरीके हैं। यह लेख आपको शिवलिंग स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़ी जानकारी प्रदान करता है। हालाँकि, अनुष्ठानों को सही ढंग से करने और अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी अनुभवी पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लेना सबसे उचित है।

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