षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से पापों का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।इस दिन व्रत और पूजा के साथ तिल का विशेष महत्व होता है। तिल का दान, तिल से स्नान और तिल का सेवन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पापों का अंत होता है और जीवन में शांति व सुख का संचार होता है।

षटतिला एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। व्रतधारी को सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान व उनकी आराधना करनी चाहिए। इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है ताकि व्रत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके।
षटतिला एकादशी व्रत 2025 तिथि और समय (Shattila Ekadashi 2025 Date and Time)
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि इस वर्ष 2025 में शुक्रवार, 24 जनवरी को शाम 7 बजकर 25 मिनट पर आरंभ होगी। यह तिथि शनिवार, 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
उदयातिथि के अनुसार, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी 2025, शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन व्रतधारी भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।
षटतिला एकादशी व्रत का महत्व (Shattila Ekadashi Vrat Mahtava)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि देवी एकादशी की उत्पत्ति स्वयं भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मोक्ष का वरदान देते हैं और उन्हें बैकुंठ धाम में स्थान प्रदान करते हैं। यह व्रत व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्त करता है।
हर वर्ष कुल 14 एकादशी व्रत होते हैं, और प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। यह व्रत न केवल भौतिक सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए किया जाता है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन किया गया दान और पुण्य कर्म कई गुना बढ़कर फल प्रदान करता है।
षटतिला एकादशी के दिन क्या करें? (Shattila Ekadashi Do’s)
- इस पावन दिन पर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- तिल से स्नान करें, पूजा में तिल अर्पित करें और तिल से बने प्रसाद का भोग लगाएं, इसे अत्यंत शुभ माना गया है।
- यदि पूर्ण व्रत करना संभव न हो, तो सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
- जरूरतमंदों को दान देने का विशेष महत्व है, इससे असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, यह न केवल मन को शांति देता है बल्कि आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
षटतिला एकादशी के दिन क्या न करें? (Shattila Ekadashi Dont’s)
- इस दिन चावल का सेवन वर्जित है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से मानी जाती है।
- क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।
- बैंगन का सेवन इस व्रत में निषेध है। इस दिन आपको जमीन पर ही सोने का नियम अपनाना चाहिए।
- एकादशी के दिन घर में झाड़ू लगाने से बचें, ताकि किसी सूक्ष्म जीव की हानि न हो।
- व्रत से पहले तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें, अन्यथा व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता।
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