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Sharad Purnima 2024:शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर? जाने इसके पीछे का कारण

भारतीय संस्कृति और परंपराओं में प्रत्येक तीज-त्योहार का एक विशेष महत्व होता है, जिसमें धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण सम्मिलित होते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व कम नहीं है। विशेष रूप से, शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की रोशनी में खीर रखने की परंपरा का गहरा धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है।

Sharad Purnima 2024

चन्द्रमा होता है अपनी पूर्णतम अवस्था में (Sharad Purnima 2024)

शरद पूर्णिमा को देवी लक्ष्मी और चन्द्रमा की विशेष पूजा का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा अपनी पूर्णतम अवस्था में होता है, जिससे उसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत के समान बरसती हैं। धार्मिक ग्रंथों में इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस रात चन्द्रमा की किरणों में अलौकिक शक्तियां होती हैं, जो रोगों को दूर करती हैं और शरीर को शुद्ध करती हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की रोशनी में रखी गई खीर में अमृत तत्व उत्पन्न होता है। इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य में लाभ होता है और यह शरीर को रोगमुक्त करने में सहायक होती है। इसके साथ ही, यह भी माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग इस दिन जागरण करते हैं, उनकी समृद्धि में वृद्धि होती है। इसलिए इस दिन खीर बनाकर उसे चन्द्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण

यदि हम शरद पूर्णिमा की परंपरा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो इसके पीछे कई रोचक तथ्य सामने आते हैं। चन्द्रमा की किरणों का शरीर और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव होता है। वैज्ञानिक रूप से, शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा पृथ्वी के काफी निकट होता है, और उसकी किरणों में विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी हो सकती है।

शरद पूर्णिमा की रात मौसम में नमी और ठंडक का प्रभाव रहता है। जब दूध और चावल से बनी खीर को रातभर चन्द्रमा की रोशनी में रखा जाता है, तो चन्द्रमा की किरणें इस खीर पर अपना प्रभाव डालती हैं। इससे खीर में कुछ विशेष गुण उत्पन्न होते हैं, जो इसे शरीर के लिए पौष्टिक और पाचन के लिए लाभकारी बनाते हैं। वैज्ञानिक यह मानते हैं कि चन्द्रमा की किरणों में ऐसी ऊर्जा होती है, जो भोजन में मौजूद तत्वों के रासायनिक गुणों को बदल सकती है और उसे शरीर के लिए अधिक स्वास्थ्यवर्धक बना सकती है।

इसके अलावा, शरद पूर्णिमा के समय वायुमंडल में नमी का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध और स्वस्थ रहता है। इस समय खीर को बाहर रखने से उसमें कोई हानिकारक तत्व प्रवेश नहीं करते और यह सुरक्षित रहती है।


शरद पूर्णिमा की रात को खीर रखने के पीछे आध्यात्मिक कारण

शरद पूर्णिमा की रात को खीर रखने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों के साथ ही आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मिक शांति का भी प्रतीक है। जब खीर को चन्द्रमा की शीतल और शांत किरणों के नीचे रखा जाता है, तो यह एक प्रकार की साधना मानी जाती है, जो मन को शांति प्रदान करती है और जीवन में संतुलन लाती है।

योग और ध्यान में चन्द्रमा को शांति और संतुलन का प्रतीक माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात को खीर रखने की यह परंपरा व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। इसके साथ ही, चन्द्रमा की ऊर्जा व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे वह जीवन में बेहतर निर्णय ले सकता है।

निष्कर्ष

शरद पूर्णिमा की रात को खीर को चन्द्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा का धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपी गहरी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विचारधाराएं हैं। यह परंपरा हमें हमारे शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है। चाहे हम इसे धार्मिक दृष्टि से देखें या वैज्ञानिक, शरद पूर्णिमा का यह पर्व हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और उसके चमत्कारों को अनुभव करने का अवसर देता है।

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