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Shani Trayodashi December 2024: दिसंबर 2024 में शनि त्रयोदशी कब है? जानिये क्यों मनाई जाती है शनि त्रयोदशी

Shani Trayodashi December 2024: हिंदू धर्म में शनि त्रयोदशी व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव और शनि देव को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विधि-विधान से इस व्रत को करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष विधान है। साथ ही शनि देव की आराधना करने से व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

Shani Trayodashi December 2024

शनि त्रयोदशी दिसंबर 2024 तिथि (Shani Trayodashi Dec 2024 Date)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शनि त्रयोदशी का प्रारंभ 28 दिसंबर को देर रात 2 बजकर 28 मिनट पर होगा और इसका समापन 29 दिसंबर को देर रात 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। चूंकि यह त्रयोदशी शनिवार के दिन पड़ रही है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, शनि त्रयोदशी व्रत से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और शनि देव की उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि त्रयोदशी के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसे जानने से व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

शनि त्रयोदशी कथा (Shani Trayodashi Katha)

प्राचीन समय की बात है, एक नगर में एक सेठ अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनकी शादी को कई वर्ष बीत चुके थे, लेकिन उन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी। संतान न होने के कारण सेठ और सेठानी हमेशा उदास और चिंतित रहते थे। एक दिन दोनों ने निर्णय लिया कि वे तीर्थ यात्रा पर जाएंगे और भगवान से अपनी इच्छा पूरी करने का आशीर्वाद मांगेंगे।

शुभ समय देखकर वे तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक साधु दिखाई दिए। साधु को देखकर दोनों उनके चरणों में प्रणाम करने के लिए रुक गए। फिर वे साधु के पास जाकर बैठ गए। उस समय साधु ध्यान में लीन थे। कुछ समय बाद जब साधु का ध्यान समाप्त हुआ, तब उन्होंने सेठ और सेठानी की ओर देखा। सेठ-सेठानी ने साधु को प्रणाम किया और उनके व्यवहार से साधु अत्यंत प्रसन्न हुए।

इसके बाद सेठ और सेठानी ने साधु को अपनी तीर्थ यात्रा का कारण बताया। उनकी बात सुनने के बाद साधु ने उन्हें शनि त्रयोदशी व्रत का महत्व समझाया और इस व्रत को विधिपूर्वक करने की सलाह दी। साधु ने कहा कि इस व्रत को करने से उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।

सेठ और सेठानी साधु की सलाह मानकर तीर्थ यात्रा पूरी कर घर लौट आए। फिर उन्होंने श्रद्धा और विश्वास के साथ शनि त्रयोदशी का व्रत रखा और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की। व्रत के प्रभाव से कुछ समय बाद सेठानी गर्भवती हो गईं और उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।

इस प्रकार शनि त्रयोदशी व्रत के प्रभाव से सेठ और सेठानी का जीवन सुखमय हो गया और उनकी मनोकामना पूरी हो गई।

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