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Pradosh Vrat March 2025: जाने प्रदोष व्रत मार्च में कब -कब है? साथ ही जाने पूजा विधि और इस व्रत के लाभ

शिव पुराण में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न और धन का दान भी आवश्यक है। मार्च का महीना शुरू हो चुका है, आइए जानते हैं इस माह में कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत
Pradosh Vrat March 2025

यह पर्व महादेव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। पूजा के दौरान शिवलिंग का गंगाजल, कच्चे दूध, दही और अन्य सामग्रियों से अभिषेक करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन इन शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति को करियर में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मार्च में प्रदोष व्रत की तिथियां (Pradosh Vrat 2025 March)

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्च में पहला प्रदो ष व्रत 11 मार्च को है, और इस महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 27 मार्च को मनाया जाएगा।

प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 08:13 बजे से शुरू होकर 12 मार्च को सुबह 09:11 बजे समाप्त होगी। इसलिए 11 मार्च को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन महादेव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 06:27 बजे से 08:53 बजे तक है।

प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 27 मार्च को रात 01:42 बजे से होगा और तिथि का समापन 27 मार्च को रात 11:03 बजे पर होगा। इस प्रकार, 27 मार्च को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06:36 से 08:56 तक है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • किसी के बारे में गलत न सोचें और न ही किसी से वाद-विवाद करें।
  • सात्विक भोजन का सेवन करें।
  • व्रत के नियमों का विधिपूर्वक पालन करें।
  • अन्न और धन का दान करें।
  • शिवलिंग का विशेष सामग्रियों से अभिषेक करें।

प्रदोष व्रत कैसे करें (How To Do Pradosh Vrat In Hindi)

प्रदोष व्रत रखने के दो तरीके हैं। पहले तरीके में, व्रत वाले दिन सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक उपवास किया जा सकता है। दूसरे तरीके में, सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत किया जा सकता है। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी तरीके से प्रदोष व्रत रख सकते हैं। प्रदोष का अर्थ सूर्यास्त के समय के आसपास होता है, इसलिए प्रदोष व्रत के दिन इस समय में शिव जी की पूजा अवश्य करें।

प्रदोष व्रत कितने करने चाहिए? (Pradosh Vrat Kitne Rakhna Chahiye)

यदि कोई मनोकामना है तो प्रदोष व्रत लगातार 11 या 26 त्रयोदशी तक रखें और इसके बाद विधि विधान से इसका उद्यापन करें। कई लोग यह व्रत कई वर्षों तक रखते हैं। यदि आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो एक समय बाद इसका उद्यापन अवश्य करें। उद्यापन के बाद आप चाहें तो फिर से यह व्रत शुरू कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा पर बैठें।
  • पूजन स्थल को साफ करें और रंगोली बनाएं।
  • उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके, या घर के वास्तु अनुरूप मंदिर की दिशा में भगवान शिव की पूजा करें।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • सोम प्रदोष के दिन रोग मुक्ति के लिए शिव मंदिर में कुश और गंगाजल से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
  • पूरे दिन फलाहार का व्रत रखें और सायंकाल मंदिर अवश्य जाएं।

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