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Navratri 9th day: नवरात्रि का नौवां दिन | मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri), मंत्र, कथा, पूजा विधि…

माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं और यह नवदुर्गा की अंतिम स्वरूप हैं। उनका नाम ‘सिद्धिदात्री’ का अर्थ है – ‘सिद्धियों को देने वाली’। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को 18 प्रकार की सिद्धियों का वरदान देती हैं। यह देवी ज्ञान, आध्यात्मिकता और परिपूर्णता का प्रतीक मानी जाती हैं।

माँ सिद्धिदात्री कौन हैं? (Maa Siddhidatri in Hindi)

माँ सिद्धिदात्री संसार की उन देवियों में से एक हैं जो अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करने में सक्षम हैं। पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु ने खुद इनकी पूजा करके आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त की थीं। सिद्धियों को प्रदान करने के कारण माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार के दुखों का नाश करती हैं और जीवन में सफलता का मार्ग दिखाती हैं।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप (Maa Siddhidatri Ka Swaroop)

माँ सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान होती हैं। उनका वाहन सिंह है, और वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके चार हाथों में क्रमशः गदा, चक्र, शंख और कमल का पुष्प होता है। उनका सौम्य और सुंदर स्वरूप भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है। वे आध्यात्मिक और सिद्धियों के मार्ग की देवी मानी जाती हैं।

माँ सिद्धिदात्री का महत्व (Maa Siddhidatri Ka Mahatva)

माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को जीवन में शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इनकी कृपा से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त होती है। भक्तों के सभी प्रकार के भय, शोक और रोग दूर हो जाते हैं और वे अपने जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मज्ञान की प्राप्ति करते हैं।

नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Maa Siddhidatri Ki Puja Vidhi)

नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर साफ वस्त्र धारण करते हैं। माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाया जाता है और फूल, चंदन, रोली, अक्षत, धूप और प्रसाद चढ़ाया जाता है। माँ को विशेष रूप से सफेद फूल और मिष्ठान्न पसंद हैं, इसलिए सफेद रंग का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद माँ की आरती की जाती है और “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का जप किया जाता है।

इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर भोजन कराया जाता है। पूजा के अंत में माता से अपने जीवन के सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।

माँ सिद्धिदात्री मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)

स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तोत्र
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥

माँ सिद्धिदात्री की कथा (Maa Siddhidatri Ki Katha)

माँ सिद्धिदात्री की कथा के अनुसार, जब संसार का सृजन हुआ, तब भगवान शिव ने स्वयं को आधा पुरुष और आधा स्त्री के रूप में प्रकट किया। इस अर्द्धनारीश्वर रूप में शिव के स्त्री पक्ष में माँ सिद्धिदात्री विराजमान थीं। माना जाता है कि भगवान शिव ने माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही स्वयं को पूर्ण किया और 18 प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त कीं। इन्हीं सिद्धियों के प्रभाव से वे त्रिलोक के सबसे शक्तिशाली देव बने। माँ सिद्धिदात्री ने शिव के साथ-साथ अन्य देवताओं, ऋषियों और साधकों को भी ये सिद्धियाँ प्रदान कीं, जिससे वे संसार के कल्याण में योगदान दे सके।

माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को आत्मज्ञान और सिद्धियों की प्राप्ति होती है, जिससे वे संसार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। इस प्रकार, माँ सिद्धिदात्री का महत्व संसार में सिद्धियों और मोक्ष के मार्गदर्शन के रूप में है।

नवरात्रि के नौवें दिन का व्रत (Navratri 9th Day Vrat)

नवरात्रि के नौवें दिन का व्रत माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है, जो सिद्धियों की देवी मानी जाती हैं। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और पूरे दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत के दौरान कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी रूप मानकर पूजते हैं। व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

नवरात्रि के आठवे दिन मां सिद्धिदात्री फोटो (Navratri 9th Day Maa Siddhidatri Images)

Maa Siddhidatri Image One
Maa Siddhidatri Image Two

माँ सिद्धिदात्री का प्रिय रंग और भोग (Maa Siddhidatri Ka Priya Bhog Aur Rang)

माँ सिद्धिदात्री का प्रिय रंग बैंगनी (वायलेट) है। यह रंग अध्यात्म और शांति का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों को आंतरिक संतुलन और शांति प्रदान करता है। इस दिन भक्त माँ सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग के वस्त्र अर्पित करते हैं और उनके समक्ष इस रंग के फूलों का प्रयोग करते हैं।

माँ सिद्धिदात्री को विशेष रूप से मिष्ठान्न का भोग प्रिय है, विशेषकर नारियल और हलवा का भोग चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, सफेद और हल्के मीठे पदार्थों का भी प्रयोग किया जाता है, जो देवी को अत्यंत प्रिय होते हैं।

नवरात्रि के नौवें दिन का महत्व और लाभ

नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस दिन देवी से सिद्धियों और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और सिद्धियों की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो साधना, तपस्या और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हैं।

माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। भक्तों के सभी रोग, शोक और कष्ट दूर हो जाते हैं, और वे जीवन में संतुलन और शांति का अनुभव करते हैं। इस दिन की पूजा से आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा से लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: माँ सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  2. सिद्धियों की प्राप्ति: देवी की कृपा से भक्तों को 18 प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जिससे वे संसार में अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक पालन कर सकते हैं।
  3. कष्टों से मुक्ति: माँ सिद्धिदात्री की पूजा से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट, बाधाएं और रोग समाप्त हो जाते हैं।
  4. शांति और संतुलन: भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाता है।
  5. आर्थिक और भौतिक समृद्धि: माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को भौतिक और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है, जिससे उनका जीवन सुखमय होता है।

निष्कर्ष

माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन देवी की उपासना करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है और वे जीवन के सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को आत्मिक शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है, जो उन्हें एक संतुलित और सुखमय जीवन प्रदान करती है।

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