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Navratri 7th day: नवरात्रि का सातवां दिन | Maa Kalratri (Maa Kalratri), मंत्र, कथा, पूजा विधि…

माँ कालरात्रि, माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। वह शक्ति और विनाश का प्रतीक हैं, जो दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को भय और बुराई से मुक्त करती हैं। “कालरात्रि” का अर्थ होता है “रात का विनाशकारी रूप“। यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि माँ कालरात्रि ने बुराई और अंधकार को समाप्त करने के लिए जन्म लिया। उनका स्वरूप भयावह होते हुए भी भक्तों के लिए कल्याणकारी है।

माँ कालरात्रि कौन है? (Maa Kalratri In Hindi)

माँ कालरात्रि महाकाली का एक उग्र रूप हैं, जिनका कार्य अज्ञान, बुराई और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करना है। वह ब्रह्मांड की प्रचंड और विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो बुराई को जड़ से समाप्त करती है। पुराणों के अनुसार, माँ कालरात्रि ने शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे महादुष्टों का वध किया था। उनकी पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट और दुखों का नाश होता है, और उन्हें जीवन में भय से मुक्ति मिलती है।

माँ कालरात्रि का स्वरूप (Maa Kalratri Ka Swaroop)

माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत उग्र और डरावना होता है। उनका शरीर काला है, जो अंधकार और विनाश का प्रतीक है। उनके तीन नेत्र हैं, जो त्रिकाल (भूत, वर्तमान, और भविष्य) को देखने की शक्ति का प्रतीक हैं। उनकी साँस से अग्नि निकलती है और उनके बाल खुले और बिखरे हुए होते हैं। माँ कालरात्रि के चार हाथ होते हैं: एक हाथ में तलवार, दूसरे में वज्र, और अन्य दो हाथों में वरदान और अभय मुद्रा होती है। माँ कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं, जो विनम्रता और दृढ़ता का प्रतीक है।

उनका यह स्वरूप बुराई का संहार करता है, लेकिन साथ ही उनके भक्तों को सुरक्षा और साहस प्रदान करता है। उनकी उपासना से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं और संकटों का नाश होता है।

माँ कालरात्रि का महत्व (Maa Kalratri Mahatva)

माँ कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। उनका यह रूप शत्रुओं का विनाश करने वाला और बुराइयों से मुक्त करने वाला माना जाता है। माँ कालरात्रि की उपासना करने से भक्तों को जीवन के सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, माँ की कृपा से उनके भक्तों का मार्ग प्रशस्त होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं का अंत होता है।

माँ कालरात्रि उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जो अपने जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक संकटों का सामना कर रहे हैं। उनकी पूजा करने से साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्राप्त होती है। विशेष रूप से, जो लोग किसी भय, शत्रु, या नकारात्मक शक्ति से परेशान हैं, उनके लिए माँ कालरात्रि की उपासना बहुत फलदायी होती है।

नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalratri Ki Puja Vidhi)

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। यह पूजा विधि भक्तों को भय, शत्रु और बाधाओं से मुक्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

  1. स्नान और शुद्धिकरण: सबसे पहले पूजा करने वाले को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और मन को पवित्र रखना चाहिए।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें और दीप जलाकर उन्हें प्रणाम करें।
  3. पूजा सामग्री: रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), पान, सुपारी, और काले तिल आदि पूजा सामग्री एकत्र करें। माँ कालरात्रि को विशेष रूप से गुड़ का भोग लगाया जाता है।
  4. मंत्र जाप: माँ कालरात्रि के विशेष मंत्र का जाप करें। “ॐ कालरात्र्यै नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान करें। इससे मानसिक शांति और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  5. प्रसाद और आरती: माँ को गुड़ और अन्य नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के बाद माँ कालरात्रि की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
  6. ध्यान और साधना: पूजा के अंत में माँ कालरात्रि का ध्यान करें और उनसे अपने सभी भय और कष्टों को समाप्त करने की प्रार्थना करें। इस दिन विशेष रूप से रात्रि में ध्यान करना शुभ माना जाता है।

माँ कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra,Stotra)

स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

प्रार्थना
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तोत्र
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

माँ कालरात्रि की कथा (Maa Kalratri Ki Katha)

माँ कालरात्रि की कथा असुरों के अत्याचारों से जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर रक्तबीज ने देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। रक्तबीज को एक वरदान प्राप्त था कि जब भी उसका रक्त धरती पर गिरेगा, उसी स्थान से एक नया रक्तबीज उत्पन्न हो जाएगा। इस वरदान के कारण उसे मारना असंभव हो गया था। जब देवी दुर्गा ने यह देखा, तो उन्होंने अपने उग्र और विनाशकारी रूप, माँ कालरात्रि को प्रकट किया।

माँ कालरात्रि ने अपने प्रचंड रूप में रक्तबीज का वध किया और उसके रक्त को पीकर यह सुनिश्चित किया कि धरती पर एक भी रक्त की बूंद न गिरे। इस प्रकार, माँ कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार कर देवताओं और मनुष्यों को मुक्त किया। माँ का यह रूप बुराई का विनाश और धर्म की स्थापना का प्रतीक है।

नवरात्रि के सातवे दिन का व्रत (Navratri 7th Day Vrat)

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन उपवास रखकर माँ कालरात्रि का ध्यान करते हैं और उनसे शत्रुओं, भय, तथा जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। व्रतधारी काले वस्त्र धारण करते हैं और माँ को गुड़ का भोग अर्पित करते हैं, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है। इस व्रत से मनुष्य को साहस, आत्मबल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है, जिससे वह जीवन की हर बाधा को पार कर सकता है। माँ की कृपा से व्रती के जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।

माँ कालरात्रि का प्रिय रंग और भोग (Maa Kalratri Ka Priya Bhog Aur Rang)

माँ कालरात्रि का प्रिय रंग काला है, जो शक्ति और विनाश का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन काले वस्त्र पहनकर उनकी पूजा करते हैं। यह रंग नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और आत्मबल को बढ़ाने का प्रतीक है।

माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अत्यंत प्रिय है। उनकी पूजा में गुड़ अर्पित करने से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और बल का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही उन्हें अन्य शुद्ध और सात्विक पदार्थ भी भोग स्वरूप चढ़ाए जा सकते हैं।

माँ कालरात्रि के सातवे दिन का महत्व और लाभ

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना करने से भक्तों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन की पूजा से व्यक्ति को भय, संकट और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। माँ कालरात्रि की कृपा से जीवन में स्थिरता, आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है।

विशेष रूप से, जो लोग किसी तरह की बाधाओं या डर से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है। माँ कालरात्रि के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन के सभी संकटों और कठिनाइयों को पार कर लेता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।

माँ कालरात्रि की पूजा से लाभ

माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भयमुक्ति: माँ कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  • शत्रुओं पर विजय: उनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
  • मानसिक शांति: माँ कालरात्रि का आशीर्वाद मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश: उनकी पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  • आत्मबल और साहस का विकास: माँ की कृपा से व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और आत्मबल का विकास होता है, जिससे वह जीवन की हर चुनौती का सामना कर सकता है।

निष्कर्ष

माँ कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है और यह दिन विशेष रूप से शक्ति और भयमुक्ति का प्रतीक है। माँ कालरात्रि का उग्र रूप भक्तों के जीवन से बुराई, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। उनका प्रिय रंग काला और प्रिय भोग गुड़ है, जो उनके प्रति भक्तों की आस्था और समर्पण को दर्शाता है। माँ कालरात्रि की पूजा से भक्तों को न केवल शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मबल का भी विकास होता है।

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