Navratri Fourth Day 2025 :नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन उपवासी रहकर और उनकी विशेष पूजा विधियों का पालन करके भक्त उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।माँ कूष्मांडा सृष्टि की सृजनकर्ता मानी जाती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में नई संभावनाएँ और अवसर खुलते हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को कठिनाइयों और विघ्नों से मुक्ति मिलती है। माँ कूष्मांडा को विशेष रूप से उनकी कृपा, शक्ति और सृजनात्मकता के लिए पूजा जाता है। उनके सौम्य चेहरे और आभायुक्त रूप से भक्तों को शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है। वे सृष्टि की आदिशक्ति हैं और जीवन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती हैं।
माँ कूष्मांडा कौन हैं? (Maa Kushmanda in Hindi)
माँ कूष्मांडा का नाम संस्कृत के दो शब्दों ‘कूष्म’ और ‘आंडा’ से मिलकर बना है। ‘कूष्म’ का अर्थ होता है ‘दूध का छिलका’ और ‘आंडा’ का अर्थ ‘अंडा’। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह नाम उन दिव्य शक्तियों को व्यक्त करता है जिन्होंने सृष्टि की उत्पत्ति की और इस ब्रह्मांड को आकार दिया।
माँ कूष्मांडा का स्वरूप (Maa Kushmanda Ka Swaroop)
माँ कूष्मांडा को सृष्टि की सृजनकर्ता माना जाता है। उनका चेहरा सौम्य और आभायुक्त है, और वे आठ भुजाओं वाली देवी हैं। इनकी एक भुजा में कमंडलु, दूसरी में अक्षयपात्र, तीसरी में चक्र, चौथी में गदा, पांचवी में शंख, छठी में पुष्प, सातवीं में जपमाला और आठवीं में धनुष होता है। माँ कूष्मांडा का रूप अत्यंत दिव्य और सौम्य होता है। वे आठ भुजाओं वाली देवी हैं, जिनमें से हर एक भुजा में एक विशेष वस्तु होती है:
एक भुजा में कमंडलु (पानी का बर्तन),दूसरी में अक्षयपात्र (अनंत खाद्य बर्तन),तीसरी में चक्र (सद्गुण और शक्ति का प्रतीक),चौथी में गदा (शक्ति और बल का प्रतीक),पांचवीं में शंख (ध्वनि और आह्वान का प्रतीक),छठी में पुष्प (सौंदर्य और आशीर्वाद का प्रतीक),सातवीं में जपमाला (ध्यान और साधना का प्रतीक),आठवीं में धनुष (सैन्य शक्ति और रक्षा का प्रतीक)।
माँ कूष्मांडा का महत्व (Maa Kushmanda Significance)
- सृजन और पालन: माँ कूष्मांडा का महत्व सृष्टि के सृजन और पालन के संदर्भ में है। उन्हें सृष्टि की प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है, जिन्होंने इस ब्रह्मांड की रचना की। वे सृष्टि के सभी जीवों की पालनकर्ता और संरक्षिका भी हैं।
- उपद्रव और बाधाओं से मुक्ति: माँ कूष्मांडा की पूजा से व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों, विघ्न और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
- शक्ति और सौंदर्य: माँ कूष्मांडा का रूप शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है। वे सच्चे भक्तों को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति में मानसिक और आत्मिक बल प्राप्त होता है।
- नवरात्रि का महत्व: नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह दिन माँ की कृपा प्राप्त करने और विशेष रूप से उपवासी रहकर व्रत रखने का अवसर होता है। उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में स्थिरता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा विधि (Maa Kushmanda Puja Vidhi)
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा विधि बहुत ही सरल और प्रभावशाली होती है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
- प्रात:काल उठकर स्नान करें: पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान करके पवित्र वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहाँ माँ कूष्मांडा की चित्र या मूर्ति स्थापित करें। स्थान को फूलों, दीपकों और रंगोली से सजाएं।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, धूप, अक्षत (चिउड़े), कुमकुम, फूल, फल, मिठाई, जल और विशेष भोग तैयार करें।
- आरती और मंत्र जप: दीपक जलाकर, धूप दिखाकर माँ कूष्मांडा का ध्यान करें। उनके मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” का जाप करें।
- भोग अर्पण: माँ को मिठाई और फल अर्पित करें। पूजा के बाद उस भोग को परिवार के साथ वितरित करें।
- प्रार्थना: पूजा के अंत में माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें और व्रत का संकल्प लें।
माँ कूष्मांडा मंत्र: (Maa Kushmanda Mantra)
स्तोत्र
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥ भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्॥ कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्र गदा जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर हार केयूर किंकिण रत्नकुण्डल मण्डिताम्। प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम्। कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥
माँ कूष्मांडा की कथा (Maa Kushmanda Katha)
माँ कूष्मांडा की कथा में बताया गया है कि वे सृष्टि की सृजनकर्ता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि में अंधकार छाया हुआ था और जीवन अस्तित्वहीन था, तब माँ कूष्मांडा ने अपने दिव्य प्रकाश से इस अंधकार को नष्ट किया। उन्होंने अपनी शक्ति से सृष्टि की रचना की और जीवन को नई दिशा दी। माँ कूष्मांडा की कृपा से ही सृष्टि में विविधता और जीवन की उत्पत्ति संभव हो पाई।
नवरात्रि के चौथे दिन का व्रत (Navratri Fourth Day 2025 Vrat)
नवरात्रि के चौथे दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन व्रति दिनभर उपवासी रहकर केवल फल-फूल, दूध या विशेष व्रति आहार का सेवन करते हैं। व्रत रखने से मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। यह दिन माँ कूष्मांडा के आशीर्वाद से विघ्नों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा फोटो (Navratri Fourth Day 2025 Maa Kushmanda Images)


माँ कूष्मांडा का प्रिय रंग और भोग (Maa Chandraghanta Bhog)
- प्रिय रंग: माँ कूष्मांडा का प्रिय रंग पीला और हरा माना जाता है। इस दिन पूजा में इन रंगों का विशेष प्रयोग किया जाता है।
- प्रिय भोग: माँ कूष्मांडा को विशेष रूप से फल, मिठाई, विशेष रूप से खीर, और ताजे फूल अर्पित किए जाते हैं। इन भोगों से माँ की कृपा प्राप्त होती है और मन की शांति मिलती है।
नवरात्रि के चौथे दिन (Navratri Fourth Day) का महत्व और लाभ
- सृजन और संरक्षण: इस दिन माँ कूष्मांडा की पूजा से सृष्टि के सृजन और संरक्षण की शक्ति प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से जीवन में नयापन और समृद्धि आती है।
- विघ्नों से मुक्ति: माँ कूष्मांडा की पूजा से जीवन की सभी बाधाओं और विघ्नों से मुक्ति मिलती है। भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
- सुख-समृद्धि: व्रत और पूजा के माध्यम से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ कूष्मांडा की पूजा से लाभ
माँ कूष्मांडा की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं:
- आध्यात्मिक शांति: पूजा से मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: माँ की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: व्रत और पूजा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा एक महत्वपूर्ण अवसर है जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन लाता है। उनकी पूजा विधि सरल लेकिन प्रभावशाली होती है। माँ कूष्मांडा की कृपा से भक्तों को विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में संतुलन स्थापित होता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से एक दिव्य अनुभव होता है और माँ की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
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