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Mahavir Jayanti 2025: महावीर जयंती कब है? जाने तिथि, इतिहास और महत्व

Mahavir Jayanti 2025: महावीर जयंती जैन धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो भगवान महावीर स्वामी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर माने जाने वाले भगवान महावीर ने मानवता को सत्य, अहिंसा और त्याग का मार्ग दिखाया। वर्ष 2025 में यह पर्व 10 अप्रैल, गुरुवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह भगवान महावीर की 2623वीं जयंती होगी।

महावीर जयंती
Mahavir Jayanti 2025 Date

यह विशेष दिन जैन अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक साधना, धर्मचिंतन और सेवा कार्यों का प्रतीक होता है। इस दिन भक्त भगवान महावीर की मूर्तियों का अभिषेक करते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और प्रभात फेरी का आयोजन किया जाता है।

महावीर जयंती का आध्यात्मिक महत्व (Mahavir Jayanti Mahatva)

महावीर स्वामी का जीवन अहिंसा, तप और आत्मसंयम की प्रेरणा है। उन्होंने पाँच महान व्रतों – अहिंसा (किसी को हानि न पहुँचाना), सत्य (सच बोलना), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (इंद्रियों पर नियंत्रण) और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) – का प्रचार किया, जो आज भी जैन धर्म की मूल नींव माने जाते हैं।

महावीर जयंती के अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं, धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र व दान देते हैं। यह दिन आत्म-शुद्धि और करुणा के भाव को जागृत करता है।भारत के अलावा विदेशों में बसे जैन समुदायों के बीच भी यह पर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है। कई स्थानों पर जुलूस, धर्मसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है, जिनमें भगवान महावीर के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं को साझा किया जाता है।

महावीर जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह आत्मिक जागरण, सह-अस्तित्व और शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा है।

महावीर जयंती 2025 की तिथि और पंचांग विवरण (Mahavir Jayanti 2025 Date and Time)

इस वर्ष महावीर जयंती 10 अप्रैल 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल को रात 10:55 बजे होगी और इसका समापन 11 अप्रैल की सुबह 1:00 बजे तक होगा (द्रिक पंचांग के अनुसार)।

भगवान महावीर का जीवन परिचय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Mahavir Jayanti Itihas)

भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में कुंडलग्राम (वर्तमान बिहार राज्य के वैशाली जिले के पास) में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था। वे राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे।

राजसी जीवन जीने के बाद, महावीर ने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक सुखों का त्याग कर आध्यात्मिक साधना का मार्ग अपनाया। उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की और अंततः उन्हें केवल ज्ञान (कैवल्य) की प्राप्ति हुई। इसके पश्चात उन्होंने जीवनभर अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय जैसे सिद्धांतों का प्रचार किया।

भगवान महावीर ने 527 ईसा पूर्व, 72 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त किया और आत्मा की मुक्ति को प्राप्त होकर इस संसार चक्र से मुक्त हो गए।


महावीर जयंती वह शुभ अवसर है जो भगवान महावीर के जन्म और उनके जीवन मूल्यों का स्मरण कराता है। यह पर्व विशेष रूप से जैन धर्म के मूल सिद्धांतों—जैसे अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और संयम—को आत्मसात करने का संदेश देता है। यह दिन आत्मशुद्धि, तप और सेवा की भावना को प्रेरित करता है, साथ ही सांसारिक मोह-माया से दूर रहने की सीख भी देता है।

महावीर जयंती कैसे मनाई जाती है? (Mahavir Jayanti Kaise Manate Hai)


इस दिन जैन अनुयायी मंदिरों में जाकर भगवान महावीर की पूजा-अर्चना करते हैं। पवित्र ग्रंथों, विशेषकर जैन आगमों का पाठ किया जाता है। कई स्थानों पर भव्य शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं, जिनमें भगवान महावीर की प्रतिमा को रथ पर विराजमान कर श्रद्धालु नगर भ्रमण कराते हैं। भक्तजन भक्ति गीत गाते हैं और महावीर स्वामी की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

इसके अतिरिक्त, दान-पुण्य की भावना से प्रेरित होकर जरूरतमंदों को भोजन कराना, वस्त्र वितरित करना और अन्य सेवा कार्य किए जाते हैं। यह पर्व भारत के अलावा नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में बसे जैन समुदाय द्वारा भी श्रद्धा से मनाया जाता है।

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