महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर इस वर्ष 60 वर्षों बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करने से कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान शिव की भक्ति और उपासना के लिए मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से शिवजी की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिव भक्त इसे बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाते हैं। इस दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक शिव-गौरी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ समस्त शिवलिंगों में विराजमान होते हैं, जिससे इस दिन की गई पूजा कई गुना अधिक फलदायी मानी जाती है।
महाशिवरात्रि 2025 तिथि और विशेष संयोग (Mahashivratri 2025 Tithi aur Vishesh Sanyog)
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पावन पर्व वर्ष 2025 में 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस बार एक दुर्लभ ग्रह योग बन रहा है, जो लगभग 60 वर्षों बाद पहली बार देखा जाएगा। वर्ष 1965 के बाद यह पहला अवसर होगा जब तीन ग्रहों की विशेष युति इस पर्व को और अधिक महत्वपूर्ण बनाएगी।
पंचांग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि में स्थित चंद्रमा के संयोग के साथ आ रही है। दिलचस्प बात यह है कि 1965 में भी सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे, और 2025 में भी यही ग्रह स्थिति बन रही है। सूर्य और शनि, जिन्हें ज्योतिष में पिता-पुत्र का संबंध बताया गया है, इस बार भी कुंभ राशि में स्थित रहेंगे।
यह अद्वितीय संयोग एक सदी में केवल एक बार बनता है, और इस दौरान की गई उपासना अत्यधिक शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा-साधना न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी होती है।
महाशिवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Mahashivratri 2025 Shubh Muhurat/ Puja Vidhi)
महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी 2025 को प्रातः 11:08 बजे होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को प्रातः 8:54 बजे होगा। भगवान शिव की आराधना विशेष रूप से निशीथ काल में करने का महत्व बताया गया है, इसलिए महाशिवरात्रि का उत्सव 26 फरवरी की रात्रि को मनाया जाएगा।
इस शुभ अवसर पर शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और घरों में भी रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है। श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
महाशिवरात्रि 2025 चार प्रहर की पूजा तिथि
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की आराधना करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं—
- प्रथम प्रहर पूजा: सायं 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक
- द्वितीय प्रहर पूजा: रात्रि 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
- तृतीय प्रहर पूजा: मध्यरात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी, प्रातः 03:41 बजे तक
- चतुर्थ प्रहर पूजा: 27 फरवरी, प्रातः 03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक
महाशिवरात्रि के दिन इन चारों प्रहर में विधिपूर्वक भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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