अष्टमी की रात को महानिशा पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता दुर्गा और माता काली की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। आइए, आज हम महानिशा पूजा के बारे में विस्तार से जानें।

महानिशा पूजा क्या है? (Mahanisha Puja 2025)
भारत में दो प्रकार की नवरात्रि मनाई जाती हैं: एक आश्विन मास में और दूसरी चैत्र मास में। अष्टमी की रात को जिस तिथि की रात को महानिशा पूजा कहते हैं। इस पूजा में माता दुर्गा और माता काली की अर्चना की जाती है, जिससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। माता को प्रसन्न करने के लिए तंत्रिका पूजा की जाती है और बलि दी जाती है, जो पूरी तरह से सात्विक होती है। जो लोग बीमारियों से परेशान हैं, वे इस रात को नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर में विशेष पूजा कर सकते हैं।
महानिशा पूजा कब है 2025? (Mahanisha Puja 2025 Date)
साल 2025 में महानिशा पूजा 5 अप्रैल को मनाई जाएगी।
साधक कैसे करते हैं माता काली को प्रसन्न जानिये विधि (Mahanisha Puja Vidhi)
इस रात में प्रमुख रूप से माता दुर्गा और माता काली की पूजा की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक पूजा विधियों का पालन होता है। माता काली के मंदिर में हवन और पूजन होते हैं, और नारियल की बलि दी जाती है। दुर्गासप्तशती के कुछ विशेष अध्यायों का पाठ किया जाता है। राजनीतिज्ञ लोग अपनी विजय के लिए इस रात्रि बंगलामुखी अनुष्ठान भी करवा सकते हैं। पीले वस्त्र पहनकर, कुश के आसन पर बैठकर, और हल्दी की माला के साथ, तांत्रिक इस रात में व्यापक अनुष्ठान करते हैं। माता काली को प्रसन्न करने के लिए यह रात बहुत अनुकूल मानी जाती है।
कुछ तांत्रिक माता का भोग प्रसाद वही मंदिर में ही पकाते हैं। इस रात सिद्धिकुंजिकस्तोत्र का 18 बार पाठ करके, सप्तश्लोकी दुर्गा और बंगलामुखी मंत्र पढ़कर माता को प्रसाद अर्पित कर, भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इस रात माता काली से अनेक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन दुर्गासप्तशती के साथ श्री सूक्त का पाठ कर धन, पद, और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। ऋग्वैदिक श्री सूक्तं का पाठ करते हुए हवन करने से धन का आगमन होता है। इस रात तांत्रिक अनेक यंत्र बनाते हैं और ताबीज में भरकर धारण भी करते हैं।
महानिशा पूजन का लाभ उठाकर अपने जीवन को धन्य बनाएँ। माता काली की प्रसन्नता से तांत्रिक साधनाओं के माध्यम से मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। बंगलामुखी अनुष्ठान के द्वारा विजय की प्राप्ति की जा सकती है।
महानिशा पूजा की मुख्य बाते
महानिशा पूजा में माता दुर्गा और माता काली की पूजा का विशेष महत्व है। माता को प्रसन्न करने के लिए तांत्रिक साधनाएं विशेष विधियों से की जाती हैं। माता काली के स्थान पर हवन और पूजन आयोजित किए जाते हैं। बलि के रूप में नारियल चढ़ाया जाता है और दुर्गासप्तशती के विशेष पृष्ठों का पाठ किया जाता है।
राजनीतिक सफलता के इच्छुक लोग इस रात बंगला मुखी अनुष्ठान करवा सकते हैं। यह अनुष्ठान पीले वस्त्र धारण कर, कुश के आसन पर बैठकर, हल्दी की माला से किया जाता है।
जो लोग गंभीर बीमारियों से परेशान हैं, वे नदी के किनारे स्थित शिव मंदिर में विशेष पूजा कर सकते हैं। इस दौरान साबर मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग किया जाता है। माता काली को प्रसन्न करने के लिए यह रात्रि अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है।
कुछ तांत्रिक इस रात्रि में मंदिर में ही माता काली के भोग और प्रसाद की व्यवस्था करते हैं। इस रात्रि में सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ, सप्तश्लोकी दुर्गा और बंगला मुखी मंत्र का जाप कर माता को भोग अर्पित किया जाता है। यह रात्रि विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति के लिए भी मानी जाती है।
दुर्गासप्तशती के साथ-साथ श्री सूक्त का पाठ कर धन, पद, और प्रतिष्ठा की प्राप्ति की जा सकती है। ऋग्वेद के श्री सूक्त का पाठ कर हवन करने से धनलाभ के मार्ग खुलते हैं। इस रात कई यंत्र भी तैयार किए जाते हैं, जिन्हें ताबीज में भरकर धारण करने से विशेष लाभ मिलता है।
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