महाकुंभ में नागा साधु प्रमुख आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। ये साधु भगवान शिव के अनन्य भक्त होते हैं और उनके उपासक के रूप में जीवन व्यतीत करते हैं। नागा साधुओं की लंबी-लंबी जटाएं होती हैं, जिन्हें वे कभी नहीं कटवाते।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लोग बड़ी संख्या में नागा साधुओं को देखने और उनके रहस्यमयी जीवन के बारे में जानने के इच्छुक रहते हैं। विशेष रूप से, उनकी जटाओं को लेकर लोगों के मन में जिज्ञासा बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा सा धु अपने बाल क्यों नहीं कटवाते? इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक मान्यता जुड़ी हुई है। आइए, इसके कारणों को विस्तार से समझते हैं।
नागा साधु बाल क्यों नहीं कटवाते?
नागा साधुओं द्वारा बाल न कटवाना उनके वैराग्य, त्याग और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। यह सांसारिक बंधनों, इच्छाओं और भौतिक सुखों से मुक्ति को दर्शाता है। ये साधु भगवान शिव के परम भक्त होते हैं, और शिवजी की लंबी जटाओं का अनुसरण करते हुए वे भी अपने बाल बढ़ाते हैं। यह उनकी साधना और तप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी उपासना में पूर्ण रूप से समर्पित रहने के लिए नागा साधु अपने बालों को कभी नहीं कटवाते।
इस कारण से नहीं कटवाते बाल
नागा साधुओं की जटाएं उनकी आध्यात्मिक साधना और भगवान शिव के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि यदि कोई नागा साधु अपने बाल कटवा ले, तो उसकी साधना अधूरी रह जाती है और भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं।उनका विश्वास है कि बाल न काटने से उनकी तपस्या का पूर्ण फल मिलता है और वे ईश्वरीय कृपा के पात्र बनते हैं। यही कारण है कि नागा साधु जीवनभर अपने बाल नहीं कटवाते और उन्हें बढ़ने देते हैं।
नागा साधु बनने की तीन चरणों की प्रक्रिया
नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन और दीर्घकालिक होती है, जिसमें लगभग 12 वर्ष का समय लगता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है—
- महापुरुष चरण – नागा साधु बनने की शुरुआत इसी चरण से होती है, जिसमें व्यक्ति सांसारिक मोह-माया का त्याग कर संन्यास मार्ग पर अग्रसर होता है।
- अवधूत चरण – इस चरण में साधु कठोर तपस्या और साधना के माध्यम से अपने शरीर और मन को सांसारिक सुखों से दूर रखते हैं।
- दिगंबर चरण – अंतिम चरण में साधु पूर्ण रूप से दिगंबर हो जाते हैं और नागा संप्रदाय में पूरी तरह सम्मिलित हो जाते हैं।
जब कोई व्यक्ति नागा साधु बनता है, तो पहली बार उसके बाल काटे जाते हैं। इसके बाद, वह जीवन भर अपने बाल नहीं कटवाता और पूर्ण रूप से सन्यास मार्ग को अपनाता है।
नागा साधुओं के चार प्रमुख प्रकार
नागा साधु मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं— राजेश्वर नागा, खूनी नागा, बर्फानी नागा और खिचड़ी नागा।
- राजेश्वर नागा – प्रयागराज कुंभ में जिन साधुओं को दीक्षा दी जाती है, उन्हें राजेश्वर नागा कहा जाता है। ये संन्यास के बाद राजयोग की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
- खूनी नागा – उज्जैन कुंभ में दीक्षा प्राप्त करने वाले नागा साधु खूनी नागा कहलाते हैं। इनका स्वभाव अत्यधिक आक्रामक होता है।
- बर्फानी नागा – हरिद्वार कुंभ में दीक्षा प्राप्त करने वाले साधुओं को बर्फानी नागा कहा जाता है। ये साधु शांत स्वभाव के होते हैं और कठिन तपस्या में लीन रहते हैं।
- खिचड़ी नागा – नासिक कुंभ में दीक्षा लेने वाले नागा साधु खिचड़ी नागा कहलाते हैं।
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