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Mahabharat: क्या अंगराज कर्ण का पहला प्रेम द्रौपदी थी? जानिये किससे हुआ था कर्ण का विवाह और उनके कितने पुत्र थे

महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक अंगराज कर्ण का जीवन अनेक रहस्यों और संघर्षों से भरा हुआ था। जन्म से कुंती पुत्र होने के बावजूद वह सूत पुत्र के नाम से जाना गया, जिससे उसे समाज में बार-बार अपमान सहना पड़ा। दुर्योधन ने कर्ण को अपना मित्र बनाकर अंगदेश का राजा बनाया, लेकिन समाज ने उसे कभी समानता का दर्जा नहीं दिया। द्रौपदी के स्वयंवर में भी अंगराज कर्ण को अपमान का सामना करना पड़ा।

अंगराज कर्ण

राजा द्रुपद ने अपनी बेटी द्रौपदी के स्वयंवर के लिए एक कठिन शर्त रखी थी कि जो वीर योद्धा मछली की आँख पर निशाना साधेगा, वही द्रौपदी का पति बनेगा। कर्ण ने भी स्वयंवर में भाग लिया, लेकिन द्रौपदी ने यह कहकर उन्हें विवाह के लिए अस्वीकार कर दिया कि वह सूत पुत्र हैं। इसके कारण कर्ण के मन में गहरी चोट लगी।

क्या द्रौपदी कर्ण का पहला प्यार थी, यह सवाल आज भी चर्चा का विषय है। हालांकि अंगराज कर्ण का विवाह वृषाली नामक स्त्री से हुआ था, जोकि एक सारथी परिवार से थीं। वृषाली ने कर्ण के साथ उनका हर सुख-दुःख साझा किया और अंत तक उनका साथ निभाया।

कर्ण और वृषाली के छह पुत्र थे, जिनमें से एक का नाम वृषकेतु था, जो महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचा। कर्ण का जीवन एक वीर योद्धा, दानी और सच्चे मित्र का आदर्श उदाहरण था, लेकिन उनके साथ हुए सामाजिक भेदभाव और अन्याय ने उनके जीवन को अत्यंत दुखद बना दिया।

द्रौपदी और कर्ण की प्रेम कहानी

महाभारत में अंगराज कर्ण और द्रौपदी के प्रेम के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी उल्लेख नहीं मिलता है। हालांकि, द्रौपदी के स्वयंवर का प्रसंग कर्ण के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण घटना है। स्वयंवर में भारत के सभी वीर योद्धा शामिल हुए थे, और कर्ण भी उनमें से एक थे। कर्ण की वीरता और धनुर्विद्या की कला से सभी परिचित थे।

स्वयंवर की शर्त के अनुसार, मछली की आंख पर निशाना साधने वाले योद्धा को द्रौपदी के साथ विवाह करने का अधिकार मिलता। जब कर्ण ने धनुष और बाण उठाकर निशाना साधने की कोशिश की, तो द्रौपदी ने सूत पुत्र होने के आधार पर उन्हें अस्वीकार कर दिया।

यह घटना अंगराज कर्ण के लिए अत्यंत अपमानजनक थी। यदि द्रौपदी ने अंगराज कर्ण को अस्वीकार न किया होता, तो अंगराज कर्ण स्वयंवर की शर्त पूरी कर शायद द्रौपदी से विवाह कर लेते। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ, और अंततः अर्जुन ने मछली की आंख पर निशाना साधा, जिसके बाद द्रौपदी ने उनके गले में वरमाला डाल दी। इस घटना ने कर्ण के मन में गहरी पीड़ा छोड़ी, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके बीच प्रेम था। यह घटना सामाजिक भेदभाव और कर्ण के संघर्षों का एक और उदाहरण है, जो उनके जीवन को और अधिक जटिल बनाती है।

कर्ण की पत्नी का नाम क्या था?

अंगराज कर्ण का विवाह वृषाली से हुआ था, जो दुर्योधन के सारथी सत्यसेन की बेटी थीं। वृषाली को एक पतिव्रता स्त्री के रूप में जाना जाता है। लोक कथाओं के अनुसार, कुरुक्षेत्र के युद्ध में कर्ण के वीरगति प्राप्त करने के बाद वृषाली ने उनकी चिता पर ही समाधि ले ली थी। वृषाली के साथ कर्ण का वैवाहिक जीवन स्नेह और आदर से भरा हुआ था। कर्ण की दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया बताया जाता है, जो दुर्योधन की पत्नी भानुमती की सखी थीं।

कर्ण और उनकी पत्नियों का जीवन प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। वृषाली के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह हमेशा कर्ण के निर्णयों और संघर्षों में उनके साथ खड़ी रहीं।

अंगराज कर्ण की दूसरी पत्नी का नाम पद्मावती था, जिसे विभिन्न स्थानों पर सुप्रिया और पोन्नारुवि के नाम से भी जाना जाता है। पद्मावती राजा चित्रवत की पुत्री अंसावरी की दासी धूम सेन की बेटी थीं। पद्मावती को अंगराज कर्ण से प्रेम था, और कर्ण के विवाह प्रस्ताव को उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया। हालांकि, पहले पद्मावती के पिता ने कर्ण को सूत पुत्र कहकर उसका हाथ देने से इनकार कर दिया था।

कुछ कथाओं में सुप्रिया के बारे में बताया गया है कि वह दुर्योधन की पत्नी भानुमती की सहेली थीं। पद्मावती और कर्ण का विवाह प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। दोनों का रिश्ता कर्ण के जीवन के संघर्षों और प्रतिष्ठा के बावजूद मजबूती से बना रहा।

कर्ण के कितने पुत्र थे?

अंगराज कर्ण के कुल दस पुत्र थे, जिनके नाम सुदामा, शत्रुंजय, द्विपाता, बनसेन, प्रसेन, वृषकेतु, वृषसेन, चित्रसेन, सत्यसेन और सुषेण थे। महाभारत के अनुसार, अंगराज कर्ण के इन दस पुत्रों में से नौ ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में हिस्सा लिया और वीरगति को प्राप्त हुए। केवल वृषकेतु ही ऐसा पुत्र था जो इस युद्ध के भीषण विनाश से बच पाया। वृषकेतु ने आगे चलकर पांडवों के सानिध्य में अपने पिता के शौर्य और पराक्रम की विरासत को आगे बढ़ाया।

कर्ण के पुत्रो को किसने मारा?

कुरुक्षेत्र के युद्ध में अंगराज कर्ण के नौ पुत्र पांडवों की सेना के योद्धाओं के हाथों मारे गए थे। अर्जुन ने कर्ण के चार पुत्रों—शत्रुंजय, द्विपाता, सुदामा और वृषसेन का वध किया। नकुल ने कर्ण के तीन पुत्रों—सुषेण, चित्रसेन और सत्यसेन को युद्धभूमि में पराजित किया। भीमसेन ने बनसेन को वीरगति प्रदान की, जबकि सात्यकि ने प्रसेन को मार गिराया। यह घटना महाभारत के युद्ध की त्रासदी और उसके गहरे पारिवारिक संघर्ष को उजागर करती है।

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