माँ कूष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। माँ कूष्मांडा का नाम संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है: ‘कू’, ‘ष्म’ और ‘अंड’। ‘कू’ का अर्थ है ‘छोटा’, ‘ष्म’ का अर्थ है ‘ऊर्जा’, और ‘अंड’ का अर्थ है ‘ब्रह्मांड’। माँ कूष्मांडा को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, तब इन्होंने अपनी दिव्य हंसी से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी। उन्हें सृष्टि की रचयिता माना जाता है और वे अपने भक्तों के जीवन में समृद्धि, शक्ति और ज्ञान का संचार करती हैं।
माँ कूष्मांडा की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। उनका आशीर्वाद भक्तों के सभी रोगों और कष्टों को दूर करता है और उन्हें दीर्घायु प्रदान करता है।

माँ कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
माँ कूष्मांडा की आरती का महत्व
माँ कूष्मांडा की आरती का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करती है। माँ कूष्मांडा का यह रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में सही दिशा, धैर्य और साहस के साथ आगे बढ़ने के लिए उनकी कृपा अति आवश्यक है। माँ कूष्मांडा सृजन की देवी हैं। जब कुछ भी नहीं था, तब उन्होंने अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना की थी। उनकी आराधना से व्यक्ति के जीवन में सृजनात्मकता का विकास होता है। माँ का यह रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में हर नकारात्मकता का सामना सकारात्मक ऊर्जा से करना चाहिए।
निष्कर्ष
माँ कूष्मांडा की आराधना और उनकी आरती का अत्यधिक महत्व है। माँ का यह रूप हमें जीवन में सृजनात्मकता, धैर्य, साहस और सकारात्मकता की प्रेरणा देता है। उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
माँ कूष्मांडा की आराधना से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। उनकी आरती करने से भक्तों के मन से सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाते हैं और वे आत्मविश्वास और साहस के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। माँ कूष्मांडा की पूजा व्यक्ति को आध्यात्मिक जागरूकता और सृजनात्मकता की ओर अग्रसर करती है।
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