माँ ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से द्वितीय रूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा जाता है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है “तपस्या करने वाली देवी”। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और धैर्यशील होता है। देवी ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है, जो उनके कठोर तपस्या और संयम का प्रतीक है। माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जो हमें उनकी तप और समर्पण की गहनता का एहसास कराता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा जीवन में संयम, धैर्य और संकल्प की प्राप्ति के लिए की जाती है। उनका यह रूप हमें यह संदेश देता है कि तपस्या और अनुशासन के बल पर हम जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनका जीवन हमें समर्पण और कठिन परिश्रम का मार्ग दिखाता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती का महत्व
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती का अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है। आरती के माध्यम से माँ की महिमा का गुणगान किया जाता है और उनकी कृपा से भक्तों के मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। माँ ब्रह्मचारिणी का तप और संयम का जीवन हमें प्रेरित करता है कि यदि हम अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करें, तो धैर्य और समर्पण के बल पर किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से जीवन में आत्म-नियंत्रण, धैर्य और समर्पण की भावना जागृत होती है। माँ का यह स्वरूप हमें अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर तप करने और संयम बनाए रखने की प्रेरणा देता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में सच्चे मार्ग पर चलने और संयमित रहकर कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कैसे किया जा सकता है।
माँ की आरती गाने और उनका स्मरण करने से मन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है और भक्तों के मन में एक सकारात्मक सोच का विकास होता है। माँ ब्रह्मचारिणी का जीवन तप और संयम का प्रतीक है, और उनकी आराधना करने से मनुष्य में आंतरिक शक्ति और धैर्य का विकास होता है।
निष्कर्ष
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती और उनकी पूजा का विशेष महत्व है। उनके तप और संयम का जीवन हमें यह सिखाता है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें अपने धैर्य और संकल्प को बनाए रखना चाहिए। माँ की आराधना से व्यक्ति के जीवन में अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास का विकास होता है, जिससे वह जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को सफलतापूर्वक पार कर सकता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती वीडियो (Maa Brahmacharini Ki Aarti Video)
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