करवा चौथ व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल व्रत करती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, पूजा करती हैं, और चंद्रमा के दर्शन के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ की कथा सुनने का भी विशेष महत्व होता है, जिसमें वीरवती की पवित्र प्रेम और भक्ति की कहानी सुनाई जाती है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, खासकर उनके लिए जो शादी के बाद पहली बार यह व्रत रख रही हैं। इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर को है, यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है। पहली बार करवा चौथ का व्रत रखते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है ताकि व्रत सफल और शुभ हो। आइए, जानते हैं वे 6 खास बातें जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
1) करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है

करवा चौथ के व्रत में सबसे पहले कई जगह सरगी खाने का रिवाज होता है। सरगी सास बहू को देती है जिसमे मिठाइयाँ, फल, सूखे मेवे, और श्रृंगार आदि का सामान शामिल होता है। सरगी खाने के बाद व्रती महिला जब तक चांद को अर्घ्य न दे तब तक निर्जला व्रत का पालन करना होता है।
2) करवा चौथ पर चाँद देख कर खोले व्रत

करवा चौथ का सबसे विशेष नियम होता है विधि पूर्वक पूजा और कथा सुनने के बाद चंद्र देव को अर्ध्य देना। कथा सुनने के बाद भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
3) करवा चौथ पर इन 6 चीज़ों को श्रृंगार में जरूर शामिल करें

आप अपनी पसंद के कोई भी कपड़े पहन सकती हैं साथ ही अपनी पसंद का श्रृंगार भी कर सकती हैं, लेकिन 6 खास चीज़ों के बिना करवा चौथ का श्रृंगार अधूरा मना जाता है। ये 6 श्रृंगार हैं – चूड़ी, सिन्दूर, मेहंदी, मंगलसूत्र, बिंदी और बिछिया। करवा चौथ के दिन चीज़ों को धारण कर माता करवा की पूजा करने से माता करवा सौभाग्य का आशीर्वाद देती है, और वैवाहिक जीवन खुशहाली से भरा होता है।
4) करवा चौथ की पूजा के बाद दान

करवा चौथ की विधि विधान से पूजा करने के बाद दान का बहुत महत्व माना गया है। करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएँ एक थाली में श्रृंगार का सामान जैसे- चूड़ी, बिंदी, सिन्दूर, कंघी, शीशा और शगुन आदि रख कर अपनी विवाहित सास, अपनी विवाहित माता या जेठानी या फिर किसी बुजुर्ग महिला को जरूर दे।
5) मिट्टी के करवे से देना चाहिए चंद्र देव को अर्घ्य

करवा चौथ के व्रत में ये नियम भी महत्वपूर्ण है। करवा चौथ पर व्रती महिला को मिट्टी के करवे से ही चंद्रदेव को अर्घ्य देना चाहिए। मिट्टी का करवा शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसर मिट्टी का करवा धरती तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसलिए मिट्टी का करवा अर्घ्य देने के लिए विशेष मन जाता है।
6) पूर्व मुखी हो कर करवा चौथ व्रत की पूजा करें

करवा चौथ व्रत की विशेष पूजा में आपका मुख मंदिर में पूर्व की तरफ होना चाहिए और पीठ पश्चिम के तरफ। इसका मतलब यह है कि करवा माता का मंदिर भी पूर्व दिशा में ही स्थापित किया जाए। करवा चौथ की पूजा या कोई भी मांगलिक पूजा पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
ALSO READ:-