ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदू धर्म के प्रमुख व्रतों में से एक माना जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सच्चे मन से पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. आइए, इस लेख में हम ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और सुख-समृद्धि पाने के उपायों के बारे में विस्तार से जानें.

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त (June Purnima Date 2024)
जून 2024 में ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व 22 जून को पड़ रहा है. इस दिन शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. आइए, ज्येष्ठ पूर्णिमा से जुड़े महत्वपूर्ण मुहूर्तों को देखें:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 22 जून, सुबह 7:31 बजे
- पूर्णिमा तिथि समापन: 23 जून, शनिवार, सुबह 6:37 बजे
- स्नान का मुहूर्त: सुबह 5:30 बजे से 6:30 बजे तक (लगभग 1 घंटा)
- व्रत पारण का मुहूर्त: 23 जून, शनिवार, शाम 6:08 बजे से 8:39 बजे तक (लगभग 2 घंटे 31 मिनट)
ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि (June Purnima 2024 Puja Vidhi)
ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजा विधि सरल है. आप शुद्ध मन से घर पर ही पूजा कर सकते हैं. ज्येष्ठ पूर्णिमा की विधि निम्नलिखित है:
- स्नान और संकल्प: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें.
- पूजा की सामग्री: तख्त या चौकी पर आसन बिछाकर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. दीप प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती लगाएं. पूजा की थाली में फल, फूल, मिठाई, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), तुलसी पत्र आदि रखें.
- मंत्र जाप और पूजन: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करके उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी का ध्यान करें. “ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ श्रीं लक्ष्मी नमः” मंत्र का जाप करें. भगवान को फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें. उनकी आरती उतारें और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें.
- कथा वाचन: शाम के समय ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. इससे व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.
- व्रत पारण: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखें. आप चाहें तो फलाहार कर सकते हैं, लेकिन अन्न का सेवन न करें. निर्धारित समय (23 जून, शाम 6:08 बजे से 8:39 बजे तक) के दौरान व्रत का पारण करें.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व (June Purnima Significance)
ज्येष्ठ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है. आइए, ज्येष्ठ पूर्णिमा के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व को विस्तार से जानें:
1. धार्मिक महत्व:
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. इन तीनों देवी-देवताओं की कृपा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व होता है. इससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जप, ध्यान और पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है.
2. ज्योतिषीय महत्व:
- ज्येष्ठ माह को ज्योतिष में कठिन माहों में से एक माना जाता है. इस माह में सूर्य की तीव्रता अधिक होती है, जिससे गर्मी बढ़ती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा करने और व्रत रखने से ग्रहों की शांति होती है और ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव कम होते हैं. इससे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है.
सुख-समृद्धि के उपाय (June Purnima 2024 Upaay)
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कुछ खास उपाय करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. आइए, उन उपायों के बारे में जानें:
- दान का महत्व: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है. आप गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान कर सकते हैं. गाय को आहार खिलाना और पशु-पक्षियों की सेवा करना भी इस दिन शुभ माना जाता है. दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
- पूजा में विशेष मंत्र: ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजा के दौरान “ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ श्रीं लक्ष्मी नमः” मंत्र का जप करें. इन मंत्रों का जाप करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
- तुलसी पूजा: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन तुलसी की पूजा करना शुभ माना जाता है. तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अति प्रिय है. तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु को अर्पित करें और तुलसी की जड़ में जल चढ़ाएं. तुलसी की पूजा करने से घर में सकारात्मक वातावरण बनता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं.
- सात्विक भोजन: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें. मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन का सेवन न करें. सात्विक भोजन से शरीर और मन स्वस्थ रहता है.
- सत्यनिष्ठा और शुभ आचरण: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही नहीं, बल्कि जीवन में हमेशा सत्यनिष्ठा और शुभ आचरण का पालन करना चाहिए. झूठ बोलने, चोरी करने और दूसरों को हानि पहुंचाने से बचें. सत्यनिष्ठा और शुभ आचरण से जीवन में सुख-शांति आती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा की कथा (June Purnima 2024 Story)
एक बार भगवान इंद्र देव को दंभ हो गया कि उनकी शक्ति सर्वश्रेष्ठ है. उन्होंने देवताओं का एक समागम आयोजित किया और अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. सभी देवता इंद्र देव की शक्ति से प्रभावित हुए. वहीं दूसरी ओर, सती सावित्री नामक एक पतिव्रता स्त्री भी इस समागम में उपस्थित थीं. वह अपने पति सत्यवान के साथ आई थीं. इंद्र देव ने सती सावित्री को देखा और उनसे पूछा, “आपको कौन सबसे शक्तिशाली लगता है?”
सती सावित्री ने बिना किसी हिच के अपने पति सत्यवान की ओर इशारा किया. इंद्र देव उनके जवाब से चकित रह गए. उन्होंने पूछा, “आपके पति तो बहुत ही साधारण व्यक्ति हैं, फिर आप उन्हें सबसे शक्तिशाली कैसे मानती हैं?”
सती सावित्री ने कहा, “मेरे पति सत्यनिष्ठ हैं और उनकी सत्यनिष्ठा ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है.” इंद्र देव को सती सावित्री की बात हास्यास्पद लगी. उन्होंने यमराज को बुलाकर कहा कि सत्यवान का समय आ गया है, उनका प्राण लें.
यमराज सत्यवान के पास आए और उनका प्राण लेने लगे. सती सावित्री यह सब देखकर विलाप करने लगीं. उन्होंने यमराज का पीछा किया और उनसे अपने पति को वापस लाने की विनती की. यमराज सती सावित्री की सत्यनिष्ठा और पतिभक्ति से प्रभावित हुए. उन्होंने सत्यवान को दोबारा जीवन प्रदान किया.
इस तरह सती सावित्री अपने पति के प्राण को यमराज से वापस लेकर आईं. उनकी सत्यनिष्ठा और पतिव्रता धर्म के कारण ही यह संभव हो सका. तब से ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सती सावित्री की पूजा की जाती है और इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व (June Purnima Importance 2024)
ज्येष्ठ पूर्णिमा का न केवल धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. आइए, ज्येष्ठ पूर्णिमा के वैज्ञानिक महत्व को समझें:
- ज्येष्ठ माह में सूर्य की किरणें बहुत तेज होती हैं. इस दौरान सूर्योदय से पहले स्नान करने से शरीर निरोग रहता है और रक्त संचार बेहतर होता है.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और सात्विक भोजन करने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और शरीर स्वस्थ रहता है.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन दान करने से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है और गरीबों की सहायता होती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा से जुड़ी सावधानियां
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए. आइए, उन सावधानियों के बारे में जानें:
- ज्येष्ठ माह में सूर्य की तीव्रता अधिक होती है, इसलिए दोपहर के समय बाहर निकलने से बचें.
- इस दौरान शरीर में पानी की कमी न होने दें और खूब सारा तरल पदार्थ पिएं.
- व्रत के दौरान कमजोरी महसूस होने पर फलाहार का सेवन करें.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन क्रोध, ईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहें. सकारात्मक रहने का प्रयास करें.
निष्कर्ष
ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.