June Purnima 2025 Date: ज्येष्ठ पूर्णिमा जून के महीने में कब| जाने तिथि, पूजा, महत्व और उपाय

Jyeshtha Purnima 2025 Date: सनातन परंपरा में ज्येष्ठ पूर्णिमा का अत्यधिक धार्मिक महत्व माना गया है। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं और सत्यनारायण व्रत का पालन कर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस पावन अवसर पर गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा
Jyeshtha Purnima 2025 Date

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तारीख को लेकर लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है, इसलिए इसके सटीक दिनांक को जानना आवश्यक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह पूर्णिमा तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसका संबंध विशेष रूप से मां लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की उपासना से जुड़ा है।मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत, कथा और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा कब पड़ेगी और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय (Jyeshtha Purnima 2025 Date and Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 10 जून को प्रातः 11 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी और यह 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। तिथि की पूर्णता और उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए, ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व 11 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत, गंगा स्नान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Jyeshtha Purnima Mahatav)

ज्येष्ठ पूर्णिमा को सनातन धर्म में एक पावन और शुभ अवसर के रूप में देखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीविष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजन करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है, क्योंकि वे अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अर्पित भोग (Jyeshtha Purnima 2025 Bhog List)

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग अर्पित करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस अवसर पर विशेष रूप से खीर का भोग लगाया जाता है, जिसे बहुत ही शुभ और प्रिय माना गया है। इसके अलावा फल, मिठाइयाँ और पंचामृत भी पूजा में अर्पित किए जाते हैं। भोग में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल करना चाहिए, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इससे पूजा का पुण्य और भी बढ़ जाता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र (Jyeshtha Purnima Mantra)

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि (Jyeshtha Purnima Puja Vidhi)

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है और मानसिक रूप से भी शांति मिलती है। यदि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत चतुर्दशी से हो रही हो, तो कई श्रद्धालु एक दिन पूर्व से ही उपवास आरंभ करते हैं। इस विशेष दिन पर व्रत के साथ-साथ दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन दान करना न केवल धार्मिक दृष्टि से पुण्यदायी होता है, बल्कि यह समाज में करुणा और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किए जाने वाले शुभ कार्य और उपाय (Jyeshtha Purnima Upay)

1. दान पुण्य का विशेष महत्व
इस दिन अन्न, धन और वस्त्रों का दान करना शुभ फल प्रदान करता है। दान से ना केवल आत्मिक संतोष मिलता है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

2. पवित्र स्नान और पूजा
गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। यह कार्य विशेष पुण्यफलदायी माना गया है।

3. व्रत का पालन
व्रत रखना ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह व्रत व्यक्ति के जीवन में शांति, ऊर्जा और संयम लाता है।

4. मौन व्रत का अभ्यास
कुछ श्रद्धालु इस दिन मौन धारण कर आत्मचिंतन और ध्यान में लीन रहते हैं। यह अभ्यास मानसिक एकाग्रता और शांति को बढ़ावा देता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक जागरूकता और समाज कल्याण का अवसर भी है। इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत, पूजा और दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है।

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