June Ekadashi 2025 Date | निर्जला एकादशी और योगिनी एकादशी की तिथि,कथा, महत्त्व और नियम | जानें क्या जल पी सकते हैं

Last Updated: 31st May, 2025

June Ekadashi 2025 Date and Time: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। जून माह में दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आते हैं—निर्जला एकादशी और योगिनी एकादशी। इनमें से निर्जला एकादशी को वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी माना जाता है, जबकि योगिनी एकादशी स्वास्थ्य, सौंदर्य और पाप विमोचन के लिए जानी जाती है।

इस लेख में हम जानेंगे कि Ekadashi 2025 June में कब-कब पड़ रही हैं, उनके date and time, धार्मिक महत्व, पूजन विधि, और यह भी कि क्या निर्जला एकादशी पर जल पीना चाहिए या नहीं।

निर्जला एकादशी
June Ekadashi 2025

Table of Contents

निर्जला एकादशी 2025 जून: तिथि और समय (Nirjala Ekadashi 2025 Date and Time)

निर्जला एकादशी 2025 जून: तिथि और समय (Nirjala Ekadashi 2025 Date and Time)
निर्जला एकादशी पर भक्त बिना जल ग्रहण किए व्रत कर रहा है, पास में एक कलश रखा है, पीछे भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी आशीर्वाद दे रहे हैं

Nirjala Ekadashi 2025 June में 6 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आता है।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 जून 2025, रात 2:15 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 7 जून 2025, सुबह 4:47 बजे

धार्मिक परंपरा के अनुसार, तिथि का प्रारंभ 6 जून को हो रहा है, इसलिए व्रत 6 जून 2025 को ही रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और दिनभर निर्जल उपवास रखा जाता है।

निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखें? (Nirjala Ekadashi 2025 in Hindi)

निर्जला एकादशी, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, एक ऐसा व्रत है जिसमें जल तक का सेवन वर्जित होता है। इस दिन न तो अन्न लिया जाता है, न फल और न ही जल। व्रती को चाहिए कि वह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके भगवान विष्णु का ध्यान करे, व्रत का संकल्प ले और दिनभर भक्ति में लीन रहे।

क्या निर्जला एकादशी पर जल पी सकते हैं?

निर्जला एकादशी पर सामान्यतः जल पीना वर्जित होता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति अस्वस्थ है या अत्यधिक कमजोरी महसूस करता है, तो सीमित मात्रा में जल लेना धर्म के विपरीत नहीं माना गया है।

पारंपरिक विधि के अनुसार, पूजा करते समय तीन बार आचमन (थोड़ा सा जल ग्रहण करना) किया जाता है, जो व्रत को खंडित नहीं करता।

निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

महाभारत में वर्णित यह कथा विशेष रूप से भीमसेन (भीम) से संबंधित है। पांडवों में भीमसेन भोजन प्रिय और बलशाली थे। वे सभी एकादशी व्रतों का पालन करने में असमर्थ थे क्योंकि उन्हें व्रत के दौरान भूखा रहना अत्यंत कठिन लगता था।

कथा का विवरण:

एक दिन भीमसेन ने महर्षि वेदव्यास से निवेदन किया:

“हे महर्षि! मैं व्रत करना चाहता हूँ लेकिन मुझे भूख बहुत लगती है, इसलिए मैं महीने में दो बार एकादशी का व्रत नहीं कर पाता। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मुझे सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाए, लेकिन मुझे हर महीने उपवास न करना पड़े।”

वेदव्यासजी ने उत्तर दिया:

“हे भीमसेन! यदि तुम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को एक दिन निर्जल उपवास रख सको, तो तुम्हें वर्षभर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होगा।”

भीमसेन ने इस एक व्रत को रखने का निश्चय किया और बड़े ही कठिन तप के साथ यह व्रत किया। न तो उन्होंने अन्न ग्रहण किया और न ही जल की एक बूँद। अत्यधिक गर्मी और प्यास के कारण उनकी स्थिति खराब हो गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और व्रत पूर्ण किया।

इस प्रकार इस एकादशी को “निर्जला एकादशी” कहा जाने लगा। इसे “भीमसेनी एकादशी” और “पांडव एकादशी” भी कहते हैं।

पुण्य फल:

  • इस व्रत को करने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
  • यह व्रत मोक्षदायक और पाप नाशक माना गया है।
  • जो व्रती श्रद्धा से इस व्रत का पालन करता है, वह वैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।

निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi Significance in Hindi)

Nirjala Ekadashi significance के पीछे महाभारत की एक कथा प्रसिद्ध है। भीमसेन, जिन्हें व्रत करना कठिन लगता था, उन्होंने महर्षि वेदव्यास के निर्देश पर सिर्फ एक ही व्रत—निर्जला एकादशी—रखा। इस एक व्रत के फलस्वरूप उन्हें वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ। तभी से इसे ‘भीमसेन एकादशी‘ या ‘पांडव एकादशी‘ भी कहा जाता है।

क्यों है यह व्रत खास?

  • यह व्रत सभी एकादशियों का समस्त पुण्य देने वाला माना गया है।
  • आत्मसंयम, श्रद्धा और भक्ति का यह व्रत जीवन को आध्यात्मिक ऊंचाई पर ले जाता है।
  • वैकुंठ प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावकारी है।

व्रत पारण विधि (Ekadashi Vrat Parana Vidhi)

निर्जला एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि को पारण करके समाप्त किया जाता है। व्रती को अगले दिन सूर्योदय के पश्चात जल, फलाहार या सात्विक भोजन से व्रत खोलना चाहिए। यदि किसी कारणवश जल लिया गया हो, तो भी व्रत का भावपूर्ण पालन पुण्यदायक रहता है।

योगिनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व और पूजन विधि (Yogini Ekadashi 2025 in Hindi)

योगिनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व और पूजन विधि (Yogini Ekadashi 2025 in Hindi)
योगिनी एकादशी के दिन रात के समय भक्त दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा कर रहा है

Yogini Ekadashi 2025 आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है और इसे पापों के नाश तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए खास माना गया है।

Yogini Ekadashi 2025 Date and Time

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 जून 2025, सुबह 07:18 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 22 जून 2025, सुबह 04:27 बजे
  • व्रत तिथि: 21 जून 2025 (उदया तिथि अनुसार)

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

पद्म पुराण में वर्णित यह कथा धनपाल नामक एक वैश्य और उसके सेवक हेममाली की है।

कथा का विवरण:

प्राचीनकाल में अलकापुरी नामक नगर में कुबेर देवता का राज्य था। उनके सेवकगण प्रतिदिन मन्दार पर्वत से पुष्प लाकर शिवजी की पूजा करते थे। उन्हीं में से एक सेवक का नाम था हेममाली, जो अपनी सुंदर पत्नी से अत्यधिक प्रेम करता था।

एक दिन हेममाली ने पुष्प लाने के बाद तुरंत अपनी पत्नी से मिलने की इच्छा में पूजा के लिए पुष्प नहीं पहुँचाए। इसके कारण कुबेर क्रोधित हो गए और उन्होंने उसे श्राप दे दिया:

“हे दुष्ट! तू अपनी सेवा भूल गया है। अब तू कुष्ठ रोगी बनकर पृथ्वी पर निवास करेगा।”

शाप के प्रभाव से हेममाली कुरूप और रोगग्रस्त हो गया। उसने लंबा समय वन में व्यतीत किया और ऋषि मार्कंडेय के आश्रम में पहुँच गया।

वहाँ उसने अपनी गलती स्वीकार की और ऋषि से प्रायश्चित का उपाय पूछा। ऋषि मार्कंडेय ने कहा:

“हेममाली! यदि तुम आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो, तो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और तुम पुनः अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त करोगे।”

हेममाली ने श्रद्धा से यह व्रत किया और कुछ ही समय में उसका रोग समाप्त हो गया। वह सुंदर स्वरूप में अपने नगर लौट गया।

पुण्य फल:

  • इस व्रत से कुष्ठ रोग, अशांति, और पापों का नाश होता है।
  • इस व्रत से अपूर्व सौंदर्य, स्वास्थ्य और शांति प्राप्त होती है।
  • योगिनी एकादशी का व्रत सौभाग्य, भक्ति और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।

योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Significance)

Yogini Ekadashi significance की व्याख्या पद्म पुराण में की गई है। इस व्रत के प्रभाव से:

  • चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • सौंदर्य, स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • सभी पापों का नाश होकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

यह व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो तनाव, रोग या आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।

योगिनी एकादशी व्रत विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • भगवान विष्णु को तुलसी दल, फल, दीप, धूप और नैवेद्य अर्पित करें
  • विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता का पाठ करें
  • उपवास रखें और संध्या को आरती करें

June Ekadashi 2025: सारांश (Quick Summary of Ekadashi 2025 June)

एकादशी व्रततिथिव्रत का प्रकारविशेषता
निर्जला एकादशी6 जून 2025निर्जल उपवाससभी एकादशियों का पुण्य, वैकुण्ठ प्राप्ति
योगिनी एकादशी21 जून 2025फलाहारी उपवासस्वास्थ्य, सौंदर्य और पापों से मुक्ति

निष्कर्ष (Conclusion)

June Ekadashi 2025 में आने वाली निर्जला एकादशी और योगिनी एकादशी दोनों ही आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक शुद्धि का अद्भुत माध्यम हैं। चाहे आप पूरे साल व्रत न कर पाएं, nirjala ekadashi 2025 in hindi का व्रत करके सभी व्रतों का फल प्राप्त कर सकते हैं।

वहीं, Yogini Ekadashi नकारात्मक ऊर्जा और रोगों से मुक्ति के लिए रामबाण है। इस लेख में बताए गए nirjala ekadashi 2025 date and time, yogini ekadashi significance, और पूजन विधियों को अपनाकर आप अपने जीवन को सुख-शांति और मोक्ष के मार्ग पर ले जा सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. जून 2025 में एकादशी कब है?

उत्तर: जून 2025 में दो एकादशी व्रत आते हैं —
निर्जला एकादशी: 6 जून 2025, शुक्रवार
योगिनी एकादशी: 21 जून 2025, शनिवार

Q2. निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और व्रत का समय क्या है?

उत्तर:
एकादशी तिथि प्रारंभ: 6 जून 2025, रात 2:15 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 7 जून 2025, सुबह 4:47 बजे
व्रत 6 जून को ही रखा जाएगा।

Q3. योगिनी एकादशी 2025 की तिथि क्या है?

उत्तर:
योगिनी एकादशी व्रत तिथि: 21 जून 2025, शनिवार
एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 जून को सुबह 7:18 बजे
समाप्त: 22 जून को सुबह 4:27 बजे

Q4. क्या निर्जला एकादशी पर जल पी सकते हैं?

उत्तर: पारंपरिक रूप से निर्जला एकादशी पर जल पीना वर्जित होता है, लेकिन अगर स्वास्थ्य कारण हों तो थोड़ी मात्रा में जल लेने की छूट दी गई है। भाव और श्रद्धा अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

Q5. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं?

उत्तर: भीमसेन को उपवास कठिन लगता था, इसलिए उन्होंने वर्ष भर में केवल एक व्रत — निर्जला एकादशी — रखा। उन्होंने इसे बिना जल ग्रहण किए पूर्ण किया, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

Q6. क्या निर्जला एकादशी रखने से सभी एकादशियों का फल मिलता है?

उत्तर: हाँ, शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति श्रद्धा से निर्जला एकादशी का व्रत करता है, उसे पूरे वर्ष की 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

Q7. योगिनी एकादशी का क्या महत्व है?

उत्तर: योगिनी एकादशी का व्रत रोगों से मुक्ति, सौंदर्य, स्वास्थ्य, और पापों के नाश के लिए किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

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