फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक होलिका दहन गुरुवार को संपन्न होगा। इसके अगले दिन, शुक्रवार को रंगों के त्योहार होली की धूम रहेगी। इस उत्सव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है, और तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। शहरों से लेकर कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों तक बाजारों में रंग-बिरंगे गुलाल और हर्बल रंगों की खरीदारी जोरों पर है। हालांकि, इस वर्ष होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव रहेगा।

होलिका दहन 2025: शुभ मुहूर्त एवं ज्योतिषीय दृष्टिकोण
ज्योतिषाचार्य दशरथी नंदन द्विवेदी के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च की सुबह 10:35 बजे से होगा और इसका समापन 14 मार्च दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा। चूंकि 13 मार्च को पूरे दिन और रात पूर्णिमा तिथि का प्रभाव रहेगा, इसलिए होलिका दहन इसी दिन किया जाएगा। पूर्णिमा तिथि के साथ-साथ इस दिन भद्रा का प्रभाव भी रहेगा, जो रात 11:26 बजे तक सक्रिय रहेगा। इसके बाद रात 12:23 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन से नकारात्मक ऊर्जा और परेशानियों का नाश होता है तथा परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
इस बार प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के आधार पर होलिका दहन के लिए लगभग एक घंटे का शुभ मुहूर्त रहेगा। श्रद्धालुओं ने इस अवसर के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं, और बाजारों में भी रंगों और पूजा सामग्रियों की रौनक देखने को मिल रही है।
होलिका दहन 2025 पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)
स्थानीय होलिका दहन मुहूर्त के अनुसार, होलिका दहन के समय जल, फल-फूल, मोली, गुलाल और गुड़ आदि अर्पित कर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। पूजन सामग्री को होलिका की अग्नि में अर्पित करते समय या गेहूं की बाली भूनते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। परंपरा के अनुसार, गोबर से बनी ढाल और खिलौनों की चार मालाएं घर में सुरक्षित रखी जाती हैं—एक पितरों के लिए, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता के लिए और चौथी परिवार की सुख-समृद्धि के लिए।
होलिका की परिक्रमा करते समय कच्चे सूत को तीन या सात बार लपेटना चाहिए और फिर लोटे के जल सहित सभी पूजन सामग्रियों को एक-एक करके समर्पित करना चाहिए। नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए नवग्रह की लकड़ी को मंत्रोच्चारण के साथ होलिका में अर्पित करना शुभ माना जाता है। गेहूं की बाली को होलिका की अग्नि में सेंकने से घर में समृद्धि और अन्न-धान्य की वृद्धि होती है। पूजन के अंत में जल से अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
होलिका पूजन के दौरान निम्न मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है:
अहकूटा भयत्रस्तैः ता त्वं होलि बालिशैः
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।।
इस मंत्र का जाप कम से कम एक माला, तीन माला या पांच माला की विषम संख्या में करना चाहिए।
होली पर विशेष उपाय:
- गृह क्लेश से मुक्ति: एक जटा वाला नारियल और नौ गोमती चक्र को अपने सिर से आठ बार वारकर या पूरे घर में घुमाकर होलिका की अग्नि में समर्पित करें।
- ऊपरी बाधा से मुक्ति: यदि किसी पर ऊपरी बाधा हो, तो “सर्वाबाधा विर्निमुक्तो धन धान्य सुतान्वितः, मनुष्यो मत् प्रसादेन भविष्यति न संशयः” मंत्र का 108 बार जाप करें और नवग्रह की लकड़ी, जटा वाला नारियल, गोमती चक्र, सफेद बताशे और लौंग आदि को सिर से वारकर होलिका की अग्नि में समर्पित करें। ऐसा करने से सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा होती है, ठीक वैसे ही जैसे प्रहलाद की रक्षा हुई थी।
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