आपने होलाष्टक का नाम तो जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे अशुभ क्यों माना जाता है? होलाष्टक कब से शुरू होता है, और इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं? होलाष्टक के दौरान ग्रहों की नकारात्मकता बढ़ जाती है, जिससे आठ दिनों तक वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है। ज्योतिष के अनुसार, इस समय ग्रह-नक्षत्र कमजोर हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।

हालांकि, होलाष्टक में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दौरान मौसम में भी बदलाव देखा जाता है, इसलिए दिनचर्या को अनुशासित और संतुलित रखना चाहिए। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को होगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि होलाष्टक कब से शुरू हो रहा है।
होलाष्टक कब से शुरू हो रहा है? (Holashtak 2025 Start Date)
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष होलाष्टक 2025 की शुरुआत 7 मार्च, गुरुवार को प्रातः 10:51 बजे से होगी और इसका समापन 14 मार्च को दोपहर 12:24 बजे पर होगा। होलाष्टक की अवधि 7 मार्च से 14 मार्च तक रहेगी, और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। जैसे ही होलिका दहन संपन्न होता है, होलाष्टक समाप्त हो जाता है, और अगले दिन रंगों की होली धूमधाम से मनाई जाती है।
होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता है? (Holashtak Ko Ashubh Kyun Mante Hai)
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं, जिससे इस समय को अशुभ माना जाता है। इस अवधि में विभिन्न तिथियों पर अलग-अलग ग्रहों की उग्र स्थिति देखी जाती है—
- अष्टमी तिथि को चंद्रमा,
- नवमी तिथि को सूर्य,
- दशमी तिथि पर शनि,
- एकादशी तिथि को शुक्र,
- द्वादशी तिथि पर गुरु,
- त्रयोदशी तिथि को बुध,
- चतुर्दशी तिथि पर मंगल,
- और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं।
इन ग्रहों की उग्रता का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान किए गए शुभ कार्यों पर इन ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएं आ सकती हैं। इसी कारण, होली से पूर्व इन आठ दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
होलाष्टक का महत्व (Holashtak Mahatva)
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान भगवान हनुमान, भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में इन देवी-देवताओं की आराधना करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा, होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान व्यक्ति को नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए? (Holashtak me Kya Na Kare)
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए। इस अवधि में भूमि, भवन और वाहन की खरीदारी को भी अशुभ माना जाता है। साथ ही, नवविवाहिताओं को इन दिनों में अपने मायके में रहने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा, नए निर्माण कार्यों की शुरुआत, भूमि पूजन और गृह प्रवेश से भी परहेज करना चाहिए। हिंदू धर्म में बताए गए 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को इस दौरान संपन्न नहीं करना चाहिए। हालांकि, यदि इस दौरान किसी व्यक्ति का निधन हो जाए, तो शांति पूजन के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है।
इस अवधि में हवन-यज्ञ जैसे कर्मकांडों से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन नियमित पूजा-पाठ जारी रखा जा सकता है।
होलाष्टक में क्या करें? (Holashtak me Kya Kare)
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान पूजा-पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस समय मौसम में तेजी से बदलाव होता है, इसलिए स्वस्थ और अनुशासित दिनचर्या अपनाने की सलाह दी जाती है। इस दौरान स्वच्छता और संतुलित खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस अवधि में भगवान विष्णु की आराधना करना शुभ माना जाता है। हालांकि, इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, लेकिन अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त, व्रत और उपवास रखने से भी पुण्य लाभ मिलता है। इस समय धार्मिक कार्यों में संलग्न रहना, वस्त्र, अनाज और जरूरतमंदों को धनदान करना शुभ फल प्रदान करता है।
ALSO READ:-
Holi 2025: इस वर्ष होली पर लग रहा है चंद्र ग्रहण, जाने क्या होली पर पड़ेगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव?
Holi 2025: होली पर लड्डू गोपाल को लगायें इन रंगों का गुलाल, घर में आएगी सुख-समृद्धि
Holi Date 2025: रंगवाली होली 2025 में कब? जाने होलिका दहन कब होगा?