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Chhath Puja 2024: महिलाएं भी उठा सकती हैं छठ पूजा का दउरा, लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व कल से नहाय खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। इस महापर्व का सबसे खास पहलू है कि इसमें उगते और ढलते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है। पुरुषों के साथ इस पर्व में महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्य उपासना करती हैं। इस पर्व में बांस से बने दउरा या डाला का खास महत्व है, जिसे छठ घर से लेकर छठ घाट तक ले जाया जाता है। प्रथा के अनुसार, दउरा ज्यादातर पुरुष ही उठाते हैं, लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या महिलाएं भी दउरा ले जा सकती हैं।

Chhath Puja 2024

छठ पूजा का विधि-विधान और समापन (Chhath Puja Date 2024)

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस चार दिवसीय पर्व की शुरुआत कल से नहाय-खाय के साथ होगी। 6 नवंबर को खरना का प्रसाद तैयार किया जाएगा, 7 नवंबर को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके इस महापर्व का समापन किया जाएगा। छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ महापर्व में छठी मैया और भगवान सूर्य की आराधना की जाती है, जो कि हिंदू परंपरा में किसी प्रत्यक्ष देवता की उपासना का एकमात्र पर्व है। मान्यता है कि इस पूजा में मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

छठ महापर्व में प्राकृतिक चीजों का महत्व (Chhath Puja Mahatva)

छठ महापर्व में केवल प्राकृतिक सामग्रियों का ही उपयोग किया जाता है। बांस से बने दउरा या डाली में पूजा का प्रसाद रखा जाता है। मिट्टी के बर्तनों में भोजन तैयार किया जाता है, जो इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य ही प्राकृतिक चीजों के प्रति आस्था और संकल्प को बनाए रखना है।

क्या महिलाएं भी उठा सकती हैं दउरा? (Chhath Puja Daura Mahatva)

इस महापर्व में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी होती है, लेकिन परंपरागत रूप से पुरुष ही डाला या दउरा उठाते हैं। फिर भी इस पर्व में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है, इसलिए महिलाएं भी शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखते हुए दउरा छठ घाट तक ले जा सकती हैं। इस पर्व में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य होता है।

इन महिलाओं को दउरा उठाने से बचना चाहिए

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कुछ विशेष महिलाओं को दउरा नहीं उठाना चाहिए। जो महिलाएं मासिक धर्म में हैं, उन्हें इस पवित्र कार्य से दूर रहना चाहिए। साथ ही, कोई भी बीमार महिला, बुजुर्ग महिला या विधवा महिला को भी दउरा नहीं उठाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा करना अशुभ फलदायी हो सकता है और इससे पूजा का पवित्र उद्देश्य प्रभावित हो सकता है।

छठ पूजा में समर्पण और आस्था का महत्व

छठ महापर्व के दौरान भक्तजन अपने आराध्य सूर्य देव और छठी मैया के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हैं। इस पर्व में व्रती भक्तों का कठिन व्रत और नियम का पालन ही इसे अन्य पर्वों से अलग और विशेष बनाता है। छठ पूजा में जितना ध्यान व्रत, नियम और शुद्धता पर दिया जाता है, उतना ही ध्यान सभी सदस्यों की भागीदारी पर भी दिया जाता है।

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