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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि की शुरूआत कब और कैसे हुई? जाने इसकी पौराणिक कथा

Last Updated: 26 March 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रियां होती हैं, जिनमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि शामिल हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं (श्यामा, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बग्लामुखी, मातंगी और लक्ष्मी) की साधना की जाती है। इस दौरान तांत्रिक विधि से विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्र के प्रारंभ, पौराणिक मान्यताओं और नियमों के बारे में विस्तार से।

चैत्र नवरात्रि
Chaitra Navratri 2025

चैत्र नवरात्र का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इसे बसंत ऋतु में मनाया जाता है और इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्राचीन काल से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है, जिसका उल्लेख वेदों, पुराणों और अन्य धर्मशास्त्रों में भी मिलता है।

चैत्र नवरात्र की शुरुआत कैसे हुई?(Chaitra Navratri 2025)

पौराणिक मान्यता:
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, जब ब्रह्मांड की रचना हो रही थी, तब ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण के लिए देवी शक्ति की आराधना की। उन्होंने मां दुर्गा से सृष्टि की रक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना की। तभी से नवरात्र पर्व की शुरुआत मानी जाती है।

रामायण से संबंध:
रामायण में उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पूर्व देवी दुर्गा की उपासना चैत्र नवरात्र के दौरान की थी। उन्होंने पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन उन्हें विजयश्री प्राप्त हुई। इसी कारण इस नवरात्र में राम नवमी भी मनाई जाती है।

महाभारत से संबंध:
महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अज्ञातवास में जाने से पहले देवी दुर्गा की उपासना की थी। मां दुर्गा की कृपा से उन्होंने शक्ति और विजय प्राप्त की, जिससे उनके सभी कार्य सफल हुए।

वैदिक और ज्योतिषीय आधार:
चैत्र नवरात्रि का संबंध हिंदू नववर्ष से भी है। यह विक्रम संवत के प्रथम दिन से शुरू होती है, जो सृष्टि के आरंभ और नए वर्ष का प्रतीक मानी जाती है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह समय शुभ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।

चैत्र नवरात्रि कब मनाई जाती है?

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक (मार्च-अप्रैल के दौरान) चैत्र नवरात्र मनाई जाती है। यह हिंदू नववर्ष का प्रथम दिन भी होता है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगी।

चैत्र नवरात्र के 5 प्रमुख नियम

  1. सात्विक भोजन:
    नवरात्र के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें। लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से बचें। मन, वाणी और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
  2. उपवास या फलाहार:
    यदि संभव हो तो व्रत रखें या फलाहार करें। प्रतिदिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा और आराधना करें।
  3. कलश स्थापना और अखंड ज्योति:
    चैत्र नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना (घटस्थापना) करें और नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें।
  4. मंत्र और पाठ:
    सुबह और शाम दीप प्रज्वलित करके दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या देवी मंत्रों का पाठ करें। भजन-कीर्तन और ध्यान का भी विशेष महत्व है।
  5. कन्या पूजन:
    अष्टमी या नवमी तिथि पर नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इस विधि के साथ व्रत का विधिपूर्वक समापन करें।

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