भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 19 का भावार्थ, तात्पर्य और गूढ़ रहस्य | कर्मयोग का मार्ग | तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचार |

भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 19 का भावार्थ, तात्पर्य और गूढ़ रहस्य | कर्मयोग का मार्ग | तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचार |

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 19 (Bhagavad Geeta Adhyay 3 Shloka 19 in Hindi): भगवद्गीता के तीसरे अध्याय में श्रीकृष्ण ने कर्मयोग की व्याख्या करते हुए जीवन में कर्म के महत्व को विस्तार से समझाया है। भागवत गीता श्लोक 3.19 विशेष रूप से यह सिखाता है कि “फल की आसक्ति छोड़कर अपने कर्तव्यों का पालन … Read more

भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 18 का अर्थ, भावार्थ और तात्पर्य | कर्मयोग में स्वरुपसिद्ध आत्मा की स्थिति | नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्र्चन |

भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 18 का अर्थ, भावार्थ और तात्पर्य | कर्मयोग में स्वरुपसिद्ध आत्मा की स्थिति | नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्र्चन |

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 18 (Bhagavat Geeta Adhyay 3 Shloka 18 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता का प्रत्येक श्लोक आध्यात्मिक मार्ग को स्पष्ट करने वाली एक अमूल्य सीख है। अध्याय 3, जिसे कर्मयोग का अध्याय कहा गया है, में भगवान श्रीकृष्ण जीवन के कर्म-सिद्धांत को विस्तार से समझाते हैं। श्लोक 3.18 में वे एक ऐसी अवस्था … Read more

भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 17 की गूढ़ व्याख्या: कर्म से परे आत्म-संतुष्टि का मार्ग | यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्र्च मानवः

भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 17 की गूढ़ व्याख्या: कर्म से परे आत्म-संतुष्टि का मार्ग | यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्र्च मानवः

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 17 (Bhagavat Geeta Adhyay 3 Shloka 17 in Hindi): भगवद गीता का अध्याय 3 ‘कर्मयोग’ के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ श्रीकृष्ण कर्म और उसकी गूढ़ता को समझाते हैं। इस अध्याय का श्लोक 17 विशेष रूप से उस अवस्था की बात करता है जहाँ मनुष्य को बाह्य कर्म की आवश्यकता … Read more

भगवत गीता अध्याय 3 श्लोक 16 अर्थ सहित | एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः |

भगवत गीता अध्याय 3 श्लोक 16 अर्थ सहित | एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः |

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 16 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 16 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन करने वाली अनुपम शिक्षाओं का भंडार है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने महाभारत काल में थे। गीता का तीसरा … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 Shloka 15 | गीता अध्याय 3 श्लोक 15 अर्थ सहित | कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 Shloka 15 | गीता अध्याय 3 श्लोक 15 अर्थ सहित | कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 15 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 15 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 15 में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म, वेद और ब्रह्म के दिव्य संबंध को स्पष्ट किया है। जानिए इस श्लोक का भावार्थ, तात्पर्य और यज्ञ की आध्यात्मिक महत्ता इस विस्तृत लेख में। श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय ‘कर्मयोग’ में … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 14 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 in Hindi): भारतीय संस्कृति में भगवद्गीता एक ऐसा आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू को गहराई से समझने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है, बल्कि प्रकृति, कर्म, और यज्ञ के माध्यम … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 13 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक दिव्य ग्रंथ है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के माध्यम से मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाया है। गीता के तीसरे अध्याय के … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 12 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 in Hindi): भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है जो मानव जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालता है। गीता के तीसरे अध्याय का 12वाँ श्लोक (BG 3.12) यज्ञ, दान और ईश्वर भक्ति के महत्व को समझाता है। इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 11 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय का 11वाँ श्लोक (3.11) मनुष्य और देवताओं के बीच एक पवित्र संबंध स्थापित करता है। यह श्लोक बताता है कि यज्ञ के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न करने पर वे भी मनुष्यों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे समाज … Read more

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः.....

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 10 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की सम्पूर्ण कला का विज्ञान है। इसमें निहित गीता अध्याय 3 श्लोक 3.10 यज्ञ की अवधारणा को स्पष्ट करता है, जो मानव सभ्यता के विकासक्रम में सदैव केन्द्रीय रहा है। यज्ञ को केवल एक … Read more