क्या है किराडू मंदिर से जूडी श्राप की कहानी? क्यूँ यहाँ आज भी जाने से डरते हैं लोग

राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला और इससे जुड़ी श्राप की कहानी के कारण प्रसिद्ध है। माना जाता है कि शाम के बाद इस मंदिर में जाना बेहद खतरनाक है और लोग इसे अपनी मौत को बुलावा देने के समान मानते हैं। बाड़मेर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान पांच मंदिरों का समूह है, जिनमें मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित सोमेश्वर मंदिर है।

इन मंदिरों की वास्तुकला अद्वितीय है और खजुराहो के मंदिरों की शैली से मेल खाती है। हालांकि उत्तर भारत में स्थित होने के बावजूद इन मंदिरों की बनावट दक्षिण भारतीय शैली की है। मंदिर की कई मूर्तियां समय के साथ खंडित हो गई हैं, लेकिन उनकी भव्यता और शिल्पकला आज भी लोगों को चकित करती है। इस मंदिर के रहस्यमयी पहलुओं और डरावनी कहानियों के कारण यहां शाम के बाद जाने से लोग कतराते हैं।

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किराडू मंदिर से जुड़ी श्राप की कहानी

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, किराडू मंदिर से जुड़ी एक श्राप की कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक महान संत ने अपने शिष्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी गांववालों को सौंपी थी। लेकिन संत के जाने के बाद गांववाले उस शिष्य को भूल गए और जब उसे सहायता की सबसे अधिक आवश्यकता थी, तो किसी ने उसकी मदद नहीं की। उपेक्षा के कारण शिष्य की मृत्यु हो गई, जिससे संत क्रोधित हो गए। उन्होंने गांववालों को श्राप दिया कि सूर्यास्त के बाद इस क्षेत्र में जो भी रहेगा, वह पत्थर का बन जाएगा। इस मान्यता के चलते आज भी लोग सूर्यास्त से पहले मंदिर परिसर खाली कर देते हैं, और यहां रात में रुकना अशुभ माना जाता है।

किराडू मंदिर अपेक्षाकृत सुनसान और वीरान इलाके में स्थित है, जहां का वातावरण रहस्यमय और डरावना महसूस होता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर का पुनर्निर्माण करने का प्रयास करता है, उसे कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह सब संत के श्राप का नतीजा है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने रात में मंदिर परिसर में असामान्य आवाजें सुनीं या अजीब अनुभव किए हैं। इन रहस्यमयी किस्सों ने इस मंदिर को और भी अधिक डरावना और आकर्षक बना दिया है।

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