Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 46 – गीता अध्याय 1 श्लोक 46 अर्थ सहित – एवमुक्तवार्जुनः संख्ये रथोपस्थ…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 46 – गीता अध्याय 1 श्लोक 46 अर्थ सहित - एवमुक्तवार्जुनः संख्ये रथोपस्थ.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 46 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 46 in Hindi): भगवद्गीता के अध्याय 1 श्लोक 46(Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 46) में संजय ने धृतराष्ट्र को बताया कि अर्जुन ने भगवान कृष्ण से सेनाओं के बीच में अपने रथ को खड़ा करने के लिए कहा। भगवान कृष्ण, जो हृषीकेश (इन्द्रियों के स्वामी) हैं, अर्जुन के … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 45 – गीता अध्याय 1 श्लोक 45 अर्थ सहित – यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 45 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 45 in Hindi):महाभारत का युद्ध न केवल दो कुलों के बीच का संघर्ष था, बल्कि यह नैतिकता, धर्म, और मानव मन की जटिलताओं का भी प्रतीक था। भगवद्गीता के प्रथम अध्याय में, अर्जुन के मन में उत्पन्न करुणा और द्वंद्व को दर्शाया गया है। विशेषकर, गीता अध्याय 1 … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 44 – गीता अध्याय 1 श्लोक 44 अर्थ सहित – अहो बत महत्पापं…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 44 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 44 in Hindi): महाभारत के युद्ध के संदर्भ में अर्जुन द्वारा कहे गए गीता अध्याय 1 श्लोक 44(Gita Chapter 1 Verse 44) में “अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्” हमें यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि किस प्रकार स्वार्थ और लोभ के कारण मनुष्य अपने सबसे … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 43 – गीता अध्याय 1 श्लोक 43 अर्थ सहित – उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 43 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 43 in Hindi): कुल-धर्म का पालन भारतीय संस्कृति और समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल परिवार की परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करता है, बल्कि समाज में नैतिकता और अनुशासन को भी बनाए रखता है। भगवद गीता के अध्याय 1 श्लोक 43 (Bhagavad Gita … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 42 – गीता अध्याय 1 श्लोक 42 अर्थ सहित – दोषैरेतै कुलघ्नानां…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 42 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 42 in Hindi): भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 42(Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 42) में परिवार की परम्पराओं और समाज की योजनाओं के विनाश के दुष्परिणामों पर गहन विचार किया गया है। इस श्लोक में कहा गया है कि जो लोग कुल-परम्परा को नष्ट करते हैं और अवांछित … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 1 श्लोक 41 अर्थ सहित – सड्करो नरकायैव…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 41 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 41 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 41(Gita Chapter 1 Verse 41) के माध्यम से अवांछित सन्तानों की वृद्धि से पितरों के नारकीय जीवन पर चर्चा की गई है। पितरों को जल और पिण्डदान देने की परम्परा के महत्व को तात्पर्य के साथ समझाया गया है। विष्णु पूजा और भगवान् … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 40 – गीता अध्याय 1 श्लोक 40 अर्थ सहित – अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 40 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Gita Chapter 1 Verse 40) में अधर्म के प्रमुख होने से स्त्रियों के दूषित होने के कारणों और इसके परिणामस्वरूप समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई है। धार्मिक प्रथाओं, समाज के वयोवृद्धों के संरक्षण और … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 39 – गीता अध्याय 1 श्लोक 39 अर्थ सहित – कुल क्षये प्रणश्यन्ति…..

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श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 39 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 39 in Hindi): श्लोक “कुल क्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः” के भावार्थ को समझते हुए, इस लेख में परिवार की परम्पराओं के महत्व और उनके संरक्षण के तरीकों पर चर्चा की गई है। जानिए कैसे वयोवृद्धों का सम्मान और उनकी उपस्थिति परिवार और समाज की स्थिरता में योगदान … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 37, 38 – गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 अर्थ सहित – यद्यप्येते न पश्यति…..कथं न ज्ञेयमस्माभिः…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 37, 38 – गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 अर्थ सहित - यद्यप्येते न पश्यति.....कथं न ज्ञेयमस्माभिः..... | Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 37, 38 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 37, 38 in Hindi): महाभारत के युद्धभूमि में खड़े अर्जुन के सामने केवल शत्रु नहीं थे, बल्कि अपने ही परिवार और मित्रों के प्रति कर्तव्य और धर्म का गहन द्वंद्व था। यह द्वंद्व भगवद्गीता के अनेक श्लोकों में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। यहाँ प्रस्तुत … Read more

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 36 – गीता अध्याय 1 श्लोक 36 अर्थ सहित – पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 36 – गीता अध्याय 1 श्लोक 36 अर्थ सहित - पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः.....| Festivalhindu.com

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 36 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 36 in Hindi): गीता के अध्याय 1 श्लोक 36 (Gita Chapter 1 Verse 36) में अर्जुन ने एक बहुत ही गहन प्रश्न उठाया है। युद्ध के मैदान में खड़े होकर, उन्होंने अपने गुरु, पितामह, और मित्रों के खिलाफ हथियार उठाने से पहले, अपने दिल में उठ रहे संदेह … Read more