संकष्टी चतुर्थी, जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार है। यह हर महीने में दो बार मनाया जाता है – एक बार कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण के दौरान) में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण के दौरान) में चतुर्थी तिथि को। यह व्रत विशेष रूप से भगवान गणेश, बुद्धि और सौभाग्य के देवता को समर्पित है।

अगस्त 2024 में संकष्टी चतुर्थी कब है? (Sankashti Chaturthi August 2024 Date)
अगस्त 2024 में, संकष्टी चतुर्थी 22 अगस्त, शुक्रवार को पड़ेगी। यह कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी है।
संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि आरंभ: 22 अगस्त 2024, सुबह 1:46 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 23 अगस्त 2024, सुबह 10:39 बजे
- अभ्यंगन स्नान मुहूर्त: 22 अगस्त 2024, सुबह 6:30 बजे से 7:15 बजे तक
- गणेश पूजा मुहूर्त: 22 अगस्त 2024, दोपहर 12:18 बजे से 1:05 बजे तक
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (Sankashti Chaturthi August 2024 Puja Vidhi)
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें सच्ची श्रद्धा और भक्ति की आवश्यकता होती है। यहां विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है:
- पूजा की तैयारी (पूर्व रात्रि): संकष्टी चतुर्थी से एक दिन पहले शाम को हल्का भोजन करें और जल्दी सो जाएं। अगले दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठें, जो सूर्योदय से पहले का शुभ समय होता है। स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान की स्थापना: अपने पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी या आसन बिछाएं। इस पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। आप उन्हें सिंदूर, हल्दी और चंदन का तिलक लगा सकते हैं।
- आमंत्रण और स्नान: भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें पूजा में विराजमान होने के लिए आमंत्रित करें। इसके बाद, भगवान गणेश को जल, दूध, दही और पंचामृत से स्नान कराएं।
- षोडशोपचार पूजा: भगवान गणेश को वस्त्र, यज्ञोपवीत, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) और इत्र अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में आप मोदक, दूर्वा घास, फल और मिठाई चढ़ा सकते हैं।
- मंत्र जप और स्तोत्र पाठ: “ऊं गं गणपतेय नमः” या “गणेश गायत्री मंत्र” का 108 बार जाप करें। इसके बाद, “संकटनाश गणेश स्तोत्र” या “गणेश चतुर्थी व्रत कथा” का पाठ करें।
- आरती और प्रार्थना: भगवान गणेश की आरती करें और अपनी मनोकामनाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।
- व्रत का पालन: यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो पूरे दिन उपवास करें। आप फलाहार के रूप में फल, दूध और साबुदाना की खीर का सेवन कर सकते हैं।
- चंद्र दर्शन और समापन: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और भगवान गणेश की आरती करें।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi August 2024 Importance)
संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। आइए देखें इस व्रत के कुछ प्रमुख महत्व:
- बाधाओं का निवारण: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “बाधाओं को दूर करने वाला।” माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं, चाहे वे व्यक्तिगत हों या व्यावसायिक।
- बुद्धि और विद्या की प्राप्ति: भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। इस व्रत को रखने से छात्रों को उनकी पढ़ाई में सफलता प्राप्त करने और ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- सुख और समृद्धि: संकष्टी चतुर्थी का व्रत आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए जाना जाता है। भगवान गणेश को मांगलिक कार्यों के शुभ आरंभ के लिए भी पूजा जाता है।
- मनोकामना पूर्ति: यह माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- विवाहित जीवन में सौभाग्य: कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
संकष्टी चतुर्थी के विभिन्न रूप
संकष्टी चतुर्थी को हर महीने दो बार मनाया जाता है, लेकिन इसकी कुछ खास किस्में भी हैं, जिनका विशेष महत्व है:
- महार गणेश: माघ महीने (जनवरी-फरवरी) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महार गणेश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि उनकी कृपा से भक्तों को अत्यधिक लाभ मिलता है।
- एकादशी गणेश: भाद्रपद महीने (अगस्त-सितंबर) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को एकादशी गणेश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश को एकादशी के समान पूजा जाता है और उनसे मोक्ष की प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा जाता है.
- हरतालिका गणेश: भाद्रपद महीने (अगस्त-सितंबर) के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हरतालिका गणेश के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा वर प्राप्त हो।
संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कथा (Sankashti Chaturthi Katha)
संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जो इस व्रत के महत्व को दर्शाती है। कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने गईं और उन्होंने अपने पुत्र गणेश को द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। जब माता पार्वती स्नान कर रही थीं, तब भगवान शिव उस कमरे में प्रवेश करना चाहते थे। लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि उन्हें अपनी माता का आदेश पालना था। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश का एक सिर काट दिया।
जब माता पार्वती स्नान करके बाहर आईं तो उन्होंने यह दृश्य देखा और बहुत दुखी हुईं। भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि वह गणेश का सिर वापस ला देंगे। उन्होंने अपने गणों को आदेश दिया कि वे उत्तर दिशा में जाएं और जो भी जीव सबसे पहले मिले उसका सिर काटकर लाएं।
गण दक्षिण दिशा में चले गए और वहां उन्हें एक मृत हाथी मिला।
हाथी का सिर लेकर भगवान शिव के पास वापस आए। भगवान शिव ने उस हाथी के सिर को गणेश जी के शरीर पर रखा और उन्हें जीवित कर दिया। तब से, भगवान गणेश को एक हाथी के सिर के साथ जाना जाता है। यही कारण है कि उन्हें गणेश के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “गणों का स्वामी।”
यह कथा इस बात का प्रतीक है कि कैसे भगवान गणेश अपने माता-पिता के प्रति समर्पित थे और अपने कर्तव्य के पालन में अडिग थे। साथ ही, यह कथा इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि कैसे भगवान गणेश को एक अद्वितीय रूप प्राप्त हुआ।
संकष्टी चतुर्थी के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- व्रत का संकल्प: यदि आप व्रत रखना चाहते हैं, तो आपको संकल्प लेना चाहिए। संकल्प लेने का मतलब है कि आप पूरे दिन उपवास रखेंगे और भगवान गणेश की पूजा करेंगे।
- सात्विक भोजन: व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इसका मतलब है कि आपको मांसाहारी भोजन, लहसुन, प्याज और शराब से बचना चाहिए। आप फलाहार के रूप में फल, दूध और साबुदाना की खीर खा सकते हैं।
- श्रद्धा और भक्ति: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप पूरे विश्वास और भक्ति के साथ भगवान गणेश की पूजा करें। आप जितनी अधिक श्रद्धा रखेंगे, उतना ही अधिक लाभ आपको इस व्रत से प्राप्त होगा।
उपसंहार
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है। यदि आप जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, या बस अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो आपको निश्चित रूप से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखना चाहिए। यह व्रत न केवल आपको आध्यात्मिक लाभ प्रदान करेगा बल्कि आपके जीवन में शांति और सद्भाव भी लाएगा।