You are currently viewing Mauni Amavasya 2025:मौनी अमावस्या पर क्यों रखा जाता है मौन व्रत, जाने इसका कारण

Mauni Amavasya 2025:मौनी अमावस्या पर क्यों रखा जाता है मौन व्रत, जाने इसका कारण

माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्नान, दान और व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर विशेष रूप से मौन व्रत रखने का प्रचलन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन मौन व्रत क्यों रखा जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है? चलिए, इस लेख में हम आपको इसके महत्व और धार्मिक पहलुओं के बारे में बताते हैं।

मौनी अमावस्या
Mauni Amavasya 2025

माघ में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। हर महीने की अमावस्या पितरों को समर्पित होती है, और जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं, उन्हें इस तिथि पर अपने पितरों के निमित्त दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस बार माघ माह की मौनी अमावस्या 29 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन मौन रहकर स्नान और व्रत किया जाता है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत क्यों रखा जाता है और इसके क्या लाभ होते हैं? आइए, इस लेख में इसके धार्मिक महत्व और लाभों के बारे में जानते हैं।

मौनी अमावस्या 2025 तिथि और समय (Mauni Amavasya 2025 Date and Time)

माघ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 29 जनवरी 2025 को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, उदया तिथि के अनुसार मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है, जब लोग पवित्र स्नान, दान और व्रत करते हैं। मौनी अमावस्या का व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति और आत्मिक शांति प्रदान करता है। इस दिन मौन रहने से मन की शुद्धि और वाणी का संयम होता है। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन का महत्व विशेष रूप से वर्णित है और इसे करने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

इस व्रत को मौनी अमावस्या क्यों कहते हैं?

माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन विशेष रूप से मौन रहने का प्रयास किया जाता है, जिसे मौन व्रत कहा जाता है। “मौनी” शब्द का अर्थ होता है मौन, यानी चुप रहना। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखने से मन शांत, नियंत्रित और केंद्रित रहता है। अमावस्या के दिन चंद्रमा के न दिखाई देने पर, मौन व्रत रखने से मन और वाणी की शुद्धि होती है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखकर मंत्र जाप और दान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।

क्यों रखते हैं मौन व्रत?

मौन व्रत रखने से व्यक्ति के मन का नियंत्रण बेहतर होता है, क्योंकि ज्योतिष में चंद्रदेव को मन का कारक माना गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा उदय नहीं होता, जिससे मन की स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में मन को एकाग्र और नियंत्रित रखने के लिए इस दिन मौन व्रत का पालन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से वाणी की शुद्धि होती है और समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।

वाणी के प्रभाव से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। मौन रहने से व्यक्ति का मन शांत होता है, जिससे ध्यान करने में आसानी होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत रखने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और मोक्ष का मार्ग पा सकता है।

मौनी अमावस्या के नियम (Mauni Amavasya Rules)

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने के लिए, सुबह उठकर तीर्थस्नान करें। यदि तीर्थ स्नान संभव नहीं है, तो घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद मौन व्रत रखने का संकल्प लें और उसके बाद मौन रहें, किसी से भी बात न करें, अन्यथा व्रत खंडित हो जाएगा। मौन व्रत का पालन मौनी अमावस्या की तिथि समाप्त होने तक करें। व्रत समाप्त होने के बाद सबसे पहले भगवान का नाम लेकर व्रत खोलें। इस दिन का व्रत रखने से मन की शांति और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।

ALSO READ:-

Masik Shivratri January 2025:मासिक शिवरात्रि जनवरी 2025 में कब है? जानिए तिथि, व्रत कथा और पूजा लाभ

Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी कब है, जाने तिथि, महत्व और पौराणिक कथा



Leave a Reply