भारत में होली के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं, जिनमें वाराणसी की मसान होली अत्यधिक प्रसिद्ध है। मसान होली में शिव भक्त चिता की राख से होली खेलते हैं, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक मानी जाती है। पूरे देश में इस दिन खास उमंग और उल्लास देखने को मिलता है। विभिन्न स्थानों पर होली मनाने की अनूठी परंपराएं हैं, जिनका अलग-अलग धार्मिक महत्व है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में होली का उत्सव विशेष रूप से अनोखे तरीके से मनाया जाता है। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट पर होली से कुछ दिन पहले मसान होली खेली जाती है, जिसमें चिता की राख का उपयोग किया जाता है। इसे धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि मसान होली कब मनाई जाएगी और इसका क्या धार्मिक महत्व है।
मसान होली कैसे खेली जाती है? (Masan Holi Kaise Khelte Hai?)
मसान होली का पर्व मणिकर्णिका घाट पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन साधु-संत और शिव भक्त भगवान महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद चिता की भस्म से होली खेली जाती है।
इस पावन अवसर पर पूरा मणिकर्णिका घाट “हर-हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठता है, जिससे एक अद्भुत और दिव्य माहौल बन जाता है। साधु और भक्त एक-दूसरे को चिता की भस्म लगाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
मसान होली कब मनाई जाएगी , जाने महत्व? (Masan Holi Kab Manai Jati Hai?)
इस वर्ष मसान होली 11 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान महादेव ने रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी लेकर आए थे। इस शुभ अवसर पर उन्होंने भक्तों के साथ गुलाल से होली खेली थी। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भूत, प्रेत, जीव-जंतु इस उत्सव का हिस्सा नहीं बन सके। इसलिए, भगवान शिव ने रंगभरी एकादशी के अगले दिन मसान होली का आयोजन किया। तभी से चिता की भस्म से होली खेलने की परंपरा चली आ रही है, जिसे मसान होली के रूप में जाना जाता है।
मसान होली क्यों मनाई जाती है? (Masan Holi Kyu Manai Jati Hai?)
मसान होली, जिसे चिता भस्म होली भी कहा जाता है, एक अनूठी परंपरा है जो कई वर्षों से चली आ रही है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और इसे मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान भोलेनाथ ने जब यमराज को पराजित किया था, तब उन्होंने चिता की भस्म से होली खेली थी। तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई, और हर वर्ष यह उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।यह दो दिन तक चलने वाला उत्सव है। पहले दिन चिता की राख एकत्रित की जाती है, और दूसरे दिन उसी राख से होली खेलकर शिव भक्ति का पर्व मनाया जाता है।
मसान होली कैसे मनाई जाती है?
मसान होली का भव्य आयोजन काशी के मणिकर्णिका घाट पर बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। इस दिन साधु-संत और शिव भक्त महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं तथा हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद चिता की भस्म से होली खेली जाती है। इस दौरान पूरा मणिकर्णिका घाट “हर-हर महादेव” के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठता है, जो एक अद्भुत और अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करता है।
इस पावन अवसर पर, साधु और शिव भक्त एक-दूसरे को चिता की भस्म लगाकर सुख, समृद्धि और वैभव की कामना करते हैं और भगवान महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
होली 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त (Holi 2025 Date Aur Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे होगी और इसका समापन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे होगा। ऐसे में 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को रंगों की होली धूमधाम से मनाई जाएगी।
ALSO READ:-
Holashtak 2025: होलाष्टक, होली से 8 दिन पहले क्यों मनाया जाता है, क्या है धार्मिक महत्व?
Holashtak 2025: होलाष्टक कब से लगेगा 2025,जानिए सही तिथि और मुहूर्त
Holi 2025: इस वर्ष होली पर लग रहा है चंद्र ग्रहण, जाने क्या होली पर पड़ेगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव?