You are currently viewing Ganesh Chaturthi 2024 :गणेश चतुर्थी 2024 कब है, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

Ganesh Chaturthi 2024 :गणेश चतुर्थी 2024 कब है, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रिय देवताओं में से एक भगवान गणेश का जन्मोत्सव है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण चतुर्थी को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि, विद्या, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। इस शुभ अवसर पर उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

गणेश चतुर्थी
Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि (Ganesh Chaturthi 2024 Date & Tithi)

वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितम्बर को मनाया जाएगा। तिथि गणना के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि 6 सितम्बर को दोपहर 3:08 बजे से प्रारंभ होकर 7 सितम्बर को शाम 5:30 बजे तक मान्य रहेगी। उदया तिथि मान्य होने के करण गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी

गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi Importance)

गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस पर्व के प्रमुख महत्वों के बारे में:

  • भगवान गणेश का जन्मोत्सव: गणेश चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश के जन्म का उत्सव मनाना है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती के पुत्र के रूप में गणेश जी का जन्म हुआ था।
  • बुद्धि, विद्या, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्ति: भगवान गणेश को बुद्धि और विद्या का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही, गणेश जी को समृद्धि और सौभाग्य का भी कारक माना जाता है। उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मंगल कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं।
  • बाधाओं का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है। उनकी उपासना से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और सभी कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न होते हैं।
  • शुभ शुरुआत: किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से कार्य में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

गणेश चतुर्थी की पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)

गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में:

  • गणेश जी की प्रतिमा स्थापन: सर्वप्रथम गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। आप मिट्टी या धातु से बनी प्रतिमा का उपयोग कर सकते हैं। प्रतिमा को स्थापित करने से पहले आसन बिछाएं और उस पर अक्षत (चावल) रखें।
  • षोडशोपचार पूजन: गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उनका षोडशोपचार पूजन करें। इसमें स्नान, वस्त्र, अश्तधातु, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, तांबूल, वस्त्रार्पण, प्रदक्षिणा और अंत में गणेश जी की आरती शामिल है।
  • आरती: पूजा के बाद भगवान गणेश की आरती उचित मंत्रों के साथ करें। आप सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से गणेश जी की आरती कर सकते हैं। आरती के लिए आप गणेश जी की विभिन्न आरतियों का चयन कर सकते हैं, जैसे कि “श्री गणेशाय धीमहि” या “जय गणेश जगतपिता”।
  • भोग: भगवान गणेश को उनका प्रिय भोग, मोदक, का चढ़ाएं। आप उन्हें अन्य मिठाइयाँ और फल भी अर्पित कर सकते हैं।
  • गणेश जी की विसर्जन: गणेश चतुर्थी के कुछ दिन बाद गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन का दिन स्थान और परंपरा के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर, गणेश चतुर्थी के बाद 1 या 3 दिन, 5 या 7 दिन, या अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी को घर में विराजमान रखा जाता है। इसके बाद, उन्हें किसी नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित किया जाता है। विसर्जन के समय गणेश जी की मंत्रोच्चार के साथ विदाई की जाती है।

गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा (Ganesh Chaturthi Katha)

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। आइए जानते हैं उनमें से दो प्रमुख कथाओं के बारे में:

  • भगवान गणेश का जन्म: एक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने स्नान करने से पहले हल्दी से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण प्रतिष्ठित कर दिया। इसके बाद उन्होंने उस बालक को द्वारपाल के रूप में नियुक्त कर दिया। जब भगवान शिव कैलाश लौटे तो गणेश जी ने उन्हें रोक लिया। इस पर शिव और गणेश जी के बीच युद्ध हुआ, जिसमें शिव जी ने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता पार्वती के दुख को देखकर शिव जी ने एक हाथी का सिर गणेश जी के धड़ पर लगा दिया और उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इस प्रकार भगवान गणेश का जन्म हुआ।
  • गणेश जी का हाथी का सिर प्राप्त करना: दूसरी कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। प्रतियोगिता यह थी कि जो सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर वापस आएगा, उसे विजयी घोषित किया जाएगा। कार्तिकेय तुरंत वाहन पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने निकल पड़े। वहीं, गणेश जी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की और कहा कि माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड हैं। उनकी बात से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें विजेता घोषित कर दिया। साथ ही, भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि उनका मुख किसी दिशा में नहीं होगा, बल्कि माता-पिता के दर्शन का प्रतीक बनेगा। इसी वजह से गणेश जी को हाथी के सिर वाला बताया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दौरान क्या करें

गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर आप कई तरह के धार्मिक और सामाजिक कार्य कर सकते हैं। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी के दौरान क्या करें:

  • भगवान गणेश की पूजा करें: जैसा कि बताया गया है, गणेश चतुर्थी के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनका ध्यान करें और मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना करें।
  • व्रत रखें: कुछ लोग गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं। आप अपनी इच्छा अनुसार उपवास रख सकते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें और शाम को भगवान गणेश की पूजा करने के बाद पारण करें।
  • गणेश जी की आरती गाएं: गणेश चतुर्थी के दिन भजन-कीर्तन और गणेश जी की आरती का आयोजन किया जाता है। आप अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भक्तिभाव से गणेश जी की आरती गा सकते हैं।

गणेश चतुर्थी का पर्यावरणीय महत्व (Environmental importance of Ganesh Chaturthi)

गणेश चतुर्थी के उत्सव को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी के पर्यावरणीय महत्व के बारे में:

  • मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमाओं का उपयोग करें: प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी गणेश जी की प्रतिमाएं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। इनके स्थान पर मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं का उपयोग करना चाहिए। मिट्टी की प्रतिमाएं आसानी से घुलनशील होती हैं और जल प्रदूषण को कम करती हैं।
  • पर्यावरण को स्वच्छ रखें: गणेश चतुर्थी के उत्सव के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। पूजा की सामग्री और फूलों को नदी या तालाब में विसर्जित करने से पहले उन्हें इकट्ठा कर उनका उचित निपटान करना चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण कम करें: गणेश चतुर्थी के जुलूसों में अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ वृद्ध और बीमार लोगों को भी परेशानी होती है। अतः जुलूसों में ध्वनि प्रदूषण कम करने का प्रयास करें।

गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन में खुशहाली लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखना चाहिए।

ALSO READ :-

Ganesh Ji Ki Aarti: गणेश जी की आरती- जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 15 – गीता अध्याय 2 श्लोक 15 अर्थ सहित – यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं…..

Shri Yugalkishor Ki Aarti Lyrics: युगलकिशोर की आरती- आरती युगलकिशोर की कीजै…

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 13 – गीता अध्याय 2 श्लोक 13 अर्थ सहित – देहिनोSस्मिन्यथा देहे कौमारं…..

Ekadashi September 2024 :इंदिरा एकादशी 2024 कब है, तिथि, महत्व और पौराणिक कथा

Leave a Reply