Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 3 – गीता अध्याय 2 श्लोक 3 अर्थ सहित – क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 3 (Bhagwat Geeta adhyay 2 shlok 3 in Hindi): गीता के अध्याय 2 के श्लोक 2.3(Gita Chapter 2 Verse 3) में, भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को एक महत्वपूर्ण और…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 3 – गीता अध्याय 2 श्लोक 3 अर्थ सहित – क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 2 – गीता अध्याय 2 श्लोक 2 अर्थ सहित – कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 2 (Bhagwat Geeta adhyay 2 shlok 2 in Hindi): गीता का दूसरा अध्याय(Gita Chapter 2), श्लोक 2.2(Verse 2.2) में, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मन में उत्पन्न हुए…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 2 – गीता अध्याय 2 श्लोक 2 अर्थ सहित – कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे…..

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 1 – गीता अध्याय 2 श्लोक 1 अर्थ सहित – तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 1 (Bhagwat Geeta adhyay 2 shlok 1 in Hindi): भगवद्गीता, महाभारत के युद्ध के मध्य अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के संवाद के रूप में, जीवन के गूढ़ रहस्यों…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 1 – गीता अध्याय 2 श्लोक 1 अर्थ सहित – तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 46 – गीता अध्याय 1 श्लोक 46 अर्थ सहित – एवमुक्तवार्जुनः संख्ये रथोपस्थ…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 46 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 46 in Hindi): भगवद्गीता के अध्याय 1 श्लोक 46(Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 46) में संजय ने धृतराष्ट्र को बताया कि अर्जुन ने…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 46 – गीता अध्याय 1 श्लोक 46 अर्थ सहित – एवमुक्तवार्जुनः संख्ये रथोपस्थ…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 45 – गीता अध्याय 1 श्लोक 45 अर्थ सहित – यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 45 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 45 in Hindi):महाभारत का युद्ध न केवल दो कुलों के बीच का संघर्ष था, बल्कि यह नैतिकता, धर्म, और मानव मन की…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 45 – गीता अध्याय 1 श्लोक 45 अर्थ सहित – यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 44 – गीता अध्याय 1 श्लोक 44 अर्थ सहित – अहो बत महत्पापं…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 44 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 44 in Hindi): महाभारत के युद्ध के संदर्भ में अर्जुन द्वारा कहे गए गीता अध्याय 1 श्लोक 44(Gita Chapter 1 Verse 44) में…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 44 – गीता अध्याय 1 श्लोक 44 अर्थ सहित – अहो बत महत्पापं…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 43 – गीता अध्याय 1 श्लोक 43 अर्थ सहित – उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 43 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 43 in Hindi): कुल-धर्म का पालन भारतीय संस्कृति और समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल परिवार की परंपराओं…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 43 – गीता अध्याय 1 श्लोक 43 अर्थ सहित – उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 42 – गीता अध्याय 1 श्लोक 42 अर्थ सहित – दोषैरेतै कुलघ्नानां…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 42 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 42 in Hindi): भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 42(Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 42) में परिवार की परम्पराओं और समाज की योजनाओं के…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 42 – गीता अध्याय 1 श्लोक 42 अर्थ सहित – दोषैरेतै कुलघ्नानां…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 1 श्लोक 41 अर्थ सहित – सड्करो नरकायैव…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 41 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 41 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 41(Gita Chapter 1 Verse 41) के माध्यम से अवांछित सन्तानों की वृद्धि से पितरों के नारकीय जीवन पर…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 41 – गीता अध्याय 1 श्लोक 41 अर्थ सहित – सड्करो नरकायैव…..

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 40 – गीता अध्याय 1 श्लोक 40 अर्थ सहित – अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Bhagwat Geeta adhyay 1 shlok 40 in Hindi): गीता अध्याय 1 श्लोक 40 (Gita Chapter 1 Verse 40) में अधर्म के प्रमुख होने से स्त्रियों के दूषित…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 1 Verse-Shloka 40 – गीता अध्याय 1 श्लोक 40 अर्थ सहित – अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति…..